09 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
लाज ...
आज के युग में आमसभा के लिए भीड जुटाना लाज रखने की श्रेणी में आता है। फिर चुनावी माहौल में तो जिम्मेदारी ज्यादा बनती है। अभी-अभी अपने मामाजी का आगमन हुआ था। मंदिर के अंदर आमसभा थी। लेकिन जनता और कमलप्रेमी नदारद थे। कुर्सियां खाली पडी थी। ऐसे में अपने स्मार्ट पंडित जी की टीम काम आई। जिन्होंने 700 कार्यकर्ताओं को बुलाया था। दीप प्रज्वलन के लिए। इन सभी को तत्काल आमसभा में भेज दिया गया। जिन्होंने खाली कुर्सियों को भर दिया। जबकि अपने इंदौरीलाल जी का दावा फेल हो गया। जो उन्होंने बैठक में किया था। महाकाल लोक में हमेशा भीड रहती है। इसलिए कुर्सियां खाली नहीं रहेंगी। उनका दावा खोखला साबित हुआ। इसीलिए तो अपने इंदौरीलाल जी को सेट पर यह बोलना पड़ा। मंदिर के सुरक्षाकर्मी व कर्मचारियों को बैठा दो। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हम तो लाज रखने वाले स्मार्ट पंडित को बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उतारा ...
शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम रात को चढने वाली सोमरस के उतारे की बात कर रहे है। हम तो आमसभा स्थल पर खाली कुर्सियां देखकर, इंदौरीलाल जी के गुस्से की बात कर रहे है। उनका पारा सातवें आसमान पर था। तभी तो अपने इंदौरीलाल जी ने गुस्सा उतारा किया। बेचारे ... अपने चुलबुल पांडे जी को खाली मंच से गुस्सा दिखाकर उतार दिया। चुलबुल पांडे जी की समझ में कुछ नहीं आया। इतना ही नहीं दूरभाष पर भी इंदौरीलाल जी ने आक्रोश दिखाया। यह बोल गये कि ... कौन एसडीएम की ड्यूटी है यहां पर। उसको सस्पेंड करवा दूंगा। उनका इशारा अपनी एसडीएम जिज्जी की तरफ था। ऐसा यह घटना देखने वाले बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
नारेबाजी ...
मंदिर से वापस लौटते वक्त की घटना है। जब अपने मामाजी के सामने नारेबाजी हो गई। गनीमत यह रही कि ... नारेबाजी ... जिन्दाबाद वाली थी... मुर्दाबाद वाली नहीं। लेकिन अपने मामाजी ने इसको नोटिस किया। तभी तो सर्किट हाऊस पर नाराजगी जताई। जब वापस जा रहे थे। तब उन्होंने पहले दुर्घटना ग्रस्त महामंत्री का हाल पूछा। फिर आक्रोश दिखाया। उनका कहना था। अपने ही परिवार के लोग नारेबाजी कर रहे थे। यह ठीक नहीं है। नारेबाजी करने वाले परिषद के छात्र थे। जिसके बाद मामाजी ने अपने उत्तम जी को मामला निपटाने के निर्देश दिए और चुपचाप निकल गये। तो हम भी इस नारेबाजी पर अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
उठावना ...
अपने कमलप्रेमी इन दिनों एक पुरानी गजल गुनगुना रहे है। हर आदमी में होते है 10-20 आदमी/ जिसको भी देखना कई बार देखना...! गजल के पीछे 2 उठावने का उल्लेख है। जिसमें अपने विकास पुरूष शामिल थे। पहला उठावना संघ के एक पदाधिकारी का था। जिसमें विकास पुरूष शामिल हुए। लेकिन ऐसा पहली दफा देखा। उठावने के हर मूवमेंट की तस्वीरे खीची गई। अपने विकास पुरूष की फोटोग्राफर टीम ने। जिसे देखकर वहां मौजूद हर कमलप्रेमी व संघ वाले आश्चर्य चकित थे। क्योंकि उठावने में तस्वीरे खीचना अभद्रता की श्रेणी में आता है। अब दूसरे उठावने की यह घटना है। यहां पर बिलकुल उलट नजारा था। सुप्रसिद्ध अधिवक्ता का उठावना था। यहां भी विकास पुरूष पहुंचे। लेकिन तस्वीर खीचने वाली टीम नहीं थी। ऐसा हम नहीं, बल्कि इस घटना को देखने वाले कमलप्रेमी व संघी बोल रहे है। तभी तो .... हर आदमी में होते है 10-20 आदमी... गजल कमलप्रेमी गुनगुना रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
अनुरोध ....
भाईसाहब ... 2 तालाब वाली दुकान पे माल अच्छा नहीं आ रहा है। ऐसा लगता है, जैसे कुछ मिलावट हो रही है। थोड़ा दिखवाइएं। आपके वोटर होने के नाते अगर कोई खास डिस्काउंट हो सके तो और भी बेहतर होगा। आजकल ढाबो पे भी दिक्कत आने लगी है। आपके अलावा किसी दूसरी दुकान से लेकर जाओं ... तो बैठने को सख्त मना कर रखा है। हमारे लिए कम से कम यहां पर तो जगह छोड दीजिए। अगर कई और से ले ली.... तो अलाऊ करवा दिया करो। हम समझ सकते है। चुनाव के समय पैसे लगते है। पर हमारे 1 हजार रूपये से क्या हो जायेंगा। यह पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर अपलोड हुई है। अपने विकास पुरूष की वॉल पर किसी ने इसे अपलोड किया है। देखना यह है अपने मतदाता के इस अनोखे अनुरोध को स्वीकार किया जाता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
निशाने पर ...
अपने कप्तान जी के निशाने पर इन दिनों एक राजपत्रित वर्दीधारी है। जो कि बदबू वाले शहर में पदस्थ है। अभी-अभी पदस्थ हुए है। इनको वर्दीधारी लाला जी के नाम से जानते है। अपने लाला जी ने पिछले 1 महीने से कप्तान को तंग कर रखा था। अपनी पदस्थापना को लेकर। जबकि पद खाली नहीं था। इधर लाला जी लगातार दबाव बना रहे थे। चर्चा है कि कप्तान को यह तक बोल दिया था। लिखकर दे दीजिए....पदस्थ नहीं कर सकता। अपने कप्तान जी ने धैर्य रखा। जैसे ही पद खाली हुआ। पदस्थापना कर दी। लेकिन अब बदबू वाले शहर के लाला जी निशाने पर है। अपने कप्तान जी के। 1 गलती हुई और फाइल निपटी। ऐसी चर्चा बदबू वाले शहर के वर्दीधारी कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
1 वोट- 1 नोट ...
बदबू वाले शहर के दरबार ने कसम खा ली है। जब तक बी-फार्म नहीं आता है। तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। जिसके चलते उनके समर्थकों ने साथ छोडऩा शुरू कर दिया है। धीरे-धीरे अधिकृत प्रत्याशी से जुडऩे लगे है। इधर अधिकृत प्रत्याशी को भडकाने के लिए चाल चली जा रही है। जनसंपर्क के दौरान। दरबार जिंदाबाद के नारे लगवाये जाते है। प्रत्याशी भी चतुर है। वह भी जिंदाबाद कर देते है। उन्होंने नया फार्मूला अपनाया है। गेट मीटिंग का। जहां पर वह 1 वोट- 1 नोट की डिमांड करते है। उनकी सादगी से मतदाता प्रभावित हो रहे है। दरबार का जनाधार खिसकता नजर आ रहा है। अब देखना यह है कि दरबार को यह बात कब तक समझ आती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कसम ...
अपने पिस्तौल कांड नायक, जीतेगें या हारेगें? फैसला मतदाता करेंगे। किन्तु उनके रंग-ढंग अभी से ही निर्वाचित जनप्रतिनिधि वाले है। तभी तो बेचारे कमलप्रेमी हैरान है। चर्चा है कि अभी से यह हाल है। तो जीतने के बाद क्या होगा। नतीजा ... कमलप्रेमी अब दिखावे के लिए काम कर रहे है। अंदरखाने की खबर है। कमलप्रेमियों ने अंदर ही अंदर टोली बनाकर कसम उठानी शुरू कर दी है। दबी जुबान से कमलप्रेमी बोल रहे है। पिस्तौल हटाओं- पंजे को लाओं...! अब देखना यह है कि अपनी कसम पर कमलप्रेमी कितना खरा उतरते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सोच ...
अपने विकास पुरूष हर रोज सुबह-सुबह पोस्ट अपलोड करते है। सोशल मीडिया पर। सकारात्मक सोच वाली। जो प्रेरणादायक होती है। रविवार को उन्होंने पोस्ट अपलोड की। लोगों को परिणाम से मतलब है। प्रयास से नहीं, और विडंबना यह है कि ... हमारे हाथ में सिर्फ प्रयास है। परिणाम नहीं ...! जिसको लेकर कमलप्रेमी अलग अर्थ निकाल रहे है। मिशन-2023 से पत्ता कटने का। कमलप्रेमियों की इस सोच का हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
भविष्य ...
अब हमारा भविष्य क्या होगा? जो हालात नजर आ रहे है। उससे तो भविष्य ना घर के ना घाट वाले है। ऐसा इन दिनों कमलप्रेमी बोल रहे है। बोलने वाले अपने वजनदार जी के करीबी है। जो कि अभी तक मिशन-2023 में वजनदार जी की इंट्री मानकर चल रहे थे। लेकिन अब कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। 2 दफा वजनदार जी राजधानी चक्कर लगाकर आ गये है। लेकिन दाल नहीं गल रही है। जिसके चलते उनके करीबी मिशन-2024 से भी वजनदार जी को आउट मान रहे है। तभी तो भविष्य की चिंता पाल रहे है। उनकी चिंता जायज है। मगर 5 साल तक मजे लेने वाले करीबी, अब अपना नया भविष्य तलाश करने में लग गये है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।