09 जनवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

पहला पाप ...
2023 नये साल का पहला दिन। इस पहले दिन ही अगर पाप हो जाये। वह भी महाकाल भक्तों के साथ। उन भक्तों के साथ जो आस्था और विश्वास के साथ आये थे। यही सोचकर कि ... दर्शन व्यवस्था बेहतर होगी। इस कडकडाती ठंड में उनको ज्यादा देर नंगे पांव नहीं चलना होगा। मगर उनकी आस्था पर चोट हो गई। नंगे पैर भी चले और वापसी पर जूते-चप्पल भी नहीं मिले। ऐसा 1-2 या 100 भक्तों के साथ नहीं, बल्कि अनेक भक्तों के साथ हुआ। अब नंगे पैर लौटते हुए इन भक्तों के दिल से क्या निकला होगा? निश्चित ही दुआ तो कदापि नहीं। बद्दुआ-बद्दुआ-बद्दुआ। साल के पहले दिन ही अनगिनत बद्दुआ। अपने भक्तों को दु:खी देखकर, क्या बाबा महाकाल प्रसन्न हुए होंगे? क्या ... बाबा इस अव्यवस्था के दोषी को दण्ड देंगे? ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
अनुमति ...
बाबा के दरबार में अलसुबह आरती होती है। जिसे भस्मार्ती बोला जाता है। जिसमें शामिल होने का नियम है। ऑनलाइन आवेदन। जिसके बाद अनुमति मिलती है। रात 9 बजे बाद यह बुकिंग बंद हो जाती है। इसके बाद अनुमति नहीं मिलती है। बोला तो यही जाता है। लेकिन पिछले सप्ताह यह नियम टूट गया। मंदिर के गलियारों में चर्चा है। मध्यरात्रि के करीब 7 लोगों की अनुमति जारी हुई। जिसके लिए राजधानी से प्रेशर आया था। रात 12 बजे बाद अनुमति बनी। लेकिन किसके इशारे पर बनी? यह बताने को कोई तैयार नहीं है। इसको लेकर सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कौन बनेगा ...
जिले का नया कलेक्टर कौन होगा? इसको लेकर संकुल के गलियारों में सुगबुगाहट सुनाई दे रही है। मगर इसके पहले यह भी बोला जा रहा है। अपने उम्मीद जी इस साल मई माह में 3 साल पूरे कर लेंगे। इसलिए उनका अब जाना तय है। किन्तु उनकी जगह कौन आयेगा। इसको लेकर 1 नाम की सुगबुगाहट दबी जुबान से सुनाई दे रही है। जिनके नाम की चर्चा सुनाई दे रही है। उनको चुप रहेंगे के पाठकगण ... रहस्यमय मुस्कान के नाम से जानते है। संभाग के एक जिले में अपनी सेवाएं भी दे चुके है। इसके पहले उज्जैन में रहते हुए सिहंस्थ 2016 भी करवा चुके है। इनसे सभी कमलप्रेमी अच्छी तरह परिचित है। मिशन-2023 के लिए कमलप्रेमियों को ऐसे ही अधिकारी की जरूरत है। देखना यह है कि संकुल के गलियारों में चल रही चर्चा पर मोहर लगती है या नहीं। वैसे हम बता दे कि बाबा की नगरी में 2 दफा सेवा करने का अवसर हमेशा मिलता है। फिलहाल हम इस मामले को लेकर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
डर ...
