26 जून 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

26 जून 2023 (हम चुप रहेंगे)

ढोल बजेंगे ...

दमदमा के गलियारों में जल्दी ही ढोल बजने की आवाज सुनाई देगी। मिठाई भी बटेगी। खुशी के मारे पागल होकर फटाके भी फोड सकते है। ऐसी चर्चा गांव-गांव वाले विभाग में सुनाई दे रही है। इशारा ... अपनी घमंडी मैडम की तरफ है। जिनकी रवानगी जल्दी ही होने वाली है। इसी खुशी में ढोल-ढमाके और फटाके फोडने की तैयारी है। हालांकि कमलप्रेमी सदस्य  पिछले 1 साल से गुहार लगा रहे है। घमंडी मैडम को हटा दो। लेकिन कुछ नहीं बिगाड पाये। अब जाकर मिशन-2023 को ध्यान में रखकर फैसला लिया है। अपने मामाजी ने, घमंडी मैडम को हटाने का। जबकि कमलप्रेमी सोच रहे है कि उनकी गुहार का असर है। अब देखना यह है कि ढोल बजते है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बहादूर ...

घटना राजधानी की है। उस दिन की है। जिस दिन कोर ग्रुप की बैठक थी। मास्टर प्लान को लेकर। इसीलिए सभी कमलप्रेमी नेता मौजूद थे। इसमें अपने जिले के 2 बहादूर भी शामिल थे। जिनको हम बडबोले नेताजी और लेटरबाज जी के नाम से जानते है। घटनास्थल राजधानी का कमलप्रेमी मुख्यालय है। यहां पर अपने विकास पुरूष भी मौजूद थे। तभी अपने महिदपुर के बडबोले नेताजी भड़क गये। अपने लेटरबाज जी पर। उन्होंने खूब खरी-खोटी सुना दी। कुछ अल्फाज पर गौर कीजिए। पीठ पर वार क्या करते हो। हिम्मत है तो सामने आकर लडो। मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। सुधर जाओं... आदि-आदि। ऐसी चर्चा कमलप्रेमियों में है। क्योकि उसी दिन अपने मामाजी के सामने भी विवाद हुआ था। जो कि सुर्खियों में छपा था। लेकिन 2 बहादूरों के बीच हुए विवाद का किसी को पता नहीं चला। जिसकी चर्चा अब सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

सपना ..

हर जनप्रतिनिधि का सपना होता है। वह पद पर रहकर सरकारी योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाये। खुद के लिए, कॉलेज-अस्पताल या पेट्रोलपंप खोल ले। क्योंकि क्या पता, अगली दफा जनता हरा दे या टिकिट ही नहीं मिले। ऐसा ही सपना अपने वजनदार जी ने देखा है। उन्होंने जुगाड करके उस कोटे से आवंटन करवा लिया। जिस कोटे में वह खुद नहीं आते है। वजनदार है तो आवंटन हो गया। लेकिन उनकी फाईल आखिरकार अटक गई है। क्योंकि आदिवासी के नाम आवंटन है। जिसमें कोई भी अधिकारी फंसना नहीं चाहता है। इसीलिए तो पिछले 4 साल से फाइल अटकी पड़ी है। जहां पेट्रोलपंप खुलना है। वहीं से नया राजमार्ग निकल रहा है। इसलिए अब अपने वजनदार जी के मंगू जी दबाव बना रहे है। कैसे भी करके फाइल क्लीयर हो जाये। देखना यह है कि अपने उत्तम जी इस दबाव में आते  है या नहीं। तब तक हम अपने वजनदार जी के सपने को डिस्टर्ब नहीं करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

विभागीय जांच ...

शिवाजी भवन की एक मैडम है। जिन पर लापरवाही का दोष सिद्ध हो चुका है। संबल योजना में। इसलिए इनके सहयोगी अब इनको संबल मैडम के नाम से पुकारते है। वैसे तो इस गलती के लिए उनका निलंबन होना चाहिये। लेकिन राजधानी में इन्होंने जुगाड लगा ली है। क्योंकि इनके पति- परमेश्वर उस अधिकारी के मातहत रह चुके है। जिस अधिकारी को संबल मैडम का निलंबन करवा है। ऐसे में सेटिंग हो चुकी है और अपनी संबल मैडम बेफिक्र है। उनका कुछ नहीं होने वाला है। मगर शिवाजी भवन के मुखिया भी चतुर है। उन्होंने दूसरा रास्ता निकालासंबल मैडम के खिलाफ विभागीय जांच बैठा दी है। इसके अलावा संबल मैडम का एक और मामला है। बगैर बताये लंबे अवकाश पर जाने का। 2 महीने से ज्यादा का अवकाश ले लिया था। जिसकी छुट्टियों का समायोजन होना है। इस मामले में संबल मैडम बुरी तरह फंस गई है। इसमें उनकी सर्विस- ब्रेक होने की पूरी संभावना है। देखना यह है कि विभागीय जांच से मैडम कैसे बचती है और सर्विस ब्रेक में क्या जुगाड लगाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

आडियों ...

