मंदिर में चर्चा ...
प्रशासक ने आदेश निकाला, कलेक्टर ने निरस्त किया ...!

उज्जैन। महाकाल मंदिर प्रशासक के एक आदेश को कलेक्टर ने निरस्त कर दिया है। मामला वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में 2 महिलाओं की नियुक्ति से जुड़ा है। जिसको लेकर प्रशासक ने बयान दिया था कि जांच के लिए समिति गठित हुई है। इधर इस मामले में नियुक्ति को लेकर जब फाइल कलेक्टर के पास पहुंची। तो उन्होंने इस पर निरस्त लिख दिया।
महाकाल मंदिर के भरोसेमंद सूत्रों ने यह जानकारी दी है। हमारे सूत्र का कहना है कि प्रशासक गणेश धाकड ने सुश्री भावना व्यास एवं श्रीमती मेघा द्विवेदी को प्राचार्य व उप प्राचार्य नियुक्त कर दिया था। यह आदेश 3 जून को स्थापना शाखा से निकाला गया था। जिसको लेकर मीडिया में काफी बवाल मचा था।
यह था आदेश ...
मंदिर प्रशासक श्री धाकड ने बाले-बाले 3 जून को क्रमांक 1663/ स्थापना शाखा से यह आदेश निकाला था। जिसमें कृष्णा सिक्योरिटी सर्विस (केएसएस) की कर्मचारी मेघा द्विवेदी को प्राचार्य और सुश्री भावना व्यास को उप प्राचार्य बना दिया था। आदेश में यह भी लिखा था कि प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से दोनों को स्वकार्य के साथ-साथ वैदिक प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान में उपस्थित होकर कार्य करना है। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा।
बयान ... विदित रहे कि 3 जून के इस आदेश पर मीडिया ने सवाल उठाये थे। तब प्रशासक ने मीडिया को बयान दिया था। शोध संस्थान की जांच के लिए समिति गठित की गई है। जिसमें दोनों महिलाओं को रखा गया है। यह 7 दिन में जांच रिपोर्ट देगी। ताज्जुब की बात यह है कि प्रशासक द्वारा जारी आदेश में कहीं भी यह उल्लेखित नहीं था कि ... भावना व्यास और मेघा द्विवेदी को जांच के लिए भेजा है।
चुभता सवाल ...
मंदिर प्रशासक द्वारा जहां आदेश में कोई जांच शब्द का उल्लेख नहीं था। वहीं प्रशासक ने मीडिया को बोल दिया कि ... जांच के लिए समिति बनाई है। अब अगर उनकी बात को सच माना जाये। तो फिर कलेक्टर आशीषसिंह ने इसे निरस्त क्यों किया। अगर जांच का विषय होता। तो कलेक्टर तक फाइल नहीं जाती। जांच करवाना प्रशासक का अधिकार क्षेत्र है। मंदिर के भरोसेमंद सूत्रों का स्पष्ट कहना है। कोई जांच-वांच नहीं होनी थी। तभी तो कलेक्टर के पास फाइल नियुक्ति के अनुमोदन हेतु भेजी गई। कारण ... महाकाल मंदिर समिति के कलेक्टर अध्यक्ष है। उनके अनुमोदन बगैर नियुक्ति अवैध होती। इसीलिए फाइल भेजी। जिसे कलेक्टर ने निरस्त कर दिया। अब चुभता सवाल यह है कि ... मंदिर प्रशासक श्री धाकड ने मीडिया को झूठा बयान क्यों दिया था। जबकि मामला पूरी तरह से नियुक्ति को लेकर जुड़ा था। इसीलिए तो प्रशासक के आदेश को कलेक्टर ने निरस्त कर दिया।
जीत कंरू ...
कलेक्टर आशीषसिंह द्वारा पहले प्रोटोकाल व्यवस्था सुधारने के लिए आदेश निकाला गया। इसके बाद अवैधानिक नियुक्ति को निरस्त कर दिया। जिसके चलते मंदिर के गलियारों में सिख गुरू गोविंदसिंह का यह दोहा सुनाई दे रहा है। जो कि आज की इस तस्वीर पर सटीक साबित हो रहा है। गुरू गोविंदसिंह साहब ने कहां था कि ... देहु शिवा बर मोहे ईहे/ शुभ कर्मन ते कबहु ना टरूं/ डरौ अरि सौं जब जाय लड़ौं/ निश्चय कर अपनी जीत करौं... जिसका सीधी भाषा में अर्थ है कि ... शुभ काम करने से कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिये।