05 दिसंबर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
काली-रात ...
पिछले महीने दिवाली थी। रोशनी वाली रात। हर घर में रोशनी थी। किन्तु शिवाजी भवन के 4 कर्मचारियों के लिए यह काली रात थी। चारों कर्मचारी इस रात इंदौर में थे। कानूनी सलाह लेने। कारण रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग ने प्रकरण दर्ज किया था। जो धाराएं लगाई थी। उसके चलते सलाह लेने गये थे। शिवाजी भवन के अधिकृत अधिवक्ता से। अधिवक्ता, आर्मी से रिटायर है। इसलिए धाराएं देखकर साफ-साफ बोल दिया। तुम लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। अपने-अपने फोन बंद करो। घर मत जाओं। अंतरिम जमानत के लिए आवेदन करना होगा। बेचारे ... चारों कर्मचारी डर गये। तत्काल अपने-अपने फोन बंद किये। इंदौर में ही रात गुजारी। ऐसा हम नहीं, बल्कि शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। अब हालात यह है। इन चारों को देखकर हर कोई काली रात- काली रात का जिक्र कर रहा है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
पंजा या कमल ...
रविवार को मिशन-2023 के परिणाम आ गये। प्रदेश में कमल छा गया। लेकिन यह घटना परिणाम से पहले की है। घटना स्थल संकुल का धरातल से लेकर तीसरा माला है। इस तीसरे माले पर अपने उत्तम जी विराजमान रहते है। जबकि धरातल पर वाहन चालकों का जमावड़ा रहता है। जो कि परिणाम आने से पहले पंजा या कमल को लेकर चर्चा कर रहे थे। जोश-जोश में ऊंची आवाज में बोलने लगे। यह आवाज अपने उत्तम जी तक पहुंचने लगी। वाहन चालकों की पंजा-कमल वाली चर्चा ने अपने उत्तम जी को मजबूर कर दिया। उन्होंने फोन उठाया। स्टेनों को निर्देश दिये। स्टेनों ने एक अधिकारी को फोन किया। सभी वाहन चालकों को तत्काल हटाया गया। निर्देश दिये गये। आज के बाद अपने वाहन दूसरी तरफ खड़े करे। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
घर में घुसकर...
कमलप्रेमियों ने कमाल कर दिया। खासकर उत्तर के कमलप्रेमियों ने। जिन्होंने ना केवल प्रदेश खजांची को जितवाया। बल्कि विरोधी प्रत्याशी को उनके ही वार्ड के पोलिंग बूथ पर 188 मतों से हराया। कुल 544 मतदाता पोलिंग बूथ 8 के निवासी थे। इस क्षेत्र में अपनी पंजाप्रेमी भाभी व उनके परिजन निवास करते है। सभी को उम्मीद थी कि इस बूथ से कमलप्रेमी प्रत्याशी हारेंगे। मगर क्षेत्रीय नगरसेवक ने अपना जादू दिखाया। पंजाप्रेमी प्रत्याशी को 188 मतों से हराया। तभी तो कमलप्रेमी बोल रहे है। घर में घुसकर जंग जीती है। उनकी बात सही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
देखेंगे ...
अपने विकास पुरूष ने मतगणना से पहले बैठक ली थी। सभी कमलप्रेमी कमंडलों की। जिसमें उन्होंने उन कमलप्रेमियों पर निशाना साधा था। जिनका निवास तो दक्षिण में है। मतदाता भी दक्षिण के है। लेकिन काम करने के लिए उत्तर को चुना था। इस बात को अपने विकास पुरूष को गंभीरता से लिया है। तभी तो मंच से यह बोल दिया। दक्षिण के बदले उत्तर में काम करने वालो को भी परिणाम आने के बाद देखेंगे। परिणाम आ चुका है। विकास पुरूष जीत गये है। अब देखना यह है कि जीत के बाद दक्षिण के बदले उत्तर में काम करने वालो पर विकास पुरूष क्या एक्शन लेते है। फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
डर ...
अपने पिस्तौल कांड वाले नायक आखिरकार जीत गये। तमाम विरोधों के बाद। खुद उनके करीबी कमलप्रेमी हार की दुआ कर रहे थे। यह हमसे बेहतर, खुद पिस्तौल कांड नायक जानते है। इसके बाद भी वह जीत गये। जिसके लिए उनको बधाई। लेकिन उनकी जीत से अब डर का माहौल है। वजह ... उनकी भाषाशैली है। जब पॉवर में नहीं थे। तब भी उनकी भाषा सुनने लायक नहीं होती थी। अब तो पॉवर का नशा उनके सिर पर होगा। जो उन्होंने प्रमाण-पत्र लेने से पहले ही दिखा दिया। उस कक्ष में जाकर बैठ गये। जहां पर अपने उत्तम जी विराजमान थे। आते ही बोल दिया। कोई चाय-पानी की व्यवस्था है या नहीं। यह चर्चा कमलप्रेमियों और अधिकारियों में आम है। जो कि सच भी है। देखना यह है कि पिस्तौल कांड नायक इस दफा अपनी भाषाशैली को सुधारते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
फोन रखो ...
