25 नवंबर 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
इस्तीफा ...
कमलप्रेमियों और वर्दी में चर्चा है। इस्तीफा शब्द की। इशारा एक माननीय की तरफ है। जिन्होंने अपने बड़बोलेपन में फोन पर बोल दिया। वर्दीधारी मैडम को। अगर 1 घंटे में नहीं हटवाया तो राजनीति से इस्तीफा दे दूंगा। मगर माननीय यह भूल गये। विकासपुरूष का शहर है। जहां उनकी मर्जी से ही पत्ता हिलता है। इधर वर्दीधारी मैडम ज्यादा चतुर निकली। उन्होंने फोन पर मिली इस चेतावनी को रिकार्ड कर लिया। अपने कप्तान जी को भी सुना दिया। नतीजा माननीय की तमाम कोशिश बेकार गई। कप्तान जी ने साफ इंकार कर दिया। मैडम को हटाने से। मैडम अब इंतजार कर रही है। माननीय कब इस्तीफा देंगे। लेकिन माननीय चुप है। जबकि कमलप्रेमी चिल्ला-चिल्लाकर घटना सुना रहे हैं। जिसमें हम क्या कर सकते हैं। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
खौफ ...
तो आखिरकार वर्दी का खौफ अब नजर आने लगा है। लंबे समय से इस डर को दिखाने की जरूरत थी। गुंडे-मवाली-बदमाश भूल गये थे। वर्दी की इज्जत करना जरूरी है। तभी तो हरिहर मिलन की रात में थप्पड की गूंज ने वर्दी को अहसास करा दिया। अब भी वक्त है। अपनी इज्जत बचाने का। परिणाम नजर आने लगा है। अब अपराधी वर्दी के डर से कूद-फांद कर भाग रहे है। गिर रहे है। फिर टूटी-फूटी हालात में नजर आ रहे है। अपराधियों का ऐसा गिरना सभी को पसंद आ रहा है। जनता खुश होकर कप्तान और वर्दी को सेल्यूट कर रही है। यह उम्मीद भी कर रही है। अपराधी ऐसे ही गिरते रहेंगे- टूटे-फूटे नजर आयेंगे। जिसके लिए हम भी वर्दी और कप्तान जी को बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खोखे का खेल ...
वर्दी वाले दबी जुबान से बोल रहे है। एक खोखे का खेल हुआ है। जिसमें एक मैडम और उनके करीबी जांच अधिकारी की भूमिका है। इशारा जमीन कांड की तरफ है। जिसमें पहले तो फरियादी को ही 20 पेटी से निपटाया गया। तब जाकर मामला उजागर हुआ। इसके बाद शुक्रवार की दोपहर में आरोपी पकड़े। जिनके घर तलाशी हुई। जहां 1 खोखा मिला था। मगर 30 पेटी के अंदर बताया गया। इसके अलावा इस कांड में जिनको बचाया गया है, उनसे भी वसूली की गई है। कुल मिलाकर 1 खोखे का खेल हुआ है। ऐसा हम नहीं, बल्कि वर्दी वाले बोल रहे है। इसमें सच कितना है, झूठ कितना? यह हमको पता नहीं है। जो वर्दी में चर्चा है। वह लिखकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वसूली ...
मंदिर के गलियारों में चर्चा है। वसूली करने की। जिसके लिए अपनी पसंद के कर्मचारियों को पदस्थ किया जा रहा है। सशर्त पदस्थी दी जा रही है। तभी तो एक कर्मचारी ने अपने रेट बढ़ा दिये है। वजह यह है कि उनको ऊपर भी देना है। इधर इस बहती गंगा में सुरक्षाकर्मी भी मौका नहीं छोड़ते है। जो भी बाहर का व्यक्ति उनके झांसे में आ जाता है। उनसे ऑनलाइन भुगतान करवा लेते है। इसमें एक वर्दीधारी भी शामिल है। जिसका फोन नं. उस भक्त को दिया जाता है। जो भुगतान करता है। जिसके बाद वर्दीधारी उस भक्त को बैठने की व्यवस्था करवाता है। बाबा के दरबार में चल रही इस अवैध वसूली की खबर सबको है। किन्तु सबके हित जुड़े है। तो हम कौन होते है। फटे में टांग अडाने वाले। मगर इतना जरूर कहेंगे। वसूली करने वालों और अपना हिस्सा लेने वालों को नर्क में भी जगह नहीं मिलेंगी। इतना कहकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सड़क ...
सरकारी महकमों में काम पूरा नहीं करना और राशि निकाल लेना आम बात है। कागजों पर कुंए-तालाब-सड़के बन चुकी है। मगर निजी सेक्टर में ऐसा नहीं होता है? लेकिन अब हो रहा है। कागजों पर सड़क बन रही है। 4 खोखे का भुगतान निकाल लिया। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बदबू वाली तहसील के कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा एक लैंस वाली कंपनी की तरफ है। जिसकी आडिट टीम ने कागजों पर बनी सड़क पकड़ी। टीम के इस कदम से हड़कंप मच गया। संलिप्त अधिकारियों को फिलहाल काम पर आने से रोक दिया गया है। बदबू वाले शहर में तो यही चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
वर्चुअल-रियलिटी ...
