02 सितम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

02 सितम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)

सच ...

किसी शायर ने खूब कहा है। कुछ लोग यह सोचकर खामोश बैठे है/ सच बोलेंगे तब, जब सच के दाम बढेंगे...! मगर सच बोलने के लिए हिम्मत चाहिये। जो अपने दूसरे माले के मुखिया के पास भरपूर है। किन्तु सच सुनने की हिम्मत हर किसी में नहीं होती है। जैसा एक बैठक में हुआ। अपने दूसरे माले के मुखिया ने सच बोल दिया। सीधा कटाक्ष किया। सब दलाल है। उनके इस सच को सुनकर हंगामा मचना ही था। राजस्व अधिकारी उस वक्त तो खुलकर नहीं बोले। लेकिन बाद में दलाल शब्द ने वह हंगामा मचाया। जिसकी कल्पना नहीं थी। कोढ में खाज वाली बात तब हो गई, जब दूसरे माले के मुखिया ने सख्त निर्देश दे दिये। कार्रवाई होगी। राजस्व महाअभियान में फिसड्डी रहने वालो पर। बस फिर क्या था। सभी राजस्व अधिकारी एकत्रित हुए। प्रथम तल के एक कक्ष में बैठक हुई। फिर मुलाकात के लिए समय लिया। अपनी समस्या बताई। दूसरे माले के मुखिया ने भी रहमदिली दिखाई। 3 दिन की समय दिया। किन्तु दलाल का सच उजागर करके दूसरे माले के मुखिया ने चुप रहेंगे की खबर पर मोहर लगा दी है। जिसके लिए हम उनको साधूवाद देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दोहा ...

बैठक में दूसरे माले के मुखिया ने दलाल का सच क्या उजागर किया। उसके बाद संकुल के गलियारों में एक दोहा सुनाई दे रहा है। मुखिया मुख सो चाहिये/ खान-पान सो एक ... वाला। जिसके पीछे इशारा दूसरे माले के मुखिया की तरफ है। राजस्व अधिकारी दबी जुबान से बोल रहे है। साहब... हम पर तो नाराजगी दिखाते है .... मगर एक एसडीएम पर मेहरबान है। इस कदर की उनको अवकाश तक मिल जाता है। यह एसडीएम बैठकों से गायब रहते है साहब फोन करके उनको बुला लेते है। लेकिन फटकार के बदले प्यार नजर आता है। यह वही एसडीएम है, जिन्होंने दूसरे माले के मुखिया को अदालत की अवमानना से बचाया था। इसीलिए मेहरबानी उन पर नजर आ रही है। जिसके चलते तुलसी का दोहा सुनाई दे रहा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

सलाह ...

कमलप्रेमियों में चर्चा है। एक सलाह की। जो अपने हाइनेस द्वारा दी गई। एक बैठक में। सलाह अपने गुमसुम युवा के लिए थी। लेकिन सार्वजनिक रूप से दी गई। इस सलाह को सुनकर सभी कमलप्रेमी के चेहरों पर मुस्कुराहट थी।  सलाह यह थी कि ... अब तो अपना घर बसा लो। बाद में तकलीफ होगी। हाइनेस की यह सलाह सुनकर बेचारे गुमसुम युवा क्या करते। वह केवल मुस्कुराकर चुप रह गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

राम मिलाय जोड़ी ...

शीर्षक वाली कहावत तो सुनी होगी। इसका सही उपयोग पिछले महीने अपने बिरयानी नेताजी ने किया। घटना हल्ला-बोल कार्यक्रम वाले दिन की है। पंजाप्रेमी प्रदेश मुखिया अपने साथ चरणलाल जी और बस चालक शहर मुखिया को लेकर गये थे। अपने पंजाप्रेमी बिरयानी नेताजी से मिलने। जहां पर अच्छी भीड थी। सबके सामने बात नहीं हो सकती थी। इसलिए बगल के कमरे में लेकर दोनों को गये। जहां पर अपने बिरयानी नेताजी से दोनों के सिर पर हाथ रखवाया और उनका आर्शीवाद मांगा। अपने बिरयानी नेताजी भी राजनीति के चाणक्य हैउन्होंने बिलकुल खुलकर आर्शीवाद दिया और यह भी कह दिया कि यह तो राम मिलाय जोड़ी है। जिसके बाद पंजाप्रेमी इसके अलग-अलग अर्थ निकाल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

भय ...

अपने दूसरे माले के मुखिया का भय इन दिनों शीर्ष पर है। राजस्व अधिकारी तो डरे- सहमे हुए है। लेकिन इससे ज्यादा भयभीत अपने ग्राम देवतागण है। खासकर शहरी क्षेत्र के। जिनको राजस्व महाअभियान -2 में तरमीम को लेकर परेशानी आ रही है। बेचारे दु:खी है। कैसे ... नक्शे के हिसाब से तरमीम उठाए। एक सिरा संभालते है तो दूसरा सिरा हाथ से खिसक जाता है। खूब जतन कर लिए। बात नहीं बनी, तो राजधानी तक होकर आये। वहां से एक नया नक्शा थमा दिया। अगर उस पर अमल करते है। फिर तो सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो जायेगा। इधर दूसरे माले के मुखिया ने चेतावनी दे डाली। सस्पेंड करने की। नतीजा ग्राम देवतागण दबी जुबान से बोल रहे है। काम किया तो जेल जाना पक्का है। इसलिए जेल जाने से बेहतर है... सस्पेंड होनानिलंबन से तो कभी ना कभी बहाली हो जायेंगी। किन्तु जेल गये तो कैसे निकलेंगे। ग्राम देवताओं की बात में दम है। मगर हम कुछ नहीं कर सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चालान ...

