25 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

25 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

टॉपर... 

शायद हमारे पाठकों को याद होगा। टॉपर शीर्षक से हमने तत्कालीन कप्तान व अपने कूल जी का जिक्र किया था। इशारा कानून की पढ़ाई वाली परीक्षा की तरफ था। दोनों ने अपने चक्रम से परीक्षा दी थी। तब हमने लिखा था। कौन होगा टॉपर?  उस वक्त अपने तत्कालीन कप्तान जी चुप रहे। मगर अब रिजल्ट आ गया है। तो उन्होंने चुपचाप यह बता दिया है। टॉपर वही है। उनके टॉपर होने पर हम बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

जिद ... 

अपने प्रथमसेवक जी इन दिनों अजीब जिद कर रहे है। उनकी इस जिद से शिवाजी भवन को फटका लग सकता है। आर्थिक फटका। कम से कम १ खोखे से ज्यादा का। इसके पीछे कारण उनका मोह है। जिसे शिवाजी भवन वाले पुत्र मोह की संज्ञा दे रहे है। अंदरखाने की खबर है। एक एफडी करवाई थी। सरकारी राशि की। निजी बैंक में। जिसके बदले साहबजादे को नौकरी मिली। मगर पिछले दिनों बैंक ने साहबजादे की रवानगी कर दी। नतीजा ... प्रथमसेवक जिद पकड़कर बैठे है। बैंक से एफडी निकाल दो। जिसे निकालने पर एक खोखे से ज्यादा का फटका लगेंगा। ऐसी चर्चा शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

सहारा ... 

अपने विकासपुरूष का सहारा लिया जा रहा है। उनके नाम का। किसने यह किया है। तो इशारा प्रथमसेवक की तरफ है। रंग-बिरंगी गैर निकालने के लिए। जिसके लिए आवेदन किया है। विकासपुरूष को इस गैर का संरक्षक बता दिया है। ऐसा पहली बार हुआ है। कारण ... आचार संहिता लागू  है। विकासपुरूष के नाम पर अनुमति मिल सकती है। यही सोचकर सहारा लिया है। इसके पहले अनुमति के नाम पर प्रथमसेवक दूध के जले हुए है। मिशन-२०२३ में मिठाई वितरण की अनुमति मांगी थी। अपने उत्तम जी से। जिन्होंने आवेदन खारिज कर दिया था। इस बार फिर वही अवसर है। आचार संहिता का। इसलिए विकासपुरूष के नाम का सहारा लिया गया है। देखना यह है कि संकुल के दूसरे माले से अनुमति मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

तिकड़ी ...

 संकुल के गलियारों में चर्चा है। एक तिकड़ी की। यह तिकड़ी कभी अलग-अलग राह पर थी। स्मार्ट पंडित- इंदौरीलाल जी और कूल जी। इस बीच अपने इंदौरीलाल जी को कालापानी की सजा हो गई। जल्दी ही माफी मिल गई। वापसी भी हो गई। इसके बाद इस तिकड़ी में समझदारी आ गई है। आपसी मतभेद खत्म हो गये है। अब तिकड़ी में आपसी समन्वय की जोरदार जुगलबंदी है। तभी तो संकुल- मंदिर व शिवाजी भवन के गलियारों में यह गीत सुनाई दे रहा है। मिले सुर मेरा तुम्हारा.. जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

 भविष्य ...

एक अधिकारी हैं। परिवहन विभाग के। उनको अपने भविष्य की चिंता सता रही है। आर्थिक रूप वाली चिंता नहीं। इसमें तो उन पर बाबा महाकाल की खूब कृपा है। उनको राजनीति में अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। उज्जवल भविष्य नजर आ रहा था। मगर इसके पहले उन्होंने एक ज्योतिष को पकड़ा। मुलाकात का समय लिया। फिर सवाल किया। मेरा राजनीति में क्या भविष्य है ज्योतिष ने क्या जवाब दिया। यह तो पता नहीं। मगर परिवहन विभाग के गलियारों में भविष्य को लेकर दबी जुबान से खूब चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

निलंबन ? 

क्या कमलप्रेमी संस्था ने अपने २ पूर्व माननीय का निलंबन कर दिया है। इशारा बदबू वाले शहर के पूर्व माननीय दरबार व दाल-बिस्किट तहसील के बाऊजी की तरफ है। कमलप्रेमी बोल रहे है। राजधानी में विकासपुरूष ने सभी को बुलाया था। मिशन-२०२४ को लेकर। नगर व ग्रामीण से। जिसमें कमंडल से लेकर पूर्व व वर्तमान माननीय व पदाधिकारी का नाम सूची में शामिल थाकिन्तु दरबार और बाऊजी को नहीं बुलाया गया। इसीलिए कमलप्रेमी मानकर चल रहे है। मिशन-२०२४ रिजल्ट के बाद दोनों की विधिवत घोषणा हो सकती है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

परेशान ...

