17 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

17 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे)

नहीं आ सकता ...

सावन की पहली सवारी के 1 दिन पहले की घटना है। जब अपने उत्तम जी और कप्तान जी सवारी मार्ग का निरीक्षण करके लौटे थे। उसके बाद अपने वजनदार जी ने आकर हेकड़ी दिखाई थी। अपने उत्तम जी ने पलटकर जवाब दिया था। उसी दौरान एक और घटना हुई थी। अपने वजनदार जी ने कप्तान जी से कहा था। आप भी साथ चलिये। लेकिन अपने कप्तान जी ने साफ कह दिया। मैं नहीं आ सकता। मुझे बैठक करनी है। जिसके बाद अपने कप्तान जी तत्काल निकल गये। उनके जाते ही वहां मौजूद वर्दी वाले भी धीरे-धीरे गायब हो गये। ऐसा वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

आखिरी जन्मदिन ...

शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक गलत अर्थ नहीं निकाले। क्योंकि हमारी और कमलप्रेमियों की दिली इच्छा है। अपने वजनदार जी शतायु हों तभी हमने लिखा कि गलत अर्थ नहीं निकाले। दरअसल अपने कमलप्रेमियों का इशारा दूसरी तरफ है। कमलप्रेमियों में चर्चा है कि ... वजनदार जी का इस पद पर रहते हुए यह आखिरी जन्मदिन है। अगले साल जब उनका जन्मदिन आयेगा तो वह इस पद पर नहीं रहेंगे। बल्कि उनका राजनीतिक वनवास शुरू हो जायेगा। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस ... अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

दगाबाज ...

हर इंसान को जिन्दगी में सभी रिश्ते बने-बनाये मिलते है। मगर एक रिश्ता इंसान खुद बनाता है। जिसे दोस्ती कहते है। लेकिन कोई दोस्त दगाबाज निकल  जाये। तो उस दोस्त की क्या हालात होती है। अगर यह पता करना है। तो भरतपुरी क्षेत्र स्थित एक शासकीय कार्यालय घूमकर आ जाये। जो कि परिवहन कार्यालय के तीसरे माले पर स्थित है। इस कार्यालय में इन दिनों दगाबाजी की खूब चर्चा है। जिसकी वजह यह है। यहां पदस्थ होने के लिए अधिकारी ने अपने 25 साल  पुराने दोस्त को दगा दे दिया। दोनों ही दोस्त स्वजातीय है। लेकिन दगाबाज लाला अधिकारी ने अपने दोस्त की पीठ पर छुरा घोप दिया। नतीजा ... दगाबाज लाला अधिकारी का असली चेहरा सामने आ गया है। ताज्जुब की बात यह है कि दगाबाज लाला अधिकारी इंदौर-उज्जैन संभाग के मुखिया है और दोनों हाथ से माल कूट रहे है। जबकि उनका दोस्त हर जगह यही बोल रहा है कि ... दोस्ती टूटना अब अंजाम हो चुकी है/ दगाबाजी दोस्ती का दूसरा नाम हो चुकी है। दोस्त की पीडा सही है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

आलोट या तराना ...  

स्कूल चले अभियान की वीसी थी। प्रशासनिक संकुल में। अपने विकास पुरूष, वजनदार, बडबोले नेताजी और उत्तम जी मौजूद थे। तब अपने विकास पुरूष ने वजनदार जी को छेड़ा। अब तो चुन लो... आलोट या तराना। बेचारे वजनदार जी ने अपनी झेंप मिटाने के लिए कहा। मैं तो सभी जगह काम करता हूं। वजनदार जी का जवाब सुनकर अपने विकास पुरूष मुस्कुरा दिये। मगर वहां मौजूद सभी इशारा समझ गये। विकास पुरूष क्या कहना चाह रहे थे। देखना यह है कि वजनदार जी क्या चुनते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नागदा या महिदपुर ...

उसी वीसी की यह दूसरी घटना है। अपने उत्तम जी के कान में अपने बडबोले नेताजी धीरे-धीरे फुसफुसा रहे थे। जिसे सुनकर अपने उत्तम जी मुस्कुरा रहे थे। जिसको लेकर कयास लगाये जा रहे है। मामला नागदा जिला बनेगा या महिदपुर से जुड़ा हो सकता है। अपने बडबोले नेताजी ने कसम खा रखी है। जिला मुख्यालय तो महिदपुर ही रहेगा। इधर 20 जुलाई को मामाजी का आगमन हो रहा है। घोषणा हो सकती है या फिर इस लड़ाई चलते मामला टल सकता है। मगर यह तय है कि ... आलोट को नये जिले में शामिल किया जा सकता है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। किन्तु हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

वाकई चक्रम ...

