04 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

04 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

 

मुस्कान ...

आईएएस की असली पहचान क्या होती है? वह मुस्कान पर भरोसा नहीं करते है। हमेशा गंभीरता का आवरण उनके चेहरे पर होता है। अब हर कोई अपने उम्मीद जी जैसा नहीं होता है। जिनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट होती है। मगर अब उनके पदचिन्हों पर अपने दमदमा वाले आईएएस चलने लगे है। उनमें यह परिवर्तन अभी-अभी आया है। एक घटना के बाद। जिसमें उनको दूसरे माले के मुखिया ने सभी के सामने देरी से आने पर फटकार लगा दी थी। 2 दफा ऐसा हुआ। जिसके बाद अपने आईएएस साहब के चेहरे पर मुस्कान नजर आने लगी है। मातहतों के नमस्कार पर मुस्कुराते है। थोड़ा सा सिर भी हिलाते है। ऐसी राजस्व अधिकारियों में चर्चा है। जिसके लिए हम भी दमदमा के आईएएस साहब को इस मुस्कान के लिए शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शौक ...

एक अधिकारी को सोमरस का शौक है। अच्छी बात है। यह उनका निजी मामला है। मगर वह अपने शौक के लिए जेब ढीली नहीं करते हैं। बस अपने किसी मातहत को हुक्म दनदना देते है। जैसे एक एसडीएम को बोल दिया। ग्रामीण क्षेत्र वाले को। 2 पेटी भिजवा देना। बेचारे एसडीएम को कम से कम 25 से 50 हजारी चपत लग गई। घटना जनवरी माह की है। ऐसी संकुल के गलियारों में चर्चा है। मगर हमकों अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कुर्सी ... 

2 दिवसीय सम्मिट की यह घटना है। अपने विकासपुरूष शुभारंभ करने पहुंचे। उनके साथ राजधानी के कई सीनियर आईएएस अफसर थे। सभी मंच के समीप पहुंच गये। मगर वहां पर कुर्सी नजर नहीं आई। सभी सीनियर अफसर कुर्सी-कुर्सी की डिमांड करने लगे। मगर कुर्सी लाएं कहां से। ऐसे में नये-नवेले आईएएस कुर्सी के लिए इधर-उधर भागदौड़ करते नजर आये। तब कहीं जाकर सीनियर अफसर अपनी तशरीफ टिका पाये। ऐसा यह नजारा देखने वालो का कहना है। मगर हमको चुप ही रहना है।

भोजन....

भूख जब लगती है। तो इंसान मजबूर हो जाता है। फिर भले ही वह आमइंसान हो या प्रोटोकॉल से बंधे आईएएस अधिकारीगण। तभी तो सम्मिट के दूसरे दिन 5 सीनियर आईएएस ने पहले ही भोजन मंगवा लिया। हालांकि यह सभी पहले उसी डायनिंग हॉल में बैठे थे। अपने विकासपुरूष का इंतजार हो रहा था। विकासपुरूष भोजन से पहले प्रदर्शनी और मीडिया से मिलने निकल गये। इधर 5 सीनियर आईएएस भूख से बेहाल थे। उन्होंने 10 मिनिट इंतजार किया। फिर डायनिंग हॉल से निकलकर छोटी केबिन में आ गये। यहीं पर भोजन मंगवा लिया। सुनहरे कलर की थालियों में तत्काल भोजन हाजिर हो गया। यह नजारा देखकर वहां मौजूद जनप्रतिनिधि व कमलप्रेमी चकित थे। मगर चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

निशाना ...

अपने स्मार्ट पंडित ने एक जांच समिति बनाई है। सांची पार्लर को लेकर। जो कि नियत स्थान के बदले दूसरी जगह स्थापित कर दिये गये है। इसमें एक पार्लर अपने प्रथमसेवक जी का है। जो कि चारधाम पर नियम विरूद्ध लगा है। इस पार्लर को जयसिंहपुरा में स्थापित होना था। किन्तु प्रथमसेवक ने पद का प्रभाव दिखाकर खुद नियम तोड़ दिया। वजह ... चारधाम पर अच्छी कमाई होती है। इतना ही नहीं। सांची से मिला फ्रिज भी वहां से हटा लिया। जिसे उन्होंने अपनी पान की दुकान पर लगवा लिया है। इसमें अब कोल्डड्रिंक्स रखकर बेच रहे है। जो कि नियम विरूद्ध है। अब देखना यह है कि जांच समिति कितनी सही रिपोर्ट बनाती है और अपने स्मार्ट पंडित क्या कार्रवाई करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

बदलाव ....

अपने प्रथमसेवक की कार्यशैली में बदलाव आया है। मगर फिर भी मान-सम्मान का रास्ता निकाल लेते है। पहले निर्माण से संबंधित कोई भी फाइल अटक जाती थी। उनके परमसखा.... निगम की बीमारी.. कान में मंतर फूंक देते थे। फाइल फिर तभी बढ़ती थी। जब तक मान-सम्मान ना हो  जाये। मगर अब फाइल दौड़ती है। बस प्रथमसेवक को यह पता होना चाहिये। फाइल अपनी बहन जी या विकासपुरूष से जुड़ी है। फिर कोई खोजबीन नहीं होती है। इसके बाद भी मान-सम्मान के लिए रास्ता निकाल लेते है। ताजा मामला गोवर्धन सागर फाइल से जुड़ा है। 8 खोखे की फाइल थी। जिसको क्लीयर करने में ठेकेदार से मान-सम्मान करवा लिया गया। ऐसा हम नहीं, बल्कि प्रथमसेवक के करीबी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

टक्कर ...

पिछले महीने जब विकासपुरूष आये थे। तब उनके कारकेट में एक वाहन घुस गया था। इस दफा उनकी सुरक्षा में लगी गाडी को टक्कर मार दी गई। वह भी सरकारी विश्रामगृह के अंदर। ई-2 वाहन को। उस वक्त जब काफिला व्यवस्थित हो रहा था। एक आईएएस अधिकारी के ड्रायवर ने गाडी को रिवर्स किया। गाडी सीधे ई-2 वाहन से टकरा गई। गाडी में सुरक्षाकर्मी मौजूद थे। जिन्होंने तत्काल आईएएस की अटैच गाडी के वेंडर को बुलाया। गाडी का नुकसान दिखाया। वेंडर ने वादा किया। गाडी सुधरवा देगा। जिसके बाद क्षतिग्रस्त वाहन को कारकेट से हटा दिया गया। तत्काल दूसरा वाहन बुलाया गया। तब कहीं जाकर टक्कर का मामला शांत हुआ। जिसके बाद सभी चुप हैं। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

जलवा

अपने बदबूवाले शहर के माननीय डॉ. साहब धीरे-धीरे जलवा दिखाने लगे है। तभी तो कमलप्रेमी संगठन मुख्यालय पर अधिकारी आने लगे है। 1 मार्च की शाम को ऐसा ही नजारा था। अपने डॉ. साहब बाहर कुर्सी पर बैठे थे। तभी एक सरकारी वाहन आया। वाहन पर तहसीलदार की नेमप्लेट लगी थी। वाहन को देखते ही माननीय डॉ. साहब तत्काल खड़े हो गये। इधर अधिकारी उतरे। डॉ. साहब अधिकारी के साथ अंदर चले गये। दोनों के बीच अंदर क्या खिचडी पकी। किसी को नहीं पता। मगर डॉ. साहब का यह जलवा वहां मौजूद अपने लेटरबाज जी ने भी देखा। बाकी कमलप्रेमियों ने भी। मगर सभी चुप रहे। तो हम भी डॉ. साहब के जलवे को देखकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शिकायत ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। एक शिकायत की। जो रंगे हाथों पकडऩे वाले विभाग को हुई है। विषय ... आगररोड दरगाह के सामने स्थित विभाग से जुड़ी है। जिसके करीब डेढ दर्जन कर्मचारी राजस्व अधिकारियों के बंगलों में काम कर रहे थे। जिसमें 2 अपर कलेक्टर भी शामिल है। ताज्जुब की बात यह है। इस विभाग के प्रशासक अपने कूल जी है। मगर उनके बंगले पर एक भी कर्मचारी तैनात नहीं था। दूसरे राजस्व अधिकारियों ने अपने पद का फायदा उठाया। मगर शिकायत होते ही सभी कर्मचारी वापस बुला लिए गये है। अब देखना यह है कि ... अपने कूल जी प्रशासक की हैसियत से क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नाराजगी ...

