27 मार्च 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

27 मार्च 2023 (हम चुप रहेंगे)

बूझो...

संचार- क्रांति के दौर में कोई 1 फोन रखता है। कोई 2 फोन। मगर 4 फोन रखने वाली मैडम आखिर कौन है? इसको लेकर गांव-गांव वाले विभाग में खूब चर्चा है। चर्चा इसलिए है कि ... मैडम सीधे मुंह किसी से बात नहीं करती है। लेकिन फोन 1-2 नहीं बल्कि 4 रखती है। जिसके चलते यह सवाल उठा रहा है। सीधे मुंह बात नहीं करने वाली मैडम, आखिर 4 फोन पर किससे बतियाती है। आखिर वह कौन है? जिसके लिए उन्होंने अलग-अलग फोन रख रखे है। गांव-गांव वाले विभाग के कर्मचारी तभी तो ... बूझो तो जाने बोल रहे है। यह भी चर्चा है कि ... 4 फोन वाली मैडम की रवानगी जल्दी हो सकती है। देखना यह है कि यह इंतजार कब खत्म होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नोटशीट ...

अपने-अपने राम की कथा तो याद होगी। जिसमें अनपढ़-कांड हुआ था। उसी को लेकर यह चर्चा है। जिसका विषय नोटशीट है। अंदरखाने की खबर है। शोधपीठ के मुखिया को हटाने की तैयारी  अंदर ही अंदर चल रही है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। नोटशीट तैयार हो गई है। मुखिया पर अनपढ़-कांड की गाज गिर सकती है। अब देखना यह है कि  कब इस नोटशीट पर हस्ताक्षर हो पाते है। क्योंकि मामला अपने विकास पुरूष से जुड़ा है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

लालच ...

यह कहावत सदियों से सुनते आ रहे है। लालच बुरी बलाय मगर इंसान फिर भी लालच के जाल में फस जाता है। जैसे अभी-अभी 2 वर्दीधारी फस गये। मामला लूट कांड का है। होटल लूट कांड वाला। चर्चा है कि आरोपियों ने वर्दी से बचने के लिए भागते हुए 10 हजार रूपये फेक दिये थे। जो कि पीछा कर रहे वर्दीधारी ने उठा लिये। नोट उठाते हुए एक अधिकारी ने देख लिया। उन्होंने सवाल किया। लेकिन उठाने वाले ने साफ मना कर दिया। जिसके बाद आया न्याय का वक्त। लूट कांड में राशि कम मिली। तो रूपया उठाने वाले वर्दीधारी को 10 के बदले 18 जमा करने पड़े। इधर दोनों वर्दीधारी की पोल भी खुल गई। नतीजा ... दोनों को अपराध शाखा से हटा दिया गया है। ऐसी चर्चा वर्दीवालो के बीच सुनाई दे रही है। सच और झूठ का फैसला खुद वर्दी वाले कर ले। क्योंकि हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

गेट-आउट ...

अपने युवा स्वागत प्रेमी जी के साथ चोट हो गई। उनको एक वर्दीधारी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। घटना रंगपर्व से जुड़ी हुई है।  घटनास्थल नानाखेड़ा क्षेत्र बताया जा रहा है। जहां पर किसी संस्था ने रंग पर्व पर कार्यक्रम तो रख लिया। लेकिन इसकी अनुमति नहीं ली। कार्यक्रम में अपने स्वागत प्रेमी जी अतिथि थे। इधर वर्दी ने आयोजक को तलब कर लिया। आयोजक ने स्वागत प्रेमी जी को बुला लिया। अंदर पूछताछ चल रही थी। इस बीच बगैर  अनुमति के स्वागत प्रेमी जी अंदर घुस गये।  यह देखकर वर्दीधारी अधिकारी का माथा ठनक गया। उन्होंने आव देखा ना ताव। स्वागत प्रेमी जी को अपने कक्ष से गेट-आउट कर दिया तब जाकर अपने ढीला-मानुष जी को याद किया गया। फिर उन्होंने वर्दीधारी  अधिकारी को फोन लगाया । तब जाकर मामला सुलटा। ऐसा युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

बहाली ...