अभी-अभी एक आडियों वायरल हुआ था। जिसके शिकार अपने सूरज अस्त-हम मस्त नेताजी हो गये थे। इस चक्कर में पद से हाथ धोना पड़ा। लेकिन यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। पंजाप्रेमियों में चर्चा है। 2 आडियों अभी वक्त आने पर वायरल होंगे। इसमें से एक आडियों अपने बिरयानी नेताजी का बताया जा रहा है। इधर यह भी सुगबुगाहट है। आडियों वायरल कांड में अपने बिरयानी नेताजी को फटकार लगी है। राजधानी से ही नाराजगी जाहिर की गई है। सवाल किया गया है। ऐसा आडियों वायरल क्यों किया। प्रदेश के अल्पसंख्यक नाराज हो गये। चर्चा तो यह भी है कि .. सूरज अस्त -हम मस्त ... से बात करने वाले पंजाप्रेमी व उनके गुरू अपने बिरयानी नेताजी को शोकाज नोटिस जारी हुआ है। इसके अलावा नसीहत दी गई है। उज्जैन की राजनीति से दूर रहने की। इधर सूरज अस्त-हम मस्त नेताजी अपनी लडाई जारी रखे है। तभी तो राजधानी में ग्रामीण क्षेत्र से अल्पसंख्यकों पकड़कर लेकर गये। यह दर्शाया कि सभी उज्जैन वाले है और यह कांग्रेस के साथ है। बहरहाल, देखना यह है कि इस लडाई में जीत किसकी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ठेका-ट्रेवल्स-होटल ...

अपने उत्तम जी भले ही संकुल की तीसरी मंजिल पर बैठते है। लेकिन निगाह उनकी चौकस है। कहां- कौन- कैसे भ्रष्टाचार कर रहा है। इस पर नजरें बनी रहती है। तभी तो आज मंदिर समिति की बैठक में उन्होंने कह दिया ठेका-ट्रेवल्स-होटल। दरअसल मंदिर कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने का प्रस्ताव था। अपने उत्तम जी भी राजी थे। लेकिन सशर्त। पहले परीक्षण करो। ईमानदार- बेईमान का। क्योंकि कुछ कर्मचारी मलाई-मक्खन- छाछ सभी अकेले खा रहे है। तभी तो इनके सोमरस के ठेके है। ट्रेवल्स संचालित होती है। होटल भी है। ऐसे लोगों की लिस्ट बनाओं। इनको छोड़कर, ईमानदार कर्मचारियों को आगे लाओं- उनकी तनख्वाह बढ़ाओं। मंहगाई का जमाना है। अब गेंद अपने इंदौरीलाल जी के पाले में है। देखना यह है कि ... वह क्या करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गूंज ...

फिल्म कर्मा का वह डॉयलाग पाठकों को याद होगा। जिसमें दिलीप कुमार, अनुपम खेर (डॉ. डेंग) को थप्पड़ मारकर कहते है। इसकी गूंज हमेशा सुनाई देगी। शनिवार को ऐसा ही एक हादसा होते-होते बच गया। पत्रकार वार्ता की घटना है। जो पंजाप्रेमी नेता प्रतिपक्ष की थी। मंच पर केवल 5 कुर्सी लगाई थी। लेकिन बाकी पंजाप्रेमी नेता कुर्सी लेकर मंच पर लद गये। अपने हवाई फायर नेता भी इसमें शामिल थे। उन्होंने अपनी कुर्सी, पूर्व पंजाप्रेमी अध्यक्ष के सामने लगा दी। जो कि पहलवान के नाम से चर्चित है यह देखकर अपने पंजाप्रेमी पहलवान को गुस्सा आ गया। उन्होंने अपना हाथ हवा में उठा ही लिया था, फिर कुछ सोचकर रूक गये। अगर पहलवान का थप्पड़ हवाई फायर नेता को पड जाता। तो उसकी गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई देती। इधर यह नजारा देखकर अपने हवाई फायर नेता का चेहरा देखने लायक था। यह घटना कैमरे में भी कैद हो जाती। मगर उस वक्त मौजूद मीडियाकर्मी के कैमरे नेता प्रतिपक्ष पर थे। वरना, थप्पड की नाकाम कोशिश की वीडियों बन जाती। हम बता दे कि यह वही पहलवान है। जिनका जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में विवाद हुआ था। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

खुशखबर ...

हर काम के बदले हरे-हरे नोट मांगने वालो के लिए यह खुशखबर हो सकती है। क्योंकि रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग के मुखिया अवकाश पर है। इसलिए रिश्वत के शौकीन अपनी डिमांड आगामी 10-12 दिनों तक खुलकर रख सकते है। सौदा पूरा कर सकते है। वजह यह है कि ... रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग के मुखिया 7 समंदर पार की यात्रा पर जा रहे है। इसलिए उन सभी को अग्रिम शुभकामनाएं। जो लूट सके तो लूट की तर्ज पर काम करते है। बाकी ... हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कैमरे तोड़ दिये ...