स्वच्छता प्रचार-प्रसार से जुड़ी एक निविदा निकली थी। जिसमें नई कंपनी को सबसे कम दर के चलते काम मिला। उस कंपनी को वर्क आर्डर देना था। लेकिन शिवाजी भवन के अपने अनफिट जी, इतना भी काम नहीं कर पा रहे है। पुरानी ही कंपनी पर मेहरबान है। जबकि भुगतान को लेकर पुरानी कंपनी ने 2022 के अंतिम दिनों और 2023 के 2 दिनों तक अपना काम बंद रखा। इसके बाद भी नई कंपनी को वर्क आर्डर नहीं दिया जा रहा है। ताज्जुब की बात यह है कि पुरानी कंपनी ने लोकायुक्त को भी शिकायत कर दी है। जो कि तथ्यहीन है। मगर, लोकायुक्त के डर के चलते पुरानी कंपनी पर ही मेहरबानी दिखाई जा रही है। इधर इस मामले को लेकर नई कंपनी ने भी उच्च स्तर पर शिकायत करने की तैयारी कर ली है। देखना यह है कि अब दोनों तरफ के डर से अपने अनफिट जी कैसे निपटते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेहरबान ...
बाबा महाकाल कब किस पर मेहरबान हो जाये। यह उनके अलावा कोई नहीं जानता। उनके भक्तगण भी नहीं समझ सकते है। जैसे शनिवार को 50 भक्त नहीं समझ पाये। मामला भस्मार्ती की अनुमति से जुड़ा है। जिसके लिए प्रत्येक भक्त को 200 रूपये शुल्क देना पड़ता है। किन्तु इन 50 भक्तों पर बाबा मेहरबान हो गये। तभी तो ऐन वक्त पर अनुमति वाले पोर्टल पर कुछ खराबी आ गई। नतीजा ... अनुमति तो बनी, मगर राशि नहीं कटी। जिसके चलते हड़कंप मच गया। साफ्टवेयर को तत्काल सुधारना मुमकिन नहीं था। इंदौर का सहारा लेना पड़ता। इसलिए इन सभी भक्तों को बगैर शुल्क चुकाये अनुमति प्रदान की गई। अब बाबा मेहरबान है तो रोक भी कौन सकता है। तभी तो इस अव्यवस्था पर मंदिर वालो ने चुप्पी साध ली। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गलतफहमी ...
अपने दमदमा के कमलप्रेमियों को गलतफहमी हो गई है। जिसका कोई इलाज नहीं है। मगर, इन कमलप्रेमियों को सच बताना जरूरी है। ग्रामीण विकास विभाग का मामला है। निर्वाचित कमलप्रेमियों ने पिछले सप्ताह बगावत कर दी। नारे भी लगा दिये। अपने उम्मीद जी को ज्ञापन भी दे आये। अपनी घमंडी मैडम के खिलाफ। इन सभी को लग रहा है। अब कार्रवाई होगी। मगर ... यह इनकी गलतफहमी है। पिछले साल सर्किट हाऊस पर भी प्रभारी मंत्री को शिकायत की थी। अपने लेटरबाज जी ने। अपनी घमंडी मैडम की। इसके अलावा अपने बडबोले नेताजी तो विधानसभा में सवाल लगा चुके है। मगर कोई भी बाल- बांका नहीं कर पाया। तो पंचायत सदस्यों की शिकायत को, अगर दमदमा के गलियारे में बैठने वाले, गलतफहमी बोल रहे है। तो गलत क्या है। उनकी बात में दम है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
टेढ़़ो-टेढ़ो जाय ...
संतश्री रहीमदास जी का दोहा है। प्यादे से फरजी भयो... टेढ़ो-टेढ़ो जाय। जिसका अर्थ यह है कि ... जब ओछे लोग प्रगति करते है। तो बहुत ज्यादा इतराते है। वैसे ही, जैसे शतरंज की बिसात में प्यादा बहुत अहमियत नहीं रखता, लेकिन वही प्यादा जब फरजी बन जाता है तो टेढ़ी चाल चलने लगता है। यह दोहा इन दिनों शिवाजी भवन में खूब सुनाई दे रहा है। इशारा ... अभी-अभी कार्य विभाजन में पॉवरफुल बने एक अधिकारी की तरफ है। जिनसे कभी अपने पपेट जी ने सभी अधिकार छीन लिये थे। मगर, अपने अनफिट जी ने इस प्यादे को फिर पॉवरफुल कर दिया है। नतीजा ... प्यादे जी अब टेढ़ी चाल चल रहे है। अनाप-शनाप... सोशल मीडिया ग्रुप पर लिख रहे है। अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्देश दे रहे है। तभी तो शिवाजी भवन वाले... टेढ़ो-टेढ़ो जाय... बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
शौक ...