कमलप्रेमियों को बिलकुल अंदाजा नहीं था। कभी ऐसा भी होगा। वह भी अपने विकास पुरूष के होते। क्योंकि उनको विक्रम- इतिहास का जानकार माना जाता है। ऐसे में उनके अधीन आने वाला विक्रम, वाकई ... चक्रम निकलेगा। इसका अंदाजा किसी को नहीं था। वजह ... विकास पुरूष विजनरी नेता है। इसके बाद भी उनकी नाक के नीचे पीएचडी कांड हो गया। जबकि विभाग के मुखिया के साथ-साथ यह उनका गृह जिला है। उनके कई जासूस चक्रम में मौजूद है। पल-पल की खबर देते है। ऐसे में उनको इस कांड की भनक नहीं होगी। इसको कमलप्रेमी मानने को तैयार नहीं है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

तैयारी ...

संभाग के एक जिले में बड़ा कांड हुआ है। सिटी बस कांड। जिसमें एक डिप्टी कलेक्टर फंस गये है। अपनी लालची प्रवृति के कारण। मां-चामुंडा नगरी का यह मामला है। प्रकरण दर्ज होते ही तत्काल उनको हटा दिया गया। लेकिन एक नया मामला जल्दी सामने आ सकता है। जिसमें भी प्रकरण दर्ज होगा। यह मामला भू-दान योजना से जुड़ा है। स्व. आचार्य विनोबा भावे ने भू-दान आंदोलन चलाया था। जिसमें जमीन दान करने पर सरकारी हो जाती है। मां -चामुंडा की नगरी में किसी ने भू-दान किया था। जमीन राजस्व विभाग की हो गई थी। मगर एसडीएम साहब ने इस जमीन को निजी घोषित कर दिया। जिसकी शिकायत हो चुकी है। मामला जांच में है और जल्दी ही प्रकरण दर्ज होगा। ऐसी सुगबुगाहट अधिकारियों के बीच सुनाई दे रही है। अब जो जैसा करेगा-वैसा भरेगा... बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गौरव ...

अपने उत्तम जी ने जिले का गौरव बढ़ाया है। देश की प्रथम नागरिक से पुरूस्कार लेने जा रहे है। वाकई यह गौरव की बात है मगर जिले के एक और आईएएस अफसर है। जिन्होंने प्रदेश की राजधानी में जिले का गौरव बढ़ाया है। यह बात अलग है कि उनका गौरव, भ्रष्टाचार से जुड़ा है। तभी तो प्रदेश के चर्चित कॉलम ... नारदमुनि... में उनको जगह मिली है। मामला इनोवा वाहन अपने निजी काम के लिए लेकर, बाबू के खाते में राशि डलवाने से जुड़ा है। जिसकी शिकायत हुई है और रिपोर्ट मांगी है। यह आईएएस अधिकारी अपनी दाल-बिस्किट वाली तहसील में पदस्थ है। इनके कारनामों के चलते अपने मामाजी ने फिलहाल दाल-बिस्किट वाली तहसील में आने से इंकार कर दिया है। अब वह अगले महीने आयेंगे। तब तक भ्रष्टाचार के गौरव आईएएस यहां से विदा हो जायेंगे। ऐसी संकुल के गलियारों में चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

फितूर ...

अपने प्रथम सेवक के दिमाग में फितूर चढ़ गया है। खुद को सबसे अलग दिखाने का। शहर के नागरिक को लगना चाहिये। वह अतिविशिष्ट श्रेणी में आते है। तभी तो उन्होंने बाबा की पहली सवारी में यह नौटंकी दिखाई। जिसे देखकर कमलप्रेमी सहित सभी अधिकारी मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। अपने प्रथम सेवक 6 सुरक्षाकर्मियों से घिरे नजर आ रहे थे। बिलकुल उसी स्टाईल में। जैसे अतिविशिष्ट श्रेणी के नेताओं को सुरक्षा मिलती है। नीला सफारी- आंखो पर काला चश्मा- हाथ में वाकी-टॉकी और कान में ब्लूटूथ लगाये थे सुरक्षाकर्मी। इनके बीच में अपने प्रथम सेवक चल रहे थे। यह सुरक्षाकर्मी आऊट सोर्स एजेंसी के माध्यम से तलब किये गये थे। यह नजारा देखकर कमलप्रेमी चर्चा कर रहे है। जब वह प्रथम सेवक नहीं थे। तब भी सवारी में आते थे और धक्के खाते थे। फिर अब ऐसा क्या हो गया है। जिसके चलते यह अतिरिक्त खर्च आमजनता पर डाला जा रहा है। देखना यह है कि आज निकलने वाली सवारी में अपने प्रथम सेवक का यह फितूर खत्म होता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

स्वीकृति ...