एक कमलप्रेमी नेताजी है। जिनकी एक महिला दोस्त है। जो कि इंदौर रोड़ स्थित एक गार्डन के पीछे रहती है। जिस घर में यह महिला दोस्त रहती है। उस घर में निगरानी के कैमरे कमलप्रेमी नेताजी ने लगवा दिये थे। जिसको लेकर महिला दोस्त परेशान हो गई। नतीजा ... उसने एक दिन गुस्से में आकर सारे कैमरे तोड दिये। ऐसी चर्चा कमलप्रेमी कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। क्योंकि नेताजी ... अधिकांश समय सेव व स्वर्ण नगरी वाले जिले में समय बिताते है। इसीलिए उन्होंने शंका के चलते कैमरे लगाये थे। जो कि महिला मित्र ने तोड़ दिये है। उसके बाद क्या हुआ है। इसका पता नहीं है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दबाव ...

अपने उत्तम जी की सर्वोच्च प्राथमिकता हेल्पलाइन है। जिसको लेकर उनके कड़े निर्देश है। सभी शिकायतों का निराकरण धरातल पर किया जाये। लेकिन अभी-अभी एसडीएम बनी अधिकारी ने नया रास्ता निकाला है। वह अपनी तहसील के ग्राम देवताओं पर दबाव बना रही है। किसी भी तरह- कैसे भी करके- किसानों पर दबाव बनाओं- हेल्पलाइन खत्म कराओं। महिला अधिकारी की यह अनोखी शैली देखकर सभी ग्राम देवता परेशान है। मगर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

घोषणा बनाम इस्तीफा ...

अपने युवा कमलप्रेमियों के मुखिया घोषणा करने वाले है। नई कार्यकारिणी कीयह नौटंकी पिछले 1 महीने से चल रही है। अपने स्वागतप्रेमी जी यही दावा कर रहे है। पिछले 30 दिनों से। बस जल्दी घोषणा होगी। उनकी इस घोषणा के पहले ही विरोध में इस्तीफे तैयार है। क्योंकि नई कार्यकारिणी में 2 नाम ऐसे है। जिनको लेकर अपने उत्तर के पहलवान नाराज है। इधर अपने ढीला-मानुष जी, स्वागतप्रेमी को तवज्जों नहीं दे रहे है। तभी तो घोषणा अटकी है। इधर युवा कमलप्रेमी इंतजार कर रहे है। कब घोषणा हो और कब इस्तीफे दे। ताज्जुब की बात यह है कि इस्तीफा देने वालो में सबसे आगे अपने स्वागतप्रेमी जी के करीबी उपाध्यक्ष है। देखना यह है कि घोषणा कब होती है और कब इस्तीफे होते है। तब तक अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ज्ञानी ...

आईएएस अफसर ज्ञानी होता है। अच्छे-बुरे कामों की उसको समझ होती है। तभी तो वह आईएएस कहलाता है। ऐसे अफसर से कोई भी अज्ञानता की उम्मीद नहीं रखता है। लेकिन अपने दाल-बिस्किट वाली तहसील के आईएएस अफसर इसके अपवाद है। तभी तो वह पीएचई की लाईन वाली जमीन को भी निजी बटवारे में शामिल कर रहे है। उनका तर्क अगर मान लिया जाये तो पीएचई की जमीन कम हो जायेंगी। तभी तो आईएएस अफसर की अज्ञानता की चर्चा दाल-बिस्किट वाली तहसील में जोरो पर है। हम बता दे कि यह वही अफसर है, जिनको लेकर राजधानी तक हंगामा मचा हुआ है। बहरहाल ... ज्ञानी अफसर की बात को हम कैसे नकार सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तबादला ...

जिले में पदस्थ अपर कलेक्टर- संयुक्त कलेक्टर- डिप्टी कलेक्टर स्तर के 8 अधिकारी स्थानांतरित होने वाले है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। इनमें से अधिकांश को जिले में सेवाएं देते हुए 3 साल से ऊपर हो गये है। इधर शिवाजी भवन में पदस्थ एक अपर आयुक्त का भी तबादला होने वाला है। यह जबलपुर जा रहे है। इन अपर आयुक्त के खिलाफ, शिवाजी भवन की महिला अधिकारियों ने शिकायत दर्ज कराई थी। क्योंकि यह सभी अधिकारी हमेशा उनके निशाने पर रहती है। तभी तो अपर आयुक्त विभाग के सोशल मीडिया ग्रुप पर इन सभी की कार्यप्रणाली पर कुछ ना कुछ टिप्पणी लिखते रहते है। देखना यह है कि सूची कब जारी होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

दुहाई देता रहे जो दुहाई देता है,/ कि बादशाह को ऊंचा सुनाई देता है। मैं इसलिए भी तुझे बोलने से रोकता हूँ / तूँ चुप रहें तो ... ज्यादा सुनाई देता है... अब्बास ताबिश