23 सितम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
वजूद ...
राजनीति में कद हमेशा इस वजूद से नापा जाता है। आप मुख्य अतिथि के साथ, मंच पर कितने करीब कुर्सी पर बैठते है। इससे पता चलता है कि आपका वजूद कितना है। आप प्रभावशाली व ताकतवर है। वजनदार जी को अपने पद के कारण पूरा भरोसा था। उनका वजूद उनको प्रथम पंक्ति में कुर्सी दिलाएंगा। देश की प्रथम नागरिक वाले कार्यक्रम में। इसलिए वह पहली पंक्ति में जाकर बैठ गये। जो कि महामहिम के सुरक्षाकर्मियों को खटक गया। उन्होंने सही तरीके से सही जगह संदेश भिजवाया। फिर वजनदार जी तक संदेश पहुंचा। नतीजा वजनदार जी को कुर्सी छोड़कर दूसरी पंक्ति में बैठना पड़ा। ऐसा हम नहीं अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। कमलप्रेमियों की बात सच है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
नाम गायब...
महामहिम के आगमन पर स्वागत करना, हर अधिकारी का सपना होता है। इसके लिए बकायदा सूची तैयार होती है। जो कि उच्च स्तर पर सहमति हेतु भेजी जाती है। इस सूची में अपने 7 जिलों के मुखिया और अल्फा जी का नाम गायब था। तभी तो देश की प्रथम नागरिक के आगमन से पहले हंगामा मच गया। क्योंकि जो सूची नामों की आई थी। उसमें से दोनों नाम गायब थे। बाद में इन दोनों नामों को जोडऩे के लिए उच्च स्तरीय प्रयास हुए। तब कहीं जाकर अल्फा और सात जिलों के मुखिया को हेलीपेड पर स्वागत करने का मौका मिला। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। अब इन दोनों नामों को हटाने के पीछे कौन था। इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गांठ ...
संकुल के गलियारो में चर्चा है। रहीम के दोहे की। रहिमन धागा प्रेम का...जुडत गांठ पड जाये। इशारा तीसरे व दूसरे माले की तरफ है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। तीसरे माले के मुखिया ने कटाक्ष किया है। दूसरे माले के मुखिया पर। पीठ पीछे। जो कि दूसरे माले के मुखिया तक भी पहुंच गया है। जिसके बाद प्रेम का धागा टूट गया और गांठ पड गई है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
बधाई ...
अपने स्मार्ट पंडित को बधाई। अनेकों बधाई। जिन्होंने सफलतम कार्यक्रम करवा लिया। वह भी एक निजी होटल में। स्वच्छता कर्मियों का सम्मान वाला। इसके लिए स्मार्ट पंडित को रात्रि जागरण करना पड़ा। उसी होटल को एक रात का ठिकाना बनाया। जहां पर कार्यक्रम होना था। बाकी सभी को घर भेज दिया। यह निर्देश देकर। सुबह 6 बजे आ जाना। खुद पूरी रात माध्यम के काम पर नजर रखते रहे। जिसका परिणाम सुखद निकला। कार्यक्रम बढिया हुआ और महामहिम के स्वागत करने का मौका भी मिल गया और उनकी मेहनत के चलते कार्यक्रम सफल रहा। जिसके लिए हम फिर एक बार बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
यह तो अपने है ...
महामहिम स्वच्छता कर्मियों को सम्मानित करने पहुंची थी। उस दौरान वह यह सुनकर मुस्कुरा दी। यह तो अपने है। दरअसल महामहिम ने महिलाकर्मी से सवाल किया। इशारा करके पूछा। इनको पहचानती हो? जवाब मिला... यह हमारे प्रदेश के राज्यपाल है। नाम भी बताया। इसके बाद अगला सवाल विकासपुरूष को लेकर था। उनकी तरफ इशारा किया। इनको पहचानती हो... इनका क्या नाम है। स्वच्छताकर्मी ने जवाब दिया। यह तो हमारे अपने है। जिसे सुनकर महामहिम के चेहरे पर मंद-मुस्कान आई और अपने विकासपुरूष भी इस जवाब को सुनकर मुस्कुरा दिये। तो हम भी मुस्कुराकर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बगावत ...
