19 फरवरी 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

सुरक्षा ...
अपने विकासपुरूष की सुरक्षा काफी टाइट है। 3 घेरों में उनकी सुरक्षा होती है। इसलिए अब हर कोई उन तक नहीं पहुंच सकता है। आमजनता तो छोडि़ए, नेता भी नहीं पहुंच पा रहे है। जैसे अपने लेटरबाज जी। घटना पिछले सप्ताह रविवार की है। जब अपने विकासपुरूष का उडनखटोला हेलीपेड पर उतरा था। अपने लेटरबाज जी स्वागत करने पहुंचे थे। लेकिन वर्दी ने उनको रोक दिया। उन्होंने अपना परिचय भी दिया। मगर वर्दी ने सुनकर भी अनसुना कर दिया। बेचारे ... लेटरबाज जी ने खूब कोशिश की। इसके बाद कारकेड में भी शामिल होने की जुगाड लगाई। यहां भी नाकामी मिली। ऐसा घटना देखने वाली मीडिया का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कार्रवाई ...
वर्दी भले ही सुरक्षा के चक्कर में सख्ती करती है। लेकिन रविवार की रात को विकासपुरूष नाराज हो गये। सरकारी विश्रामगृह में। उस वक्त जब उन्होंने एक आईएएस को तलब किया था। 3 बार उनके नाम की आवाज लगी थी। आईएएस गैरहाजिर थे। उसी दौरान एक कमलप्रेमी पहुंच गये। जिनको वर्दी ने बाहर रोक दिया था। जैसे-तैसे जुगाड करके अंदर घुस गये। फिर सीधे अपने विकासपुरूष को शिकायत कर दी। वर्दी की। हमेशा रोकते है। नतीजा ...विकासपुरूष ने तत्काल एक्शन लिया। उन्होंने बाहर मौजूद कप्तान को तलब कर लिया। यह भी बोल दिया। अब आगे से ऐसा नहीं होना चाहिये। वरना कार्रवाई करूंगा। ऐसा वहां मौजूद कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
दुश्मनी ...
शायर डॉ. बशीर बद्र ने खूब लिखा है। दुश्मनी जमकर करो लेकिन यह गुंजाइश रहे/ जब कभी हम दोस्त बन जाये तो शर्मिंदा ना हो...। यह अशआर इन दिनों पडोसी संभागीय मुख्यालय पर सुनाई दे रहा है। देवी अहिल्यानगरी में। इशारा प्रथमसेवक और आईएएस मैडम की तरफ है। जिनके बीच 36 का आंकड़ा जगजाहिर हो गया है। तभी तो 8 घंटे दोनों अगल-बगल में बैठे रहे। मगर दोनों के बीच संवाद तो दूर की बात है, नजरें तक नहीं मिली। इतना ही नहीं सम्मेलन के लंच से भी मैडम दूर रही। इधर सम्मेलन खत्म होते ही, पीछे के गेट से मैडम चुपचाप निकल गई। ऐसा हम नहीं, बल्कि यह नजारा देखने वाले अहिल्यानगरी के कमल व पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
2 बनाम 4 ...
शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम 2 का पहाड़ा याद दिला रहे है। हमारा इशारा 2 कदम आगे- 4 कदम पीछे की तरफ है। मामला अभी-अभी सिहंस्थ क्षेत्र मे बाटे गये नोटिस की तरफ है। जिसको लेकर जिले के मुखिया ने सख्त निर्देश दिये थे। तत्काल कार्रवाई करें। नोटिस दे और बुलडोजर चलाए। अपने स्मार्ट पंडित ने आदेश का पालन किया। 300 लोगों को नोटिस थमा दिये। हड़कंप मच गया। उत्तर के माननीय को जनता ने घेर लिया। माननीय ने जिले के मुखिया को फोन खडखडा दिया। जिसके बाद वही हुआ। जिसका डर था। 2 कदम आगे बढ़कर 4 कदम पीछे खींच लिए। ऐसी संकुल के गलियारों में चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
रवानगी ...
संकुल के तीसरे और दूसरे माले पर चर्चा है। एक आईएएस की जल्दी रवानगी होने की। कारण उनकी कार्यशैली है। बैठकों में गुरूवाणी से लेकर जिले के मुखिया को भी टारगेट करते है। कई बार यह बोल चुके है। मेरे अंडर में सीईओ रह चुके है। बेचारे दूसरे माले के मुखिया चुप रहते है। इतना ही नहीं,तीसरे माले के मुखिया जब मन होता है। घूमते-फिरते दूसरे माले पर आ जाते है। बैठकों में शामिल हो जाते है। अपनी बैठकों में तीसरे माले के मुखिया ने सभी को निकम्मा साबित कर दिया है। नतीजा सभी इनसे दु:खी है। बाबा महाकाल से दुआ मांग रहे है। रवानगी हो जाये। इधर अंदरखाने की खबर है। अपने विकासपुरूष तक तीसरे माले के आईएएस के व्यवहार की खबरे पहुंच चुकी है। जिसके चलते जल्दी ही रवानगी हो सकती है। ऐसा हम नहीं, संकुल में बैठने वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डबल इंजन ...
अपने कमलप्रेमी इस शीर्षक का मतलब खूब समझते है। डबल इंजन वाली सरकार। जो कि देश और प्रदेश में है। विकास की गाथा लिख रही है। उस पर अब अपने विकासपुरूष सूबे के मुखिया है। तो उन्होंने बाबा की नगरी में भी डबल इंजन की सरकार बना दी है। इशारा अपने नये कप्तान की पदस्थापना की तरफ है। जो कि जिले के मुखिया के पुराने साथी है। तभी तो शनिवार को जब दोनों मिले। तो प्रेमपूर्वक गले लगे। जिसे वहां मौजूद सभी अधिकारियों ने देखा। तभी तो अब यह चर्चा है। प्रशासन... अब डबल इंजन की रफ्तार से चलेगा। जिसके लिए हम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नहीं छोडूंगा ...
