20 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
वाणी ...
ऐसी वाणी बोलिए... मन का आपा खोए...! यह दोहा हमारे सभी पाठकों ने सुना और पढ़ा है। लेकिन एक प्रशासनिक अधिकारी ने ना तो पढ़ा और ना ही इसे सुना है। तभी तो वह अपने ही मातहतों को ... कामचोर- मक्कार ... बोल रहे है। यह अधिकारी अभी-अभी आये है। मुहावरे की भाषा में ... जुम्मा-जुम्मा 8 दिन भी नहीं हुए है। हेल्पलाइन की समीक्षा करते है। तो मातहतों को ऐसे-ऐसे शब्दों से संज्ञा देते है। बेचारे मातहत खून का घूट पीकर रह जाते है। नतीजा ... वाणी से प्रताडि़त मातहत राजस्व अधिकारियों ने ठान लिया है। जिले के मुखिया को शिकायत करनी ही पडेंगी। देखना यह है कि ... अधिकारी अपनी वाणी में सुधार लाते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कैसा भुगतान ...
क्या किसी ऐसे राजस्व अधिकारी को हमारे पाठक जानते है। जो भोजन का भुगतान करने में आना-कानी करते है। अपने पद का रौब झाडते है। भुगतान मांगों को उल्टा जवाब देते है। मेरे से पैसा मांगते हो ? मैं भुगतान क्यों करूं। ऐसी चर्चा इन दिनों एक सरकारी विश्रामगृह के कर्मचारी कर रहे है। जहां पर इन दिनों अपने कंजूसलाल डेरा डाले हुए है। बेचारे कर्मचारी परेशान है। अपने कंजूसलाल का भोजन -भुगतान उनके मातहत ग्राम देवताओं को करना पड रहा है। अब सवाल यह है कि यह कंजूसलाल कौन है। तो हम बता दे कि ... कंजूसलाल के खिलाफ बदबू वाले शहर में मोर्चा खोला गया था। ग्राम देवताओं ने बगावत कर दी थी। तब जाकर अपने उम्मीद जी ने इनको हटा दिया और संकुल में पदस्थ कर दिया था। जिसके बाद उनके व्यवहार से अब रेस्टहाऊस के कर्मचारी दु:खी है। मगर चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कब्जा ...
घटना विकास यात्रा की बताई जा रही है। वार्ड 48 का घटनाक्रम है। जिसकी चर्चा अपने कमलप्रेमियों के बीच दबी जुबान से सुनाई दे रही है। यात्रा खत्म होने के बाद की घटना है। मंच पर बैठकर माननीय, आमजनता की समस्या सुन रहे थे। तभी एक महिला मंच पर आ गई। जोर-जोर से चिल्लाने लगी। मेरे मकान पर कब्जा कर लिया है। जिसे सुनकर माननीय ने पूछ लिया। किसने कब्जा किया है... किसने कब्जा किया है। जिसके जवाब में महिला ने जो नाम लिया। उसे सुनकर सन्नाटा छा गया। खुद माननीय भी चुप हो गये। तो हम भी अपने कमलप्रेमियों की इस चर्चा को लिखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बैंड-बाजा- भर्ती ...
अभी-अभी घोषणा हुई है। पिछले सप्ताह। युवा कमलप्रेमी टीम की। इस टीम में कई ऐसे नाम शामिल है। जो कि ... युवा मुखिया के चिलम- हुक्के है। इनका काम केवल युवा मुखिया को ... माला पहनाना-गाडी चलाना- चाय पिलाना ही है। इनको टीम में जगह मिल गई। जबकि निष्ठावान युवाओं को जगह नहीं मिली। नतीजा ... अंदर ही अंदर बगावत पनप रही है। इधर घोषणा करके युवा मुखिया लापता हो गये है। तभी तो युवा कमलप्रेमी नई टीम को ... बैंड-बाजा- भर्ती की संज्ञा दे रहे है। अंदरखाने की खबर है। लापता मुखिया की वापसी पर उनका अनोखे तरीके से स्वागत- सत्कार भी हो सकता है। देखना यह है कि ... अब आगे क्या-क्या होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
डरपोक ...
शीर्षक पढ़कर हमारे पाठकगण सोच सकते है। आखिर कौन डरपोक है। मगर ... पूरा शीर्षक डरपोक सिंह है। विकास यात्रा का मामला है। उत्तर-दक्षिण का नहीं है। ग्रामीण इलाके की विकास यात्रा की घटना है। गुरूवार की रात 11 बजे बाद की। कमलप्रेमी अपने बडबोले नेताजी उद्दबोधन दे रहे थे। सामने ग्रामीण कमलप्रेमी बैठे थे। तब बडबोले नेताजी ने सीधे-सीधे कहा। मेरी मां ने मेरा नाम डरपोक सिंह नहीं रखा है। इसलिए मैं किसी ने नहीं डरता। 56 गांव आते है। तुम 16 गांव वाले वोट नहीं दोगे। तो भी चलेंगा। 40 गांव वाले तो मुझे ही वोट देंगे। जीतना तो मेरा पक्का है। अपने बडबोले नेताजी का मिशन-2023 से पहले यह उद्दबोधन सुनकर, बेचारे कमलप्रेमी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
1000 बनाम 100 ...