विकासपुरूष के गृहनगर में जल्दी ही बगावत हो सकती है। राजनीतिक नहीं, बल्कि प्रशासनिक बगावत। कारण दमदमा वाली चटक मैडम की भाषाशैली है। जिसके चलते सभी राजस्व अधिकारी नाराज है। कुछ उदाहरण पेश है। जिसकी चर्चा राजस्व अधिकारी दबी जुबान से कर रहे है।
1. महामहिम के आगमन की पूर्व रात्रि पर रिहर्सल थी। निजी होटल में। जहां पर दूसरे माले के मुखिया भी मौजूद थे। उसी दौरान एक एसडीएम ने सीधे अपनी बात कह दी। दूसरे माले के मुखिया को। बस फिर क्या था। चटक मैडम जी ने एसडीएम को खरी-खोटी सुना दी। एसडीएम मैडम भी नाराज हो गई और उन्होंने अपने तरीके से विरोध प्रकट कर दिया।
2. यह घटना उस दिन की है। जब महामहिम आने वाली थी। 4 घंटे शेष थे। उसी होटल में एक एसडीएम मैडम मौजूद थी। ग्रामीण इलाके की। उनको चटक मैडम जी ने आदेश दिया। कारपेट बिछाओं। संयुक्त कलेक्टर स्तर की मैडम यह सुनकर हैरान हो गई। देखने वालो का कहना है। उनकी आंखे नम हो गई थी।
3. संकुल में चर्चा है कि चटक मैडम की भाषाशैली के शिकार अपर कलेक्टर भी हो गये है। नतीजा सभी राजस्व अधिकारियों ने एक बैठक भी कर डाली है।
4. बैठक सरकारी विश्राम गृह में हुई थी। जहां पर सभी ड्यूटी करने वाले राजस्व अधिकारी मौजूद थे। भोजन करने के लिए। उसी दौरान भाषाशैली को लेकर चर्चा हुई। सभी एकमत से राजी थे। पैदल चलकर ज्ञापन दिया जाये। मैडम जी की भाषाशैली पर।
5. ज्ञापन उसी दिन देने की सहमति हुई। मगर फिर यह निर्णय लिया गया। आज खुशी का दिन है। महामहिम का कार्यक्रम अच्छा निपटा है। इसलिए आज रूकते है। लेकिन अब अगली गलती का इंतजार है। अगर फिर से कडवी भाषा सुनने को मिलती है। तो राजस्व अधिकारी पैदल चलकर- जमीन पर बैठकर ज्ञापन देंगे।
6. इस प्रस्ताव पर भी आम सहमति बनी। आगे से जो भी सरकारी कार्यक्रम होगा। उसका नोडल अधिकारी, जिस विभाग का होगा। वह अपने मातहतों से काम करवायेंगा। राजस्व अधिकारी, उस विभाग के नोडल अधिकारी के अधीन कोई काम नहीं करेंगे। ऐसी चर्चा सभी राजस्व अधिकारी दबी जुबान से कर रहे है। अब देखना यह है कि बगावत होती है या भाषाशैली सुधरती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
3 x 2.....
शीर्षक पढ़कर जरा 3 का पहाडा याद कीजिए। उत्तर 6 होता है। मगर संकुल के गलियारों में 3 x 2. का मतलब तीसरा और दूसरा माला है। जहां पर समन्वय का अभाव अब खुलकर नजर आ रहा है। दोनों माले के मुखिया के बीच खाई लगातार बढ़ती जा रही है। तभी तो अब अधिकारीगण 3 में से 2 को घटाकर उत्तर-1 निकाल रहे है। जो कि इस जिले के लिए घातक है। संकुल के अधिकारियों का गणित बिलकुल सही है। मगर हम जबरदस्ती तो 3 x 2 का रिजल्ट 6 नहीं ला सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इच्छा ...