मंदिर के गलियारों में वर्चुअल-रियलिटी को लेकर बवाल मचा हुआ है। एक बैठक के बाद। जिसमें दूसरे माले के मुखिया, गब्बर जी, इंदौरीलाल आदि मौजूद थे। बैठक में वर्चुअल-रियलिटी (वीआर) का मुद्दा उठा था। उठाने वाले अपने गब्बर जी थे। जिन्होंने वर्चुअल-रियलिटी की भूमिका पर प्रश्न खड़ा कर दिया। जिसके चलते बैठक में बहस हो गई। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लग गये। जिसके बाद यह तय माना जा रहा है। अपने गब्बर जी जल्दी ही वीआर का बोरिया-बिस्तरा बांध देंगे। वैसे भी गब्बर जी की आदत है। जो सोचते है-वह करके दिखाते है। देखना यह है कि मंदिर में कुकुरमुत्ते की तरह वीआर के सहारे जनता की जेब ढीली कर रही कंपनी पर कार्रवाई कब होती है। जिसका सभी को इंतजार है। तो हम भी इंतजार करते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सवाल ...
शीतकालीन सत्र राजधानी में शुरू होगा। जिसका असर अभी से नजर आने लगा है। निशाने पर अपना शिवाजी भवन है। जिसके द्वारा किये जा रहे निर्माण कार्यो को लेकर सवाल लग सकता है। सवाल लगाने वाले अपने हाइनेस हो सकते है। जो की नाराज है। निर्माण कार्यो की गुणवत्ता को लेकर। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। देखना यह है कि अपने हाइनेस सवाल उठाते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
12 पेटी ...
वर्दी और कमलप्रेमियों में चर्चा है। 12 पेटी के सौदे की। इशारा बूचडखाने जा रहे एक ट्रक की तरफ है। जिसमें गौ-माता सवार थी। देर रात 2 वर्दी वालो ने ट्रक को पकड़ा था। मक्सी रोड वाले इलाके में। ट्रक में गिरोह भी सवार था। इसलिए सौदा हुआ। 12 पेटी में सेटिंग हुई। जिसमें एक नगर सेविका के पति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। परिणाम सुखद निकला। ट्रक छोड़ दिया और सब चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सुरक्षा ...
अपने विकासपुरूष की सुरक्षा का केवल यह मतलब नहीं होता है। उनके आगमन पर चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना दिया जाये। उनकी सुरक्षा और कई तरीकों से भी होनी चाहिये। जैसे फायर आदि से उनकी सुरक्षा रहे। अभी-अभी विकासपुरूष आये थे। सामाजिक परिसर में। उनके लिए ग्रीन रूम बनाया गया था। मंच के पीछे। लेकिन ग्रीन रूम में फायर से बचाव उपकरण का इंतजाम नहीं था। जबकि ग्रीन रूम फाइबर का बना था। ऐसा सुरक्षा का इंतजाम देखने वालो का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
वादा ...
अपने कमलप्रेमी एक वादे की याद दिला रहे है। जो कि अपने हाइनेस ने किया था। मिशन-2023 की विजय के बाद। वादा यह था कि जीत के बाद कमलप्रेमियों को अयोध्या यात्रा करवायेंगे। जिसके लिए प्रत्येक वार्ड से नाम लिए गये थे। सूची तैयार हुई थी। किन्तु उसके बाद कुछ नही हुआ। लेकिन अभी संगठन के बूथ चुनाव में इस वादे को सभी ने याद किया। खुलकर बोला। अपने हाइनेस वादा कब पूरा कर रहे है। जिसका जवाब तो केवल वही दे सकते है। जिन्होंने वादा किया था। लेकिन कमलप्रेमियों को उम्मीद है कि वह अपना वादा जरूर पूरा करेंगे? तो हम भी वादा पूरा होने की उम्मीद में अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
टायलेट ...
पिछले दिनों एक बैठक हुई। करीब 7 दिन पहले। बैठक में दूसरे माले के मुखिया, गब्बर जी, इंदौरीलाल व स्मार्ट पंडित मौजूद थे। बैठक लेने वाले महत्वपूर्ण हस्ती थे। जिनको सभी भाईसाहब के संबोधन से बुलाते है। माधव न्यास में बैठक हुई थी। भाईसाहब ने मंदिर के निर्माण कार्यो की प्रगति को लेकर समीक्षा की। इसमें उनके समक्ष टायलेट निर्माण को लेकर सवाल उठे। जिसमें गब्बर जी के अपने तर्क थे और इंदौरीलाल जी के अपने। दोनों के तर्क सुनकर अपने भाईसाहब ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने सुन लिया और चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
धन्यवाद ...
अपने विकासपुरूष ने ठान लिया है। अपनी मिट्टी का कर्ज उतारना है। इसीलिए तो वह महाकाल की नगरी को देश ही नहीं, विदेश में भी सम्मान दिलाना चाहते है। अभी-अभी मेडीसिटी लाकर उन्होंने साबित भी कर दिया। जिसके लिए जिले की जनता धन्यवाद दे रही है। इस अवसर पर एक वीडियो भी बनाया गया था। पाठकों की जिज्ञासा के लिए बता दें कि इस गीत को जिला प्रशासन के निर्देश पर अपने इन्दौरीलाल जी ने विशेष तौर पर मेहनत करके तैयार किया है।इस गीत को संगीत में लयबद्ध करने के लिए बॉलीवुड नगरी(मुम्बई)का भी सहारा लिया गया है |