हर इंसान का अपना शौक होता है। आम इंसान कही भी, खुलकर अपना शौक पूरा कर लेता है। मगर राजनीति में अगर आगे बढऩा है। तो अपने शौक को चोरी-छुपे पूरा करना होता है। चौराहे पर खड़े होकर ... सिगरेट ... फूंकना राजनीति में भविष्य खराब कर सकता है। इन दिनों युवा कमलप्रेमी इस शौक की चर्चा चटकारे लेकर कर रहे है। घटनास्थल नानाखेड़ा चौराहा बताया जा रहा है। रात करीब 10:45 पर युवा कमलप्रेमी मुखिया चाय के मजे ले रहे थे। उनके हाथ में एक सिगरेट थी। जिसके कश लगाकर वह ठंड भगा रहे थे। यह नजारा कुछ युवा कमलप्रेमियों ने देख लिया। जिसके बाद एक जुबान से दूसरे जुबान तक इस शौक की चर्चा फैल गई। अब इस चर्चा में कितना सच है और कितना झूठ। फैसला खुद युवा कमलप्रेमी कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
असर ...
करणी सेना ने आज राजधानी में ताकत दिखाई। मगर उसका असर एक दिन पहले ही शनिवार को दिखा। इसी दिन कमलप्रेमी संगठन के मुखिया का आगमन हुआ था। जिनको हर कमलप्रेमी ... भाई साहब-भाई साहब ... ही कहता है। उन पर करणी सेना का असर साफ-साफ नजर आया। उन्होंने जब-जब मौका मिला, करणी सेना का उल्लेख किया। कमलप्रेमियों की बात अगर माने तो ... भाई साहब ... दिन भर करणी सेना को कोसते रहे। फिर राजधानी के लिए निकले। लेकिन देवास से उनको इंदौर जाना पड़ा। वजह ... रास्ता जाम था। इधर रविवार को प्रदर्शन सफल रहा। तो अब कमलप्रेमी इसका असर दक्षिण में भी बता रहे है। चर्चा है कि ... मिशन-2023 में दक्षिण से एक प्रत्याशी करणी सेना खड़ा कर सकती है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
गिफ्ट ...
शादी-ब्याह में अक्सर गिफ्ट दिये जाते है। दस्तूर भी है। मगर, शादी से पहले ही गिफ्ट देना? वह भी छोटा-मोटा नहीं? सीधे 20 पेटी से ऊपर का। खुद होने वाले दुल्हे की पसंद का। ऐसी किस्मत बहुत कम लोगों की होती है। मगर एक प्रॉपर्टी ब्रोकर के लिए ऐसा ही गिफ्ट बुक करवाया गया है। प्रॉपर्टी ब्रोकर को यह गिफ्ट देने वाले शहर के एक नामी-गिरामी बिल्डर है। जो कि बालाजी भगवान के कट्टर भक्त है। यह गिफ्ट आगर रोड पर विकसित हो रही एक कालोनी के लिए दिलवाया गया है। जिनको गिफ्ट दिया है। उनकी योग्यता यह है कि ... वह अपने वजनदार जी के करीबी है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। सच-झूठ का फैसला, कमलप्रेमी और हमारे पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चलते-चलते ...
रविवार को एक पत्रकार-वार्ता हुई। जिसके बाद पंजाप्रेमियों में किसी शायर का यह अशआर सुनाई दिया। घर की बाते, घर के बाहर, घरवाले ही करते हैं / अकसर घर बर्बाद हुए हैं घरवालों की साजिश में...! अब पंजाप्रेमियों की बात में दम है, लेकिन हमको तो चुप ही रहना है।