अपने प्रथम सेवक जी को अतिविशिष्ट दिखने का फितूर, जिस अधिकारी ने भी दिमाग में डाला है। उसी अधिकारी से हमारा अनुरोध हैवह अपने प्रथम सेवक के दिमाग में स्वीकृति का भी फितूर डाले। ताकि उनके द्वारा अभियोजन की स्वीकृति दी जा सके। उन 2 भ्रष्ट अधिकारियों की। जो कि सेवानिवृत्त हो चुके है।  इनमें से एक अधिकारी अपने कमलप्रेमी पहलवान के स्वजातीय बंधु है। देवास रोड की बिल्डिंग को लेकर फंसे है। तो दूसरे अधिकारी प्रथम सेवक के जातीय बंधु है। जो कि जीआईएस सर्वे में ज्यादा भुगतान कर चुके है। दोनों पर प्रकरण दर्ज है। बस अभियोजन (मुकदमा) चलाने की अनुमति चाहिये। जिसे अपने प्रथम सेवक दबाकर बैठे है। शिवाजी भवन के मुखिया 2 दफा स्वीकृति के लिए फाईल भेज चुके है। मगर प्रथम सेवक और उनका मंत्रिमंडल दोनों इन भ्रष्टो को बचाने में लगा है। इधर 3 दिन पहले वीसी हुई। राजधानी से सवाल किया गया। अभियोजन स्वीकृति क्यों नहीं मिल रही है। शिवाजी भवन के मुखिया ने सच बता दिया है। अब गेंद शासन के पाले में है। देखना यह है कि अपने प्रथम सेवक अब क्या जुगाड लगाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हमदर्दी ...

वर्दी ही नहीं -हमदर्दी भी। यह स्लोगन अपनी वर्दी की संवेदना को प्रदर्शित करता है। लेकिन बाबा की सवारी में यह स्लोगन चरितार्थ नहीं हो रहा है। वर्दी अपने साथ 10-10 बॉडी- बिल्डरो को लेकर चलती है। जो कि पूरे रास्ते ... सीटी बजा-बजाकर ... ध्वनि प्रदूषण इस कदर करते है कि जनता परेशान हो जाती है। उस पर इन सभी का व्यवहार भी अमर्यादित होता है। जबकि अपने कप्तान जी, मर्यादित रहते हुए, सभी को हमदर्दी भी दिखाते है। उम्मीद है कि आज निकलने वाली बाबा की सवारी में ... वर्दी ... अपनी हमदर्दी ... का स्लोगन याद रखेगी। उसके लिए हम अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नोटशीट ...

राजधानी की एक बेवसाइट ने खुलासा किया है। अपने विकास पुरूष की एक नोटशीट का। जिसमें चुनावी फंड उगाने का उल्लेख है। जिसके लिए अपने विकास पुरूष ने जनवरी 2023 से लेकर अब तक हुए टेंडरो की फाईल तलब की है। जिसके लिए बकायदा नोटशीट लिखी गई। इस नोटशीट के बाद उनके विभाग के ठेकेदारो में हड़कंप मच गया है। इधर ठेकेदारो के पास फोन भी  आना शुरू हो गये। आकर मुलाकात कर लो। वरना जांच शुरू हो जायेगी। द-सूत्र का ऐसा कहना है, लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अवकाश ...

स्कूल चले अभियान के तहत भले ही आज दूसरी सवारी पर सभी स्कूल चालू है। लेकिन तीसरी सवारी के दिन सभी स्कूलो में अवकाश रहेगा। पहली सवारी के समय जो आदेश निकला था। रविवार को चालू- सोमवार को बंद... पूर्ववत लागू हो जायेगा। ऐसी चर्चा शिक्षा विभाग के गलियारों में सुनाई दे रही है। फैसला तीसरी सवारी पर होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

प्रदेश की राजधानी से एक उच्चाधिकारी का आगमन हो रहा है। जो बाबा के दर्शन के लिए आ रहे है। इस अधिकारी को लेकर प्रशासन हाईअलर्ट पर है। कारण ... इनको संकुल के गलियारों में बुलेट जी के नाम से जाना जाता है। देखना यह है कि आरती में बुलेट जी कितनी गोलियां चलाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।