शिवाजी भवन के बहुचर्चित सहायक यंत्री की बहाली जल्दी होगी। अब अपने अनफिट जी के लिए ... इधर कुआ... उधर खाई वाली नौबत है। नियमानुसार प्रस्ताव पारित होने के 7 दिनों में पालन करना जरूरी है। नगरीय निकाय नियम तो यही बोलता है। लेकिन मामला टल रहा था। नतीजा ... सहायक यंत्री ने माननीय न्यायालय की शरण ली। नगरीय निकाय नियम का हवाला दिया। बस फिर क्या था। माननीय न्यायालय ने निर्देश दे दिये। 7 दिनों में पालन करके अवगत कराये। संभवत: आज या कल में 7 दिन  पूरे हो रहे है। ऐसी शिवाजी भवन में चर्चा है। देखना यह है कि अब अपने अनफिट जी, बहुचर्चित सहायक यंत्री को बहाल करते है या निर्देश की अवेहलना करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दु:खी ...

शिवाजी भवन के एक नगर सेवक का पानी जल्दी ही उतर सकता है। खुद को यह मंत्री बोलते है। प्रथम सेवक को मुख्यमंत्री बना दिया है। अपने अनफिट जी- स्मार्ट पंडित जी- और खजांची जी को अपना सचिव बताते है। बैठकों में अपनी बदजुबान वाली शैली के लिए चर्चित है। फटे में टांग अडाने की पुरानी फितरत है। अधजल गगरी छलकत जाये... वाली कहावत इन पर सटीक बैठती है। अपनी बहन जी को लेकर भी बैठक में सिलेक्टेड की टिप्पणी कर चुके है। बोलकर, पलटने में पीएचडी धारक है। इनकी कार्यप्रणाली से सभी दु:खी है। इसीलिए सभी ने मिलकर इनका नामकरण कर दिया है। श्रीमान बद्तमीज बेचारे ... प्रथम सेवक अपनी पुरानी दोस्ती का लिहाज रखते है। वरना, श्रीमान बद्तमीज को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए सभी राजी है। बहरहाल यह चर्चा है कि ... श्रीमान बद्तमीज का पानी जल्दी ही उतारा जा सकता है। सबको उस वक्त का इंतजार है। तो हम भी इंतजार करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

श्रीगणेश ...

किसी भी नये काम का श्रीगणेश करने का अर्थ क्या होता है। सीधी भाषा में। नये काम की पूरी तैयारी हो चुकी है। आधी-अधूरी तैयारी के साथ श्रीगणेश नहीं होता है। लेकिन शनिवार को यही हुआ। लाडली बहना योजना में। आवेदन स्वीकार का श्रीगणेश था। जिसके लिए स्थानीय स्तर पर ही, नेताओं की मौजूदगी में श्रीगणेश होना था। श्रीगणेश हुआ। मगर, अचानक पोर्टल ठप्प पड गया। काम करना बंद कर दिया। हड़कंप मच गया। फिर इंतजार शुरू हुआ। शायद पोर्टल शुरू हो जाये। आखिरकार, जिले के मुखिया ने संदेश भेजा। अब सोमवार से काम शुरू होगा। सभी टीमें वापस लौट गई। लेकिन 2 बजे बाद पोर्टल शुरू हो गया। फिर संदेश गया। सभी वापस लौटे। 5 बजे से 9 बजे तक काम चला। 2500 के करीब आवेदन स्वीकार हुए। मगर केवल ग्रामीण क्षेत्र में। शहरी क्षेत्र में कोई काम नहीं हुआ।  इसके बाद भी रविवार की शाम लाडली बहना योजना में उज्जैन का नम्बर तीसरे स्थान पर था। जिसके लिए बहुत बधाई। बाकी हमको चुप ही रहना है।    

गुहार ...

