28 अगस्त 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
सख्ती ...
अपने इंदौरीलाल जी ने सख्ती दिखाई। पिछले दिनों। जब एक कर्मचारी को प्रोटोकॉल से हटाया। अन्नक्षेत्र में पदस्थ कर दिया। यह वही कर्मचारी है। जिनका पडोसी जिले में सोमरस का ठेका है। आर्डर भी निकाल दिया। 15 दिन से ज्यादा हो गये। लेकिन कर्मचारी का आज भी प्रोटोकॉल से मोह भंग नहीं हुआ है। लगातार मैसेज कर रहे है। उनके मैसेज पर अमल भी हो रहा है। शनिवार को उन्होंने 10 मिनिट के अंदर 10 मैसेज डाले। दोपहर 2:45 से 2:53 तक। अब सवाल यह है कि अपने इंदौरीलाल जी ने सख्ती दिखाई है या नरमी? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दलाल ..
मंदिर के गलियारों में चर्चा है। एक दलाल की। जो कि अधिकारी भी है। शनि-रवि गायब हो जाते है। इनको इनके मातहत चुलबुल पांडे के नाम से पुकारते है। पीठ पीछे। अब इन्हीं को दलाल बताया जा रहा है। मगर दलाली किसके लिए कर रहे है। इसको लेकर कोई मुंह नहीं खोल रहा है। वैसे यह बात सर्वविदित है। अपने चुलबुल पांडे जी की पांचो ऊंगलियां घी में और सिर कडाई में है। जल्दी ही इसका भी खुलासा होगा। आखिर दलाली किसके लिए की जा रही है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
जलवा ...
इंसान का वक्त साथ देना चाहिये। फिर पानी से भी चिराग जलते है। ऐसा इन दिनों अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। इशारा अपने विकास पुरूष की तरफ है। जिनका वक्त अभी चढता सूरज वाला है। तभी तो संगठन की बैठक में भी देरी से आते है। सभी इंतजार करते रहते है। शनिवार को बैठक थी। साढ़े 3 बजे दोपहर में। 1 घंटा देरी से आये। जल्दी निकल गये। जबकि मिशन-2023 का आगाज हो चुका है। मगर अपने विकास पुरूष को इसकी रत्ती भर परवाह नहीं है। ऐसा हम नहीं बल्कि अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
रवानगी ...
क्या जिले में बड़ा फेरबदल होने वाला है? क्या नागपंचमी अव्यवस्था को लेकर राजधानी में नाराजगी व्याप्त है? क्या संगठन और सत्ता दोनों नाराज है? इसको लेकर मंदिर से लेकर संकुल के गलियारों में अनगिनत चर्चा है। पिछले साल की बेहतर व्यवस्था से इस साल की तुलना की जा रही है। जिस तरीके से कमलप्रेमी मंत्री को धक्के खाने पड़े। वही पंजाप्रेमी पूर्व मंत्री व पंजाप्रेमी नेताओं को तवज्जों मिली। इसको लेकर ही यह सवाल उठ रहे है। तभी तो बोला जा रहा है। अगले महीने के फेरबदल में गाज गिर सकती है। 2 अधिकारियों की तरफ इशारा है। लेकिन नाम का खुलासा नहीं हो रहा है। सत्ता और संगठन ने चुप्पी साध रखी है। देखना यह है कि नौकरशाही भारी पड़ती है या जनप्रतिनिधि व संगठन। तब तक हम एक कविता ...राजा बोला रात है/ मंत्री बोला रात है/ एक-एक कर फिर सभासदों की बारी आई/ ऊबासी किसी ने, किसी ने ली अंगडाई/ इसने, उसने- देखा-देखी/ फिर सबने बोला रात है... यह सुबह-सुबह की बात है... लिखकर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दुश्मन ...
यह कहावत तो सभी को याद होगी। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। फिर जब बात विकास पुरूष की हो। तो उनके दुश्मनों की संख्या गिनने के लिए आंकड़े कम पड़ते है। ऐसा अकसर हमारे कमलप्रेमी बोलते है। इन दिनों कुछ ज्यादा ही बोल रहे है। कारण मिशन-2023 है। तभी तो उनके सारे दुश्मन मिलकर दोस्त हो रहे है। एकत्रित हो गये है। अभी-अभी दक्षिण के गांव में मिले। राम-नाम की धुन पर थिरके। नेतृत्व अपने असरदार जी कर रहे है। जिनका मकसद है। विकास पुरूष हटाओं- असरदार को लाओं। ऐसी चर्चा इन दिनों अपने कमलप्रेमी कर रहे है। देखना यह है कि सभी दुश्मन मिलकर, अपनी इस नई दोस्ती का कितना फायदा उठा पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नाराज ...