वर्दी अकसर बगैर नंबर के वाहन को पकड लेती है। वर्दी से बचना मुश्किल होता है। चालान भी काट देती है। लेकिन एक डिप्टी कलेक्टर का वाहन शहर के अंदर अकसर नजर आता है। बगैर नंबर का यह वाहन लंबे समय से सड़कों पर दौड रहा हैइस वाहन को देखकर वर्दी इसे रोकती नहीं है। उल्टे सेल्यूट करती है। कारण ... वाहन पर आगे-पीछे एसडीएम लाल अक्षरों में लिखा हुआ है। इसीलिए वर्दी नहीं रोकती है। जिसमें हम क्या कर सकते है। आम आदमी का वाहन होता तो दर्जनों बार चालान कट जाता। अब देखना यह है कि इस वाहन का चालान कटता है या इस पर नंबर लिखाता है। फैसला सोमवार के बाद होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आपदा में अवसर...

सफल राजस्व अधिकारी किसे माना जाता है। उसको, जो आपदा में भी अवसर निकाल ले। मतलब भविष्य के लिए नगदी का इंतजाम कर ले। ऐसा कहना है अपने ग्रामदेवताओं का। जिनको अभी-अभी तरमीम के चक्कर में निलंबित किया गया है। अंदरखाने की खबर है। आपदा में अवसर निकालने वाले राजस्व अधिकारियों ने चुन-चुन कर निलंबन किया है। उन ग्रामदेवताओं का। जो कि भविष्य में बहाली के लिए हरे रंग के कागज अर्पण करेंगे। ऐसा हमारे भरोसेमंद ग्रामदेवताओं का कहना है। बात सच भी है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

इल्जाम ...

वर्दी पर अकसर यह इल्जाम लगता है। उनकी जेब सिली होती है। सीधी भाषा में कहे तो ... आऊटगोइंग नहीं होती... केवल इनकमिंग होती है। लेकिन अपने कप्तान जी इसके उलट है। आंखो देखी घटना है। खबरचियों की संस्था में कार्यक्रम था। मटकी फोड का। जिसमें अपने कप्तान जी भी पहुंचे। वहां पर सुंदर बालिका श्रीकृष्ण बनी थी। जिसे देखकर अपने कप्तान जी ने पहले फोन किया। जिसे फोन किया, उसे कुछ बोला। जिसके बाद एक वर्दीधारी सहायक आया। अपने कप्तान जी को कुछ थमाया। तुरंत वापस हो गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद, कप्तान जी ने बालिका को स्नेह किया और चुपचाप हरे रंग का कागज थमा दिया। जिसके लिए हम अपने कप्तान जी को साधूवाद देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

एडवांस ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। 14 पेटी स्टेशनरी सप्लाई कांड में एडवांस भुगतान किया गया था। सप्लायर से सवा पेटी ली गई थी। उस वक्त सप्लायर को आश्वासन दिया गया था। मिशन-2024 में स्टेशनरी उन्हीं से खरीदी जायेगी। सप्लायर ने भुगतान एडवांस में कर दिया। जिसका फायदा आखिरकार मिला। 14 पेटी की स्टेशनरी खरीदी गई। नियमों की अनदेखी करके। लेकिन अब भुगतान लफडे में पड गया है। फाइल अटक गई है। कारण ... दूसरे माले के मुखिया ने एक्शन लिया है। अब देखना यह है कि एडवांस को कैसे सेट किया जाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

भतीजा ...

पद पर आते ही नाते-रिश्तेदार फायदा उठाने लगते है। अधिकारियों को फोन लगाकर धमकाते है। मैं उनका भतीजा बोल रहा हूं। आकर मिलो। खासकर ग्राम पंचायतों के सचिवों को ऐसे फोन आते है। मामला दाल-बिस्किट वाली तहसील का है। जहां के माननीय सहज और सरल है। उनकी सहजता का फायदा दमदमा ग्रामीण कार्यालय के एक माननीय का भतीजा उठा रहा है। वह खुद को दाल-बिस्किट वाली तहसील के माननीय का भतीजा बताकर फोन करता है। तहसील के अधिकारी-सचिव इस भतीजे से परेशान है। ताज्जुब की बात यह है कि सहज- सरल माननीय को कुछ पता नहीं है। यह उनका कौनसा नया भतीजा है। ऐसा दाल-बिस्किट वाली तहसील के कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गलती ना दोहराएं...

देश सहित जिले के गौरव विकासपुरूष रविवार की शाम आये। उसके पहले अपने कप्तान जी ने फरमान जारी किया। पिछली गलती ना दोहराएं? जिसको लेकर हमने खोजबीन की। तो घटना सामने आई। जो पिछले सप्ताह की है। जब अपने विकासपुरूष आये थे। उस वक्त देवास रोड आरटीओ चौराहे के आगे एक कार्यक्रम था। विज्ञान विषय से जुड़ा। जिसमें विकासपुरूष का काफिला पहुंचालेकिन कारकेड में आगे चलते वाले वाहन दूसरी जगह घुस गये। भविष्यनिधि कार्यालय में। लेकिन अपने विकासपुरूष शहर की हर गली से वाकिफ है। उन्होंने अपने वाहन को कारकेड के पीछे नही लगाया। सीधे कार्यक्रम स्थल पहुंच गये। इस घटना के बाद अपने कप्तान जी का पारा सातवें आसमान पर था। उन्होंने जमकर दोषियों को फटकार लगाई थी। खासकर कारकेड का संचालन करने वालो को। इसीलिए आज उन्होंने आगमन से पहले ही संदेश जारी कर दिया। पिछली गलती ना दोहराएं। जिसका असर भी दिखा। मगर पिछले सप्ताह हुई वर्दी की इस गलती पर हम बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।