03 जून 2024 (हम चुप रहेंगे)
अंधेरा ...
इस कहावत से सभी वाकिफ है। चिराग तले हमेशा अंधेरा होता है। संकुल के गलियारों में इन दिनों यह कहावत सुनाई दे रही है। इशारा फायर सेफ्टी की तरफ है। इन दिनों इसका बड़ा हल्ला मचा हुआ है। 2 जगह दबिश देकर फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच हो चुकी है। मगर संकुल में लगे फायर सेफ्टी की जांच कब होगी? 2 दफा तो दूसरे माले के मुखिया आदेश दे चुके है। फायर सेफ्टी उपकरणों की जांच के लिए। ड्रिल भी होनी थी। मगर आज तक कुछ भी नहीं हुआ है। तभी तो चिराग तले वाली कहावत को याद किया जा रहा है। देखना यह है कि कब संकुल में लगे उपकरणों की जांच होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गाज ....
तो आखिरकार गाज गिर ही गई। दूसरे माले के मुखिया ने साबित कर दिया। वह भ्रष्टाचार को पसंद नहीं करते है। इसके बाद भी नायब तहसीलदार अपनी जेब गर्म करने की आदत से बाज नहीं आ रहे थे। यह सच दूसरे माले के मुखिया को पता चल गया। नतीजा उन्होंने राजस्व विभाग की लाज बचाने के लिए न्यायालय का निरीक्षण करवा लिया। युवा आईएएस से। जिसके बाद वही हुआ। जिसकी उम्मीद संकुल के हर अधिकारी को थी। नायब तहसीलदार पर गाज गिर गई। जिसके लिए बधाई देकर, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पदनाम ....
हमारे पाठक हमसे ज्यादा समझदार है। वह पदनाम का अर्थ समझते है। मगर संकुल में बैठकर जिले को चलाने वाले शायद पदनाम का अर्थ नहीं समझते। ऐसा हम नहीं, संकुल में बैठने वाले कर्मचारी बोल रहे है। तभी तो मतगणना स्थल के लिए छापे गये कार्ड में नाम और पदनाम की गलती कर बैठे। जिस विभाग को यह काम दिया था। उसने नाम और पदनाम में कोई अंतर नहीं समझा। नतीजा जो कार्ड छपकर आये। उसमें नाम की जगह पदनाम छपा है। जिसे अब कर्मचारी ब्लैक पेन से काट-काटकर नाम बना रहे है। ताज्जुब की बात यह है कि संकुल में एक से बढ़क़र एक बुद्धिमान अधिकारी बैठते है। मगर यह कुछ नहीं देखते है। तभी तो पदनाम वाली गलती हो गई। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
इंतजार ...
अपने कूल जी को इंतजार है। तबादला सूची का। जो कि इस महीने में जारी होगी। इस सूची में अपना नाम जुड़वाने के लिए कूल जी सेटिंग कर चुके है। उनके अलावा एक डिप्टी कलेक्टर भी जाना चाहते है। संकुल के गलियारों में तो यही चर्चा है। वैसे भी अपने दूसरे माले के मुखिया बैठक में बोल चुके है। जिसे नहीं काम करना है, वह अपना ट्रांसफर करवा ले। अपने कूल जी और डिप्टी कलेक्टर ने उनकी बात को मानते हुए जुगाड लगा ली है। अब देखना यह है कि इन दोनों को इंतजार आखिर कब पूरा होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
संकट ...
बिजली संकट से हर कोई परेशान है। आम जनता सोचती है। संकुल में बैठने वाले अधिकारी मजे में है। इनको बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ता। मगर गुरूवार को संकुल में संकट छा गया। दूसरे माले के मुखिया का भी एसी बंद हो गया। इधर कूल जी के आफिस में भी यही हालात थे। इसी दौरान दमदमा के आईएएस भी संकुल पहुंच गये। काम करना जरूरी था। इसलिए मीटिंग हॉल में बैठकर गर्मी से बचते हुए काम निपटाया गया। कारण ... इसी कक्ष के एसी चालू थे। बाकी लोड संकट के चलते एसी ने काम करना बंद कर दिया था। इसलिए यह नहीं सोचे कि केवल जनता परेशान है। अधिकारी भी परेशान है। देखना यह है कि इस संकट से निपटने के लिए अब क्या रास्ता निकाला जाता है। तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नाक में दम ...
चुंबन कांड वाले डॉक्टर साहब याद है। जिनका ऑपरेशन थियेटर में चुंबन लेते हुए वीडियों वायरल हुआ था। जब महाकाल की नगरी में पदस्थ थे। अब यह डॉ. साहब राजधानी में पदस्थ है। मगर वहां बैठकर यहां के स्वास्थ्य मुखिया को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है। कभी कोई जांच दल भेज देते है, तो कभी कोई ना कोई बहाना लगाकर मुखिया को परेशान करते है। ऐसी चर्चा स्वास्थ्य विभाग के गलियारों में सुनाई दे रही है। चुबंन वाले डॉ. साहब को बाबा की नगरी से कुछ ज्यादा मोह है। देखना यह है कि यह मोह आखिर कब खत्म होता है और कब स्वास्थ्य के मुखिया को नाक में दम से राहत मिलती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
विकास की पोटली ...
इस तस्वीर को देखिए। जरा गौर से देखिए। यह तस्वीर आफिसर्स मेस के ठीक सामने की है। यहां से हर रोज आलाधिकारियों का वाहन गुजरता है। मगर किसी की भी नजर आज तक इस पर नहीं गई। इस स्टैंड को अपने विकासपुरूष ने अपनी निधि से बनवाया था। लेकिन आजकल यहां पर किसी भिक्षु का कब्जा है। जिसने ढेर सारी पोटली बनाकर टांग रखी है। जिसे देखकर आमजनता यही बोल रही है। विकास की पोटली। जनता की बात सही है। मगर हमको चुप ही रहना है।
45 सेकेंड ...
अब यह तस्वीर देखिए। जिसमें अपने कप्तान जी पंजा लडा रहे है। 13 वर्षीय बालक से। इस बालक ने 45 सेकेंड तक अपने कप्तान जी के पंजे का दबाव रोके रखा। जिससे कप्तान जी बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने खुलकर इस 13 वर्षीय बालक दक्ष की तारीफ की। तो हम भी दोनों की तारीफ करते हुए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।