मतगणना केन्द्र पर मोबाइल प्रतिबंधित था। हालांकि कुछ अधिकारियों को छूट दी गई। जिसके लिए एक सूची बनी। इस सूची में से अपने इंदौरीलाल जी का नाम गायब था। जानबूझकर हटाया गया। तभी तो इंदौरीलाल जी को रोका गया। वर्दी ने साफ मना कर दिया। फोन अंदर नहीं ले जा सकते। नतीजा ... इंदौरीलाल जी को अपना फोन गाडी में रखना पड़ा। हालांकि बाद में एक पत्र बनाया गया। जिसके बाद उनको फोन रखने की इजाजत मिली। मगर सवाल यह है। आखिर उनका नाम किसने हटाया। तो इशारा सूटबूटधारी- गोरेचिट्टे अधिकारी की तरफ है। जो कि सीनियरटी बोध से ग्रसित है। जबकि अपने इंदौरीलाल जी मस्तमौला है। इसीलिए उनका नाम सूची में नहीं जोड़ा गया। संकुल के प्रथम तल पर तो यही चर्चा है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
नहीं सुधरेंगे ...
हमारे पाठकों ने ऊपर डर शीर्षक पढ़ा होगा। जिसमें इशारा किसकी तरफ है। इसको कमलप्रेमी समझते है। जीत मिलते ही यह बात साबित भी हो गई। पहला शिकार अपने इंदौरीलाल जी बने। पिस्तौल कांड नायक बाबा के दरबार में पहुंचे। हालांकि सुबह भी गये थे। उस वक्त याचक थे। शाम को शासक बनकर पहुंचे। तो फोन पर अपने इंदौरीलाल जी को सुना दी। कोई व्यवस्था है या नहीं। हमारे लिए। बेचारे... इंदौरीलाल जी ज्यादा सुनते नहीं है। इसलिए फोन रख दिया। व्यवस्था करवा दी, और चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गुणवत्ता...
अपने उत्तम जी के साफ-साफ आदेश थे। मतगणना में लगे अधिकारी/ कर्मचारी को गुणवत्ता वाला भोजन दिया जाये। इसमें कोई कोताही नहीं बरती जाये। इसके बाद भी भोजन की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया। भोजन स्वादहीन था। ऐसा कई अधिकारी-कर्मचारियों का कहना था। अपने उत्तम जी बाहर का भोजन करते नहीं है। इसलिए उनको गुणवत्ता का स्वाद पता नहीं चल पाया। जबकि बाकी आलाधिकारियों को गुणवत्ता वाला पैकेट मिला। खुद अपने तैमूर जी पैकेट सर्व करते नजर आये। इसलिए इन अधिकारियों ने भी यह नहीं देखा। उनके मातहतों को कैसा भोजन मिला है। ऐसा हम नहीं, बल्कि स्वादहीन भोजन करने वाले अधिकारी-कर्मचारी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
बाहर निकाल दूंगा ...
घटनास्थल... इंजीनियरिंग कॉलेज का वह केंद्र। जहां पर अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी के मतों की गिनती चल रही थी। सबकुछ सामान्य चल रहा था। यहां पर अपने पंजाप्रेमी गोल-मटोल जी भी मौजूद थे। जिनकी मतगणना के दौरान एक कर्मचारी से बहस हो गई। पंजाप्रेमी जोर-जोर से बोलने लगे। यह नजारा वहां मौजूद प्रेक्षक जी ने देखा। बस फिर क्या था। प्रेक्षक जी ने दुगनी आवाज में पलटवार किया। अपनी दमदार आवाज से हडका दिया। चुपचाप बैठ जाये। बहस ना करे। वरना बाहर निकाल दूंगा। प्रेक्षक की चेतावनी सुनकर, अपने गोल-मटोल नेताजी तत्काल चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चुप्पी ...