अपने चरणलाल जी ने दावा किया है। वह मरते दम तक पंजाप्रेमी रहेंगे। उनके इस दावे का फैसला भविष्य करेंगा। मगर इसके पहले ही कुछ नगरसेवक दल बदलने को तैयार है। यह सभी पंजाप्रेमी है। अंदरखाने की खबर है। कुछ पंजाप्रेमी नगरसेवकों ने कमलप्रेमी होने के लिए रजामंदी दे दी है। लगभग आधा दर्जन। जो एक पैर पर तैयार है। कमलप्रेमी बनने के लिए। किन्तु फैसला अपने विकासपुरूष करेंगे। उनके पास पहले सूची जायेंगी। वहां से हरी झंडी मिलेगी। तभी इनके कमलप्रेमी बनने का फैसला होगा। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद पंजाप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
अंकुश ...
अपने प्रथमसेवक और उनके केबिनेट की आदत हो गई थी। बैठक बुलाओं। जिसमें शिवाजीभवन के मुखिया सहित सभी अधिकारी हाजिर रहे। नये मुखिया, अपने स्मार्ट पंडित ने इस पर अंकुश लगा दिया है। कार्यविभाजन के आदेश में। जिसके कॉलम नम्बर-3 में उन्होंने अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है। जिनको प्रतिनिधि बनाया है। वह अपर आयुक्त है। जो कि किसी से नहीं डरते है। साफ-सीधा जवाब देते है। अब देखना यह है कि प्रथमसेवक और उनकी केबिनेट कितनी बैठक बुलाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बुरी खबर ...
प्रथमसेवक और उनकी केबिनेट के लिए यह बुरी खबर है। बुरी खबर यह है कि जल्दी ही उनका मंत्रिमंडल भंग हो सकता है। अगले माह परिषद सम्मेलन के बाद। उच्च स्तर से संकेत मिल रहे है। प्रथमसेवक को तो बदल नहीं सकते है। लेकिन उनकी केबिनेट को भंग किया जायेंगा और नये चेहरे शामिल होंगे। शायद अपने प्रथमसेवक ने यह संकेत समझ लिया है। तभी तो उन्होंने अपने पुराने धंधे पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। जिसका वीडियों भी वायरल हुआ है। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
34/2 ...
सोमरस का अर्थ तो सभी समझते है। इस विभाग में 34/2 का बड़ा डर होता है। इसमें प्रकरण दर्ज। मतलब श्रीकृष्ण की जन्मस्थली में कम से कम 90 दिनों तक स्थान आरक्षित हो जाता है। ऐसी चर्चा इन दिनों सोमरस विभाग में है। इशारा अभी-अभी हुई कार्रवाई की तरफ है। जिसके शिकार शहर के सोमरस सेठ हो गये। उन पर इस धारा में प्रकरण दर्ज हुआ है। जिसके बाद वह लापता है। लेकिन लापता होने के पहले उन्होंने अपने दयालू दादा से मुलाकात की। माफी मांगी। धंधा तक छोडऩे का ऑफर दिया। किन्तु दयालु दादा ने ससम्मान बैरंग लौटा दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि सोमरस विभाग के सूत्र कह रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
गुहार ...
मच्छरों और कीड़ों को भगाने के लिए धुंआ (टीफा) मशीन अकसर शहर की सड़कों पर नजर आती है। मगर इन दिनों गायब है। जबकि शहरवासी परेशान है। ताज्जुब की बात यह है। कोठी रोड के एक सूने बंगले में जरूर धुंआ उठता रविवार की शाम नजर आया। तभी तो गुहार लगा रहे है। अपने स्मार्ट पंडित से। सूने बंगले में धुंआ मशीन चल रही है। जो कि रिनोवेट हो रहा है। जबकि शहरवासी परेशान है। उम्मीद है कि अपने स्मार्ट पंडित शहरवासियों की गुहार सुनेंगे। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
0-2...
जीरो-2 नंबर शासकीय वाहन के लिए अधिकृत है। जिस वाहन पर यह नंबर अंकित रहता है। वह वाहन शासकीय होता है। इस जीरो-2 वाहन को शनिवार की रात किसी ने टक्कर मार दी। हरिफाटक ब्रिज के समीप। वाहन चलाने वाला ड्रायवर निजी था। जबकि नियमानुसार शासकीय सेवक (ड्रायवर) ही इसको चला सकता है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से शासकीय वाहन को निजी ड्रायवर चला रहा है। जब से इस ड्रायवर ने 0-2 को संभाला है। तब से इसका दिमाग सातवें आसमान पर है। सोमरस और खाद्य वालों को फोन करके परेशान कर रहा है। इस ड्रायवर पर एक आलाधिकारी का वरदहस्त है। इसलिए उसकी डिमांड को सभी पूरा करते है। ड्रायवर के इस प्रताप की कहानी संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन यह कौन है? किसका इसको संरक्षण है? इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चलते-चलते ...
मुस्कुराइयें... आप उज्जैन में है। संकुल के गलियारों से लेकर खबरची जगत में यह स्लोगन इन दिनों सुनाई दे रहा है। मगर इशारा किस तरफ है। इसको लेकर संकुल में बैठने वालो से लेकर खबरची जगत चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।