संकुल के तीसरे और दूसरे माले की कार्यशैली से इन दिनों हर कोई नाराज है। यह नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके शिकार राजस्व मातहत ही नहीं, बल्कि अपने विकासपुरूष के अतिप्रिय भी हो गये है। यह वही अतिप्रिय है जिनकी शोधपीठ पर रात 11 बजे अपने विकासपुरूष पहुंचे थे। उनकी लायब्रेरी में। यह पिछले 18 सालों से विक्रमोत्सव के लिए काम कर रहे है। धीर-गंभीर इंसान है। इसके बाद भी इन पर हुक्म दनदना दिया गया। अपना टेंट हटा लो। शाम तक। यहां पर पार्किंग होगी। जबकि प्रदर्शनी के लिए टेंट बन चुका था। विकासपुरूष के अतिप्रिय चाहते तो शिकायत कर सकते थे। किन्तु वह चुपचाप रहे। इधर ड्राईरन को लेकर मातहतों में नाराजगी है। क्योंकि कभी इंजीनियरिंग कॉलेज- कभी दशहरा मैदान- तो कभी अकादमी और फिर संकुल तलब किया गया। बेचारे राजस्व अधिकारी इधर से उधर भागते रहे। इस चक्कर में एक राजस्व अधिकारी को अटैक तक आ गया। भर्ती होना पड़ा। अब देखना यह है कि तीसरे और दूसरे माले की प्लानिंग में सुधार आता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

डिमांड ...

निर्माण विभाग से जुड़े अधिकारियों में चर्चा है। उनके पास फोन आ रहा है। संकुल के गलियारों से। जिसमें उनसे डिमांड की जा रही है। लिफाफा मांगा जा रहा है। हरे-हरे रंग के कागजों से भरा हुआ। जिसमें कम से कम 50 हरे रंग के कागज होना जरूरी है। बेचारे ... निर्माण विभाग से जुड़े अधिकारी अचरज में है। मगर मजबूरी है। इसलिए चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बीमार ...

संकुल के गलियारों से लेकर कमलप्रेमियों के बीच में चर्चा है। इशारा सम्मिट के समापन पर मिले भोजन की तरफ है। देवी अहिल्यानगरी के एक चर्चित होटल को यह जिम्मेदारी दी गई थी। उत्तम नहीं, सर्वोत्तम भोजन करवाने की। जिसके लिए होटल संचालक ने एक दिन पहले कच्ची खाद्य सामग्री बनवाकर मंगवा ली। मगर उसी शाम को मौसम बदल गया। आंधी-तूफान आया। फिर दिन में गर्मी हो गई। नतीजा समापन के दिन जो भोजन परोसा गया। उससे कई उल्टी-दस्त के शिकार हो गये। जिसमें एक कमलप्रेमी वरिष्ठ पदाधिकारी और तीसरे माले के एक अधिकारी भी शामिल है। ऐसी उडती-उडती चर्चा है। सच और झूठ... वही बता सकते है। जो इसके शिकार हुए है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

मिशन-2024 को लेकर कमलप्रेमियों में चर्चा है। अपने वजनदार जी पर संकट है। कोई नया चेहरा सामने आ सकता है। जबकि पंजाप्रेमियों में चर्चा है। अपने चरणलाल जी को मैदान में उतारा जायेगा। फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।