24 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

24 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे)

असर ...

अपने मामाजी बहुत खुश है। उनकी योजना लाडली बहना का असर अभी-अभी आमसभा में दिखा। लाडली बहनाओं की भीड खूब नजर आई। तभी तो उन्होंने यह सवाल किया। बदबूवाले शहर में। अपने उत्तम जी से। जब कार्यक्रम खत्म हुआ था। मामाजी प्रफुल्लित थे। उन्होंने सीधे अपने उत्तम जी से पूछा। लाडली बहना का असर दिख रहा है। अपने उत्तम जी ने ... जी हां... कहा और चुप हो गये। मामाजी की बात सच है। इसलिए हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मददगार कौन ...

वर्दी को सफलता मिली है। 28 पेटी कीमत की बियर पकडने में। बदबू वाले शहर मेंजिसके लिए बधाई। लेकिन अगर यह ट्रक बारिश के कीचड में नहीं फंसता, तो वर्दी को पता ही नहीं चलता। अंदरखाने की खबर है। ट्रक कीचड में फंस गया था। जिसके बाद किसी स्थानीय प्रभावशाली मददगार को फोन गया। उसने तत्काल जेसीबी भेजी। इसी दौरान किसी ने मुखबिरी कर दी। वर्दी को बता दिया। फलां जगह पर ... देर रात को ट्रक निकालने में जेसीबी की मदद ली जा रही है। बस फिर क्या था। वर्दी पहुंच गई और सफलता मिल गई। मगर सवाल यह है कि शराब तस्कर की मदद कौन प्रभावशाली कमलप्रेमी कर रहा था। जिसको लेकर बदबूवाले शहर में चर्चा है। मददगार कौन? जिसको लेकर वर्दी चुप है। तो हम भी चुप हो जाते है।

जलन ...

हर इंसान में जलन होती है। मगर कमलप्रेमियों में कुछ ज्यादा होती है। ऐसा बदबूवाले शहर के कमलप्रेमी बोल रहे है। उदाहरण भी दे रहे है। मामाजी के आगमन से पहले यह जलन खुलकर नजर आई। एक-दूसरे के पोस्टर फाडे गये। रात के अंधेरे में। इस जलन का असर प्रशासन पर पडा। नतीजा प्रशासन को बीच में कूदना पडा। चारो नेताओं को बुलाकर अलग-अलग बात की गई। फिर इलाके बाँट दिये गये। तब जाकर नेताओं की जलन कम हुई। जिसके लिए जिला प्रशासन को धन्यवाद देकर, हम अपनी आदत  के अनुसार चुप हो जाते है।

सफेद झूट ...

झूट कई प्रकार के होते है। जो आम जनता, जिसमें अपुन भी शामिल है, अकसर बोलते है। लेकिन सफेद झूट बोलने की महारत केवल नेताओं में होती है। जिसमें अपने कमलप्रेमी नेता अव्वल है। तभी तो अपने मामाजी के सामने खुलकर सफेद झूट बोलते रहे। बदबूवाले शहर की घटना है। जहां मामाजी भीड देखकर गदगद हो गये थे। इसका फायदा नेताओं ने उठाया। अपने मामाजी को बताना शुरू कर दियामैं इतनी भीड लाया- मैं इतनी भीड लाया... वह भी आंकड़े सहित। जिसका योग 2 लाख बन रहा था। जबकि असली आंकड़ा 25 हजारी था। बेचारे ... अपने मामाजी इस सफेद झूट को सुनकर चुप हो गये। मगर हमको डॉ. वसीम बरेलवी की याद आ गई। जिन्होंने खूब लिखा है। वो झूट बोल रहा था बड़े  सलीके से/ मैं ऐतबार ना करता तो और क्या करता ...। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

उगरानी ...

पिछले सप्ताह एक जनप्रतिनिधि का जन्मदिन मनाया गया था। बहुत धूमधाम से। एक निजी होटल में। जिले भर के कमलप्रेमी आये थे। इसी दिन अपने लेटरबाज जी का भी जन्मदिन था। जो उन्होंने कमलप्रेमी मुख्यालय पर मनाया था। मगर जिस जनप्रतिनिधि का जन्मदिन होटल में मनाया गया। उसमें खर्च भी हुआ। जिसके लिए कई अधिकारियों के पास फोन गये। जन्मदिन के बहाने उगरानी की गई। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी से लेकर अधिकारी कर रहे है। अब धुंआ उठा है तो आग भी लगी होगी। देने वाले दबी जुबान से बोल रहे है और लेने वाले चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अनुरोध ...

अभी-अभी तबादला सूची आई थी। जिसमें दाल-बिस्किट वाली तहसील के आईएएस साहब हिट-विकेट हो गये। जिसके बाद वह दु:खी है। होना भी चाहिये। कारण ... उनके साथियों को फील्ड में पोस्टिंग मिल गई, जबकि उनको लूप-लाइन में पदस्थ कर दिया गया। नतीजा ... राजधानी गये थे। अनुरोध करने। प्रमुख सचिव मैडम से। मुझे भी फील्ड में पदस्थ कर दो। मगर मैडम ने यह कहकर टरका दिया। मैने, तुम्हे अपने पास बुलाया है। जाने से पहले आईएएस साहब अपने उत्तम जी से भी मिले। उनसे भी अनुरोध किया। अभी कार्यमुक्त नहीं करने का। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारो में सुनाई दे रही है। झूट- सच का फैसला हमारे पाठकगण खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मालामाल- कंगाल ...

भरतपुरी के तीसरे माले पर चर्चा है। दगाबाज मालामाल- दोस्त कंगाल। इशारा अपने दगाबाज लाला जी की तरफ है। जिनके शिकार उनके परम स्वजातीय सखा हुए है। बेचारे अभी तक पदस्थापना के लिए चक्कर लगा रहे है। पडोसी संभागीय मुख्यालय पर। कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पिछले 6 महीने से वेतन के लाले पडे हुए है । कंगाल हो चुके है। इधर दगाबाज लालाजी 2 संभाग के प्रभारी है। अहिल्या व महाकाल नगरी के। इसलिए खूब मालामाल हो रहे है। तभी तो उन्होंने भूमि अधिपति अंगारेश्वर की कृपा से उस क्षेत्र में जमीन खरीद ली है। जहां पर बाबा अंगारेश्वर विराजमान है। भरतपुरी के तीसरे माले के कर्मचारी तो यही बोल रहे है। उनकी बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

दूध के धुले ...

इस शीर्षक का अर्थ तो हमारे पाठक जानते हैदूध के धुले उनको कहा जाता है। जो बहुत शरीफ होते है। जिनका शहर में मान-सम्मान होता है। लेकिन अगर इन दूध के धुलो की सच्चाई उजागर हो जाये। तो पूरा शहर इन पर थू-थू करेगा। क्योंकि इनकी हरकते शर्मसार करने वाली होती है। रात के अंधेरे में। दूध के धुले नाम से एक ग्रुप है। जिसमें करीब 2 दर्जन प्रतिष्ठित लोग शामिल है। यह लोग हर 2-3 महीने में पार्टी करते है। देर रात पार्टी। जिसमें शराब और शबाब का जो प्रदर्शन होता है। वह हम लिख नहीं सकते हैं। शनिवार- रविवार की रात में भी ऐसी ही एक पार्टी थी। एक होटल के बेसमेंट में। जिसमें दूध के धुले लोग शामिल थे। सुबह तक पार्टी चली। ऐसी चर्चा शहर के धनाढ्य वर्ग में सुनाई दे रही है। इधर इन दूध के धुले लोगो का कहना हैवर्दी इनका कुछ भी बिगाड नहीं सकती है। उनकी बात में दम है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।  

नोटिस ...

अपने शिवाजी भवन के मुखिया को जल्दी ही नोटिस मिल सकता है। बगैर किसी गलती के। कहावत के अनुसार ... रंडी का दंड फकीर को... की तर्ज पर। मामला अभियोजन स्वीकृति का है। जिसमें 2 सेवानिवृत्त अधिकारी फंसे हुए है। आरएमविनो बिल्डिंग और जीआईएस सर्वे में। दोनों की अभियोजन स्वीकृति पर कुंडली मार कर बैठे है। अपने प्रथमसेवक और उनका मंत्रिमंडल। जिसको लेकर रंगे हाथो पकडने वाला विभाग नाराज है। तभी तो नोटिस जारी होने की सुगबुगाहट है। देखना यह है कि नोटिस जारी होने के बाद शिवाजी भवन के मुखिया का क्या जवाब होता है। क्योंकि वह 2 दफा प्रस्ताव भेज चुके है। किन्तु भ्रष्टों को बचाने में प्रथमसेवक ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। अब फैसला वक्त करेगा, प्रथमसेवक इन भ्रष्टों को कितना बचा पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नाराजगी ...