अपने वजनदार जी के समर्थक परेशान है। इसकी वजह चुनावी समितियां है। जो कि करीब ३ दर्जन है। इसमें कौन-कौन रहेंगा। यह टिकिट फाइनल होने से पहले ही तय हो गया था। बदबू वाले शहर के डा. साब इसके संयोजक है। जो कि दबाव पसंद नहीं करते है। इधर हर रोज वजनदार जी के यहां से पर्ची आ रही है। इनका-उनका नाम शामिल कर लो। लकीर के फकीर डॉ. साब रटा-रटाया जवाब देते है। देखते है। क्या हो सकता है। नतीजा वजनदार जी समर्थक परेशान है। हताश है। मगर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

बांके-बिहारी ....

  शीर्षक पढ़कर कतई यह अंदाजा नहीं लगाये। हम सबके आराध्य बांके बिहारी को लेकर कुछ लिख रहे है। बांके बिहारी भगवान जो हमारे लिए लिखते है। वही हम सब करते है। मगर संकुल- मंदिर व शिवाजी भवन में जिस बिहारी जी की चर्चा है। वह एक अधिकारी है। इसी संभाग में किसी जिले में पदस्थ है। पिछले दिनों जुगाड में थे। किसी भी तरीके से संकुल- मंदिर या शिवाजी भवन में पदस्थ हो जाये। उनकी मदद एक आईएएस अधिकारी भी कर रहे थे। क्योंकि बिहारी जी काफी पुराने परिचित है। लेकिन भगवान बांके बिहारी को यह मंजूर नहीं था। इसलिए सफलता नहीं मिली। अब देखना यह है कि जून माह बाद सफलता मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

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मुख्यमंत्री जी इनको माफ कर देना... !

 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब-जब बैठक ली है। उज्जैन को लेकर। उनका सीधा और साफ संदेश था। आमजनता को दर्शन सुलभता से हो सके। उनको ज्यादा नहीं चलना पड़े। यातायात व्यवस्था सुचारू रहे। मुख्यमंत्री के शब्दों को आमजनता भी आसानी से समझती है। फिर नौकरशाही इतनी आसान बात को क्यों नहीं समझ रही है?

 यह सवाल २४ मार्च की शाम को महाकाल मंदिर और आसपास की अव्यवस्था को देखकर हर किसी के दिमाग में था। अव्यवस्था इस बात का प्रतीक थी कि ... मुख्यमंत्री के संदेश की साफ अवेहलना हो रही है। होलिका दहन की संध्या पर मंदिर पूरी तरह खचाखच भरा था। जो पहले पहुंचा... उसको मौका मिल गया। नंदीहॉल में हालात यह थे कि ... मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष नीरजसिंह व मंदिर प्रशासक संदीप सोनी भी कहीं नजर नहीं आये। ऐसा वहां मौजूद चुनिंदा मीडियाकर्मियों का कहना है। फिर आरती शुरू हुई। पंडित आशीष गुरू आरती भी पूरी नहीं कर पाये। इस बीच नंदीहॉल में गुलाल उडना शुरू हो गया। जिसे देखकर आरती करते पंडित ने आक्रोश जताया और यह तक बोला। अभी आरती पूरी नहीं हुई है। आरती के दौरान कलेक्टर को भी याद किया गया। 

कलेक्टर भले ही आरती के दौरान, अव्यवस्था के चलते मौजूद नहीं थे। मगर होलिका दहन के वक्त वह मीडिया को नजर आ गये। होली दहन में भी अंदर उन्हीं को जाने का अवसर मिला। जो रसूख रखते है। बाकी सभी बाहर खड़े होकर देखते रहे। यहां पर अगर, बेरिकेड्स थोडी कम ऊंचाई वाले लगे होते। तो आमजनता भी आसानी से होली दहन देख सकती थी। मीडिया को तो अपनी जान जोखिम में डालकर वीडियों और फोटो खीचने पड़े। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह तस्वीर हैजिसमें मीडियाकर्मी बेरिकेड्स पर चढ़कर अपनी ड्यूटी निभा रहा है। कारण ... मंदिर प्रशासन की अव्यवस्था के चलते।

 होलिका दहन खत्म होते ही जनता बाहर निकली। मगर माधव सेवा न्यास पार्किंग पहुंचकर प्रशासन को कोसती नजर आई। हालात बदतर थे। आक्रोश चरम पर था। आमजनता उन शब्दों का भी उपयोग कर रही थी। जो कि लिखने योग्य नहीं है। कोई भी यातायात सुधारने के लिए मौजूद नहीं था। प्रसाद्म की तरफ से वाहन आ रहे थे और इधर से वाहन जा रहे थे। कार ने रास्ता ब्लाक कर दिया। बाकी कसर ई-रिक्शा ने पूरी कर दी। ४५ मिनिट तक आमजनता परेशान होकर प्रशासन को कोसती रही। जैसे-तैसे रास्ता बना। तो कुछ जनता भारत माता मंदिर रास्ते से निकली। आगे जाकर मंदिर सुरक्षा समिति वालो ने रोक दिया। आमजनता ने हाथ जोड़कर परेशानी बताई। तब कहीं जाकर जनता निकल पाई।

यह पूरा नजारा आंखो देखा है। चुप रहेंगे डाट-कॉम... माननीय मुख्यमंत्री से अनुरोध करता है कि .... मुख्यमंत्री जी इन सभी को माफ कर देना .... जो आपके सीधे सरल-संदेश को नहीं समझ पा रहे है और आपकी प्रिय जनता को कष्ट दिये जा रहे है