संकुल और शिवाजी भवन से जुड़ी 2 खबरे है। पहल अपनी जिज्जी से जुड़ी है। तो दूसरी अपने कूल जी से। जिन्हें संकुल के गलियारों में कटप्पा भी बोला जाता है। पहली खबर जिज्जी की। चर्चा है कि अपनी जिज्जी का महाकाल की नगरी से मन उचट गया है। वह अब देवी अहिल्यानगरी जाना चाहती है। इसके लिए विकासपुरूष तक सिफारिश की जा चुकी है। यह निवेदन उनके परिवार के माननीय द्वारा किया गया है। सिफारिश कबूल होगी या नहीं? इसका सभी को इंतजार है। दूसरी खबर अपने कूल जी उर्फ कटप्पा जी की है। जिन्होंने पिछले दिनों कोशिश की थी। भरपूर प्रयास किये। किसी तरह से दमदमा वाली कुर्सी पर पदस्थ हो जायें। ताकि संकुल के लफडों से मुक्ति मिले। उनकी कोशिश नाकाम रही। शिवाजी भवन व संकुल के गलियारों में तो यही चर्चा है। सच और झूठ का फैसला... जिज्जी और कटप्पा जी खुद कर ले। क्योंकि हमकों तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
खात्मा ...
हमारे पाठकों को शायद याद होगा? एक प्रकरण। जो अपने कमलप्रेमी पहलवान पर दर्ज हुआ था। काफी सुर्खियों में रहा था। उसी वक्त अपने विकासपुरूष ने सूबे के मुखिया की शपथ ली थी। जिसके बाद पहलवान पर रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग ने प्रकरण दर्ज किया था। सरकारी निधि के दुरूपयोग का। इस प्रकरण ने अपने पहलवान को अंदर तक हिला दिया था। अब उसी प्रकरण में संभवत: खात्मा पेश होने वाला है। ऐसा हम नहीं, बल्कि अपने कमलप्रेमी दबी जुबान से बोल रहे है। फैसला वक्त करेगा? कमलप्रेमियों की बात सच है या झूठ? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मार्गदर्शक मंडल ...
अभी तक कमलप्रेमी संस्था में ही मार्गदर्शक मंडल की बात सुनाई देती थी। लेकिन अब पंजाप्रेमी संस्था में भी इसकी चर्चा होने लगी है। हालांकि बात हंसी-मजाक में हुई है। किन्तु सरकारी विश्रामगृह में मार्गदर्शक मंडल शब्द का जिक्र हुआ है। जिक्र करने वाले कोई साधारण पंजाप्रेमी नहीं है। बल्कि सूबे के पूर्व मुखिया है। जिनको पंजाप्रेमी राजासाहब बोलते है। वह पिछले सप्ताह आये थे। बतिया रहे थे। अपने बिरयानी नेताजी और कामरेड (जिनको गजनी भी बोला जाता है) सहित कई पंजाप्रेमी मौजूद थे। तभी उन्होंने व्यंग्य किया। एक मार्गदर्शक मंडल बना देते है। संरक्षक बिरयानी नेताजी और अध्यक्ष कामरेड (गजनी जी) को बना देते हैं। जिसे सुनकर वहां मौजूद सभी मुस्कुरा दिये। मगर अपने कामरेड ने पलटकर जवाब दिया। मैं आपसे छोटा हूं। ऐसा अपने पंजाप्रेमी बोल रहे है। किन्तु हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
सलाहकार ...
राजनीति में उच्च पद पर पहुंचने के लिए एक सच्चा और सही सलाहकार होना जरूरी है। जो कि पर्दे के पीछे रहकर हमेशा कडवा बोले, मगर सही सलाह दे। केवल मीठी वाणी और सहजता से ही राजनीति में काम नहीं चलता है। साम-दाम-दंड-भेद-नीति का ज्ञान भी आवश्यक है। इतनी सी बात अपने प्रथमसेवक को समझ नहीं आ रही है। तभी तो अपनी मंत्रिपरिषद को भंग नहीं कर रहे है। उनको इंतजार है। उन नामों की सूची का। जिन्हें भावी मंत्रिमंडल में शामिल करना है। जबकि यह कटू सत्य है। उनको भंग करने से पहले ऐसी कोई सूची नहीं मिलने वाली है। अगर वह अपनी केबिनेट तत्काल भंग कर दे। उसके बाद नाम मिल जायेंगे। जिन्हें टीम में शामिल करना है। मगर प्रथमसेवक, अपने सलाहकार के कारण ऐसा नहीं कर रहे है। यह हम नहीं बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस....उनकी और उनके सलाहकार की सोच पर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।