रविवार को वैसे तो अवकाश होता है। लेकिन अपने उत्तम जी के लिए हर दिन सोमवार जैसा होता है। इसलिए आज दौरा कर लिया। उस मंदिर का, जहां के देवता सोमरस पीते है। व्यवस्थाएं देखी। दौरे में अपने स्मार्ट पंडित भी थे। जो उनके निशाने पर आ गये। अपने उत्तम जी ने काम पूरा नहीं होने पर तल्ख लहजे में नाराजगी दिखा दी। वैसे भी इन दिनों अपने स्मार्ट पंडित के ग्रह खराब चल रहे है। हर कोई स्मार्ट पंडित पर प्रहार कर रहा है। फिर चाहे प्रथमसेवक हो या पंजाप्रेमी। ऐसे में हमारी सलाह है। अपने स्मार्ट पंडित को कुंडली जरूर दिखवानी चाहिये। बाकी उनकी मर्जी...! तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गायब ...

वैसे तो अपने उत्तम जी की इजाजत बगैर किसी को भी मुख्यालय छोड़ने के हक नहीं है। लेकिन एक अधिकारी अकसर शुक्रवार की शाम से गायब हो जाते है। राजधानी स्थित अपने निवास पर निकल जाते है। यह स्मार्ट व उविप्रा के उच्च अधिकारी है। जो कि शनिवार को भी गायब थेजब रात में मंदिर के अंदर पानी भर गया था। रविवार को भी अपने उत्तम जी के दौरे में नजर नहीं आये। जबकि शिवाजीभवन के मुखिया, स्मार्ट पंडित, ईमानदार मैडम मौजूद थी। अब इस अधिकारी को यह विशेष सुविधा क्यों हासिल है। इसको लेकर सवाल उठ रहे है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

ससुराल ...

हर इंसान को अपनी ससुराल से प्यार होता है। होना भी चाहिये। मगर इस कदर प्यार कि ... काली कमाई से खरीदी गई संपत्ति उनके नाम से खरीदी जाये। ऐसा प्यार बहुत कम देखने को मिलता है। एक ग्राम देवता ने यही किया है। सास-ससुर-साली और साले के नाम से संपत्ति खरीदी है। जयसिंहपुरा क्षेत्र में। उस वक्त, जब वह कस्बे के ग्राम देवता थे। इस दौरान उन्होंने खूब कमाई की। ऐसा हम नहीं, उनके साथी ग्राम देवता बोल रहे है। हम पाठकों की सुविधा के लिए खुलासा कर दे स्व. व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने लिखा था। पटवारी ग्राम का देवता होता है। अब ससुराल से इतना प्यार करने वाला ग्राम देवता कौन है? इसको लेकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

टॉपर ...

अभी पिछले दिनों एक परीक्षा हुई थी। प्रशासनिक संकुल में। निर्वाचन के प्रश्नो को लेकर। जिसकी टॉपर अपनी ईमानदार मैडम थी। उनको लेकर एक कमलप्रेमी नेताजी एक किस्सा सुना रहे है। जो कि अपनी ईमानदार मैडम के न्यायालय से जुड़ा है। कमलप्रेमी नेताजी ने आवेदन दिया था। 1 मार्च को 2023 को। भाडा नियंत्रण और मकान खाली करवाने को लेकर। प्रकरण दर्ज हुआ। पेशी शुरू हुई। 3 महीने तक पेशी चलती रही। जब आदेश का वक्त आया। तो अपनी ईमानदार मैडम को पता चला। यह मामला तो नगर का नहीं, कोठी महल का है। तो प्रकरण ट्रांसफर कर दिया गया। अब कमलप्रेमी नेताजी अपनी ईमानदार मैडम के टॉपर होने का गुणगान करते फिर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

मेरी पसंद ...    

तेरे इश्क में मरने का इरादा भी नहीं है/ इश्क है, मगर इतना ज्यादा भी नहीं है।