अभी-अभी घोषित हुए कमलप्रेमी प्रत्याशी से नाराजगी खुलकर उजागर हो रही है। जिनसे नाराजगी है अपने कमलप्रेमियों की। उनको पिस्तौल कांड नायक के नाम से जानते है। इस नाराजगी में अब पर्दे के पीछे की भूमिका भी सामने आ रही है। अंदरखाने की खबर है। कभी संघ में प्रांत के मुखिया रहे.. भोलेशंभू-भोलेनाथ जी भी सबसे ज्यादा नाराज है। तभी उन्होंने सलाह दी है। अपने करीबियों को। सोशल मीडिया पर विरोध नहीं करना है। बाकी जो करना है- वो करो- खुलकर करो- छुपकर करो- जैसी मर्जी हो... वैसे विरोध करो। मकसद केवल एक है। पिस्तौल कांड नायक को सबक सिखाना। ऐसा हम नहीं, अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
पेशी ...
पिछला सप्ताह संकुल- शिवाजीभवन व मंदिर के लिए भारी रहा। कारण ... तीनों मुखिया को राजधानी जाना पड़ा। पेशी पर। रंगे हाथो पकडऩे वाले विभाग के सामने। शुरूआत अपने अनफिट जी से हुई। इसके अगले दिन अपने उत्तम जी। फिर इंदौरीलाल जी। लगातार 3 दिन अलग-अलग मामलों में पेशी थी। जिसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण पेट्रोलपंप एनओसी को लेकर थी। जो कि शहरी क्षेत्र में खुला है। इसके मालिक अपने पहलवान के करीबी है। शिकायत के बाद जांच चल रही है। देखना यह है कि फैसला क्या आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
10 बीघा ...
शीर्षक पढ़कर पाठक समझ गये होंगे। हमारा इशारा जमीन की तरफ है। जो कि अभी-अभी खरीदी गई है। पिछले सप्ताह रजिस्ट्री भी हो गई। जमीन पडोसी जिले में खरीदी गई है। जो कि नमकीन सेव व गोल्ड के लिए मशहूर है। सगोटा रोड पर जमीन खरीदी है। खरीदने वाले अपने मंदिर में पदस्थ है। 40 पेटी बीघा का यह सौदा है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन किसने खरीदी, इसका खुलासा अभी हमारे सूत्र नहीं कर रहे है। फिलहाल चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
रिकार्ड टूटा ...
साल में केवल 1 दफा मंदिर खुलता है। जिसके लिए लाखों भक्तगण आते है। कुछ लाईन में लगकर दर्शन करते है। तो कुछ टिकिट खरीदकर। जिससे मंदिर के महंत जी को 75 प्रतिशत राशि मिलती है। जो कि लाखों में होती है। जैसे पिछले साल 21 लाख की कमाई हुई थी। मगर इस दफा रिकार्ड टूट गया। अगला-पिछला कई सालो का। मंदिर के दर्शन तो 2 से 3 लाख लोगों ने किये। किन्तु कमाई के नाम पर केवल 7 लाख की आय हुई। बेचारे सहज- सरल महंत जी आश्चर्य में है। ऐसा कैसे हो गया। टिकिट भी बिकी- भक्त भी आये। लेकिन आवक का रिकार्ड टूट गया। जो कि गले नहीं उतर रहा है। इसलिए सवाल उठ रहा है। क्या सोची-समझी रणनीति के तहत महंतश्री को निपटाया गया है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारो में सुनाई दे रही है। किन्तु हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
मीसाबंदी ...
एक मीसाबंदी है। जिनको हर महीने सरकारी पेंशन मिलती है। इसके बाद भी उन्होंने अनोखा कारनामा कर दिखाया है। बाले-बाले सोसायटी की जमीन का सौदा कर दिया। उस पर कालोनी भी कटवा दी। सोसायटी के निरीक्षक ने केवल आवेदन देकर कर्तव्य की इतिश्री कर ली। वर्दी को आवेदन दिया है। एफआईआर दर्ज करवाने। जो कि 3 महीने से लंबित है। क्योंकि मामला मीसाबंदी से जुड़ा है। तभी कोई भी कार्रवाई नहीं हो रही है। करने वाले चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
रक्षाबंधन ...
वैसे तो कलाई पर राखी बांधने का मतलब, प्यार-स्नेह- अपनत्व से जुड़ा होता है। लेकिन चुनावी माहौल में रक्षाबंधन में भी राजनीति आ जाती है। अगर हमारी बात पर भरोसा नहीं है। तो पंजाप्रेमियों की बात मान लीजिए। जो इन दिनों अपने छोटा-बटला जी के रक्षाबंधन की कहानी सुना रहे है। रक्षासूत्र बंधवाने के बदले 1 हजारी भुगतान किया जा रहा है। लेकिन यह सुविधा केवल और केवल उत्तर क्षेत्र की लाडली बहनाओं के लिए है। आधार कार्ड दिखाना जरूरी है। जिसके बाद कूपन मिलता है। जो राखी बांधते ही, नगद में तब्दील हो जाता है। अब देखना यह है कि मिशन-2023 में अपने छोटा- बटला जी के लिए यह रक्षाबंधन शुभ होता है या अशुभ। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मिशन...
तस्वीर को गौर से देखिए... फिर स्वच्छ भारत मिशन को सोचिए। तस्वीर एक शासकीय शौचालय की है। तस्वीर देखकर क्या महसूस होता है। यह फैसला हम अपने पाठकों पर छोड़ते है और अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।