जिले के मुखिया से गुहार है। कृपया मंदिर की अव्यवस्थाओं पर ध्यान दें। यह आम जनता की गुहार है। क्योंकि अपने इंदौरीलाल जी को तो कोई मतलब नहीं है। उनकी अपनी दुनिया है। ऊंचे खिलाड़ी है। इसीलिए मुखिया से गुहार है। जिन्होंने प्रोटोकॉल अनुमति पर तो अंकुश लगा दिया। जिसके लिए बधाई। अब गर्भगृह में दर्शन के नाम पर फलफूल रहे दलालों पर भी अंकुश लगाये। इस गैंग को भी तोडऩा जरूरी है। शनिवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट अपलोड हुई। (देखे चित्र) जो दर्शन के नाम पर चल रहे गोरखधंधे को उजागर कर रही है। देखना यह है कि ... आम जनता की गुहार पर जिले के मुखिया कितना ध्यान देते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

घोषणा ...

शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक यह अंदाजा नहीं लगाये। हम अपने मामाजी की किसी घोषणा का जिक्र करने वाले है। हम तो अपने उन नये कप्तान की घोषणा का  जिक्र कर रहे है। जो उन्होंने इस साल के प्रथम महीने में ही कर दी थी। घोषणा यह थी। मेरी अगली पोस्टिंग बाबा महाकाल की नगरी में होगी। 2 महीने पहले उन्होंने यह बता दिया था। उन्होंने जो कहा था... वह शनिवार को सच साबित हो गया।  राजधानी के भरोसेमंद सूत्र भी उनकी इस घोषणा की पुष्टि कर रहे है। उनका बाबा की नगरी में स्वागत है। तब तक हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

कब आओंगे ...

तो  आखिरकार एसएसपी सत्येन्द्र शुक्ल की रवानगी हो गई। उनको खुद इसका इंतजार था। ढाई साल का उनका कार्यकाल र्निविवाद रहा। कई उपलब्धियां उनके नाम रही। हालांकि इस ढाई साल के कार्यकाल में उनके तबादले की अफवाह भी 4 दफा उड़ी। मगर यह केवल अफवाह ही रही। हर बार उनके विरोधियों को असफलता ही मिली। शनिवार की शाम को तबादला सूची में उनका नाम शामिल था। जिसका वह खुद बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। अपनी मंशा भी ऊपर वालो को बता चुके थे। उनके ही शब्दों में ... बाबा महाकाल ने खूब सेवा का अवसर दिया। मैं उनका सेवक हूं। ढाई साल बगैर किसी विवाद से गुजर गये। बस ... अब जाना चाहता हूं। कप्तान की कार्यशैली से उत्तर विधायक पारस जैन इतने खुश थे। तभी उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा था। बाबा महाकाल से प्रार्थना है। आपको यहीं डीआईजी बना दे। बहरहाल ऐसा नहीं हो पाया। लेकिन एक ज्योर्तिलिंग से निकलकर, उनको दूसरे ज्योर्तिलिंग ॐकारेश्वर की सेवा का अवसर जरूर बाबा महाकाल ने दिया है। हम चुप रहेंगे डाट-कॉम ... की तरफ से उनको इस नई यात्रा के लिए इस अशआर के साथ शुभकामनाएं... अब के जाते हो तो खुदारा कब आओंगे/ कब आओंगे दुबारा... दुबारा कब आओंगे...!

मेरी पसंद ...

बोझ ह्दय पर भारी हो/ पर मुख पर उजियारी हो/ कुर्सी की टांगें न हिले/ जंग चले बमबारी हो/ अपना हिस्सा ले के रहे/ तुम सच्चे अधिकारी हो/ चंबल का रस्ता क्यों चुन/ सीधे सत्ताधारी हो/ क्या मुश्किल है हत्या में/ बस वर्दी सरकारी हो/ या सुविधा का नाम न लो/ या फिर भ्रष्टाचारी हो/ तंत्र प्रजा के नाम चले/ मेरी खुद मुख्तारी हो...!       

                                           शायर एहतराम इस्लाम