कमलप्रेमियों को हमेशा से बैठक-भोजन-विश्राम का स्लोगन पसंद है। इधर इन दिनों अपने कमलप्रेमी विकास यात्रा में जमकर मेहनत कर रहे है। जिसमें काफी उर्जा खत्म होती है। इसके बाद उनको भोजन की जरूरत होती है। जिसकी जिम्मेदारी शिवाजी भवन की है। उत्तर-दक्षिण दोनों जगह पैकेट सप्लाय हो रहे है। लेकिन इनकी मात्रा काफी कम है। सभी को पैकेट नहीं मिल रहे है । इसीलिए तो कमलप्रेमी बोल रहे है। भेजते है 100 पैकेट ... बिलिंग हो रही 1000 की । बेचारे कमलप्रेमी नगरसेवक भी दु:खी है। मगर कर कुछ नहीं सकते है। बस एक-दूसरे को अपनी पीडा सुनाकर दु:ख हल्का करते है। ताज्जुब की बात यह है कि ... वरिष्ठ कमलप्रेमी नेताओ को इस 1000 बनाम 100 की जानकारी है। मगर वह भी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
भड़ास ...
इस भड़ास शब्द का अर्थ तो आप सभी जानते होंगे। जब वादा करके भी सामने वाला काम पूरा नहीं करे? तो जिसका काम नहीं होता है। वह किन-किन शब्दों में संज्ञा देकर भड़ास निकालता है। इससे हम सभी वाकिफ है। भले ही मुंह पर कोई कुछ नहीं बोलता। लेकिन पीठ पीछे उन शब्दों में भड़ास निकलती है। जिनको लिखना गfरमा के खिलाफ है। इन दिनों अपने कमलप्रेमी कुछ ऐसा ही कर रहे है। निशाने पर है अपने ढीला-मानुष। कारण दीपोत्सव पर्व है। जिसको लेकर हर वार्ड से 100-100 नाम की सूची मांगी गई। भरोसा दिलाया। सभी को अनुमति मिलेगी। नतीजा उत्साहित कमलप्रेमियों ने नाम वाली सूची भेज दी। मगर, जब रिकार्ड बनाने का दिन आया। तो अपने ढीला-मानुष ने हाथ ऊंचे कर दिये। जिसके बाद तो अपने कमलप्रेमी क्या-क्या बोल रहे है? उसे हम शब्दों में बयां नहीं कर सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
आक्रोश ...
महाशिवरात्रि की घटना है। शाम के वक्त देश की राजधानी से जिनका आगमन हुआ। उनके प्रोटोकॉल में गडबडी हो गई। 30 मिनिट तक परेशान होते रहे। नतीजा उन्होंने सर्वोच्च न्याय विभाग के देवता को फोन खडखडा दिया। व्यवस्था पर सवाल उठा दिये। जिसके बाद मुहावरे की भाषा में भूचाल आ गया। हर कोई माफी-माफी-माफी ... मिलार्ड कहता नजर आया। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में रविवार को सुनाई दी। घटना पूरी तरह सच है। मगर, हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चुभता सवाल ...
आखिरकार 21 लाख का रिकार्ड क्यों नहीं बन पाया? जबकि इसके लिए 21 लाख से ज्यादा दीपक लगाये गये थे। सब जले भी एक साथ ही होंगे। फिर अचानक कैसे तेज हवा चल गई। जो कि 18 लाख 82 हजार 229 का ही रिकार्ड बन पाया। यही चुभता सवाल है। जिसके लिए पीछे का सच जानना जरूरी है। मगर इसके पहले नये मुखिया, कप्तान जी, अनफिट जी और अपने स्मार्ट पंडित जी को बधाई। इस रिकार्ड के लिए। अब यह जानना जरूरी है कि ... 21 का रिकार्ड क्यों नहीं बन पाया। दरअसल घाट पर बार-बार घोषणा हो रही थी। 6:28 पर मामाजी आ जायेंगे। हूटर बजेगा। फिर दीपक जलाना है। इस चक्कर में 1 सेक्टर में 6:28 पर ही दीपक जला दिये गये। समय से पहले ही दीपक जलने से, 21 लाख का रिकार्ड बनाने से चूक गये। इस सेक्टर की जवाबदारी अपनी घमंडी मैडम की थी। जिनको कोई कुछ नहीं बोल सकता है। इसलिए सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुश ...
अपने कमलप्रेमी खुश है। बहुत ज्यादा खुश। उनकी खुशी दीपोत्सव रिकार्ड बनने की नहीं है। बल्कि एक वीडियों वायरल होने की है। जिसमें कई कमलप्रेमी दिग्गज मंच पर जाने की जद्दोजहद कर रहे है। ऐसा इन दिग्गजों के साथ पहली बार हुआ है। जबकि कमलप्रेमी कार्यकर्ता हमेशा इस व्यवस्था का शिकार होता रहा है। तभी तो इन सभी को परेशान देखकर, कमलप्रेमी खुश हो रहे है। इसलिए हम भी इनकी खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
तस्वीर ...
इस पिक्चर को गौर से देखिए। जो महाशिवरात्रि के सच को उजागर कर रही है। तस्वीर खुद बोल रही है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।