मतगणना स्थल पर अपनी वर्दी का काम था। अगर कोई मतगणना के दौरान नारेबाजी करे। तो उस पर एक्शन ले। किन्तु अपने चरणलाल जी के केंद्र पर वर्दी चुप रही। जबकि मतगणना के दौरान कई दफा जिंदाबाद के नारे लगे। वर्दी को इसकी जानकारी भी दी गई। आग्रह किया गया। कार्रवाई कीजिए। इसके बाद भी वर्दी ने चुप्पी साधे रखी। ऐसा क्यों किया। इसको लेकर सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दावा ...
अपने विकासपुरूष और खजांची जी, दोनों का दावा था। 25-25 हजारी जीत का। उस वक्त कमलप्रेमी दोनों के दावे पर सवाल उठा रहे थे। मगर अपने खजांची जी ने 27 हजारी जीत दिखाकर साबित कर दिया। उनका दावा खोखला नहीं था। किन्तु अपने विकास पुरूष 13 हजारी के अंदर ही सिमट गये। अब विकासपुरूष के दावे पर सवाल उठ रहे है। उठाने वाले कमलप्रेमी ही है। दबी जुबान से यह बोल रहे है। क्षेत्र में विकास पुरूष की पकड़ कमजोर हो गई है। नतीजे भी यही दर्शा रहे है। मगर हम तो उत्तर-दक्षिण को जीत की बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
ऊंगली ...
ऊंगली करना और दिखाना ... दोनों का अलग-अलग अर्थ होता है। कुछ लोग करने पर आक्रोश दिखाते है। तो कुछ ऊंगली दिखाने पर भी नाराज हो जाते है। अपने स्मार्ट पंडित जी ऊंगली दिखाने पर ही आक्रोशित हो गये थे। घटना मतगणना के एक दिन पहले की है। जब पोस्टल बैलेट को लेकर हंगामा हुआ था। स्ट्रांग रूम पर यह विवाद हुआ। जब पंजाप्रेमी नेता ने अपनी ऊंगली दिखाकर गुस्सा दिखाया। ऊंगली देखकर अपने स्मार्ट पंडित जी ने भी ऊंगली दिखा दी। विवाद बढ़ गया। इतना बढ़ गया। पहले तू नीचे कर... वाली नौबत आ गई। ऐसा यह घटना देखने वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
श्रेय ...
जिले में जिस तरीके से कमल खिला है। 5 सीट पर कमल और 2 पर केवल पंजा। जबकि 2018 में 4 सीट पर पंजे ने कब्जा किया था। कमल केवल 3 सीट पर था। 2 सीटों को बढ़ाने में किसका योगदान रहा। तो सीधा जवाब है। लाडली बहना। मगर लाडली बहना का लाभ दिलाने में अघोषित रूप से अपने उत्तम जी की मेहनत थी। जिन्होंने इस योजना का लाभ हर लाडली बहना तक पहुंचाया। इसके लिए विशेष ध्यान रखा। अपने कूल जी को योजना का नोडल बनाया था। तभी तो इस योजना में पूरे प्रदेश के अंदर उज्जैन हमेशा नं. 1 रहा। इसी का नतीजा है। 2 सीट बढ़ गई। इसलिए हम उत्तम जी को बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सेल्यूट ...
मतगणना के दौरान की घटना है। विधानसभा क्रमांक 212 की। जहां पर ड्यूटी कर रहे चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी की तबीयत अचानक बिगड गई। ब्लड प्रेशर अत्यधिक हो गया। तब सहायक ग्रेड-3 कर्मचारी ने फोन लगाया। एम्बुलेंस बुलाने के लिए। इधर वर्दी ने एम्बुलेंस को रोक लिया। सहायक ग्रेड-3 ने वर्दी से भी भिडंत कर ली। उनकी मेहनत रंग लाई। चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी की जान बच गई। इसलिए हम जान बचाने वाले कर्मचारी को सेल्यूट करके, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चलते-चलते ...
मतगणना के बाद आए परिणामों को लेकर कमल व पंजाप्रेमियों में चर्चा है। कमलप्रेमी बोल रहे है। लाडली बहना के असर को लेकर। जुम्मन जी को पता ही नहीं चला और रजिया जी कमल खिलाकर आ गई। इधर पंजाप्रेमी सोशल मीडिया पर चल रही पोस्ट ... जय नर्मदे हर ... पूरी कांग्रेस भेज दी घर... की चर्चा कर रहे है। दोनों अपनी जगह सही है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
शायर नजीर मेरठी का अशआर है। जो कि मतगणना के बाद सटीक साबित हो रहा है। हमेशा ये ही तो होता रहा है मेरी अजीज/ किसी की जीत तो कोई किसी से हार गया...!