18 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

18 मार्च 2024 (हम चुप रहेंगे)

पॉवर ...

अपने इंदौरीलाल जी ने दिखा दिया। बल्कि साबित कर दिया। पॉवर किसे कहते है प्रदेश में आज तक ऐसा कोई अधिकारी पॉवर नहीं दिखा पाया। जो उन्होंने दिखाया। 6 दिन पहले तबादला हुआ। महाशिवरात्रि वाले दिन। अचानक ही आदेश आया। उनको कालापानी की सजा दी गई। जिसको लेकर हड़कंप मच गया। अपने इंदौरीलाल जी भी तत्काल कार्यमुक्त हुए। कालापानी के लिए रवाना हुए। बीच में राजधानी में रूके। इस 2 दिन के अंदर उन्होंने वह पॉवर दिखाया, जो आज तक कभी देखने में नहीं आया। उनकी उसी पद पर वापसी के आदेश हो गये। जिस पद से रवानगी हुई थी। अब सवाल यह है कि आखिर यह पॉवर किसका था। तो अंदरखाने की खबर है। पडोसी संभागीय मुख्यालय पर स्थित एक कार्यालय है। जिसे अर्चना के नाम से जाना जाता है। वहां के टॉप बॉस का कहना कोई नहीं टाल सकता है। टॉप बॉस के प्रिय शिष्यों में अपने इंदौरीलाल जी शामिल है। वहीं से निर्देश मिले और आदेश हो गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि इंदौरीलाल के करीबियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

वजनदार ....

तो अपने वजनदार जी ने हमारा दिया नाम सार्थक कर दिया। उन्होंने मिशन-2024 के लिए जो वजनदारी दिखाई। वह तारीफ के काबिल है। उनका जमकर विरोध था। हर कोई यह बोल रहा था। इस बार मिशन-24 में नया चेहरा सामने आयेंगा। इधर अपने वजनदार जी ने ठान लिया। अब करके दिखाना है। द्वंद कहां तक पाला जाये/ युद्ध कहां तक टाला जाये/ तू भी राणा का वंशज है/ फेक जहां तक भाला जाये...। वजनदार जी ने इन पंक्तियों को जहन में रखा। अपना भाला फेका। जो सही जगह लगा। अब देखना यह है कि अपनी पिछली लीड को वजनदार जी कितना बढ़ा पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

खुशी ...

प्रशासनिक संकुल के तीसरे व दूसरे माले पर खुशी की लहर है। मजबूरी है। वरना मिठाई वितरण हो जाता। कम से कम दूसरे माले वाले तो मिठाई बांट ही देते। कारण ... तीसरे माले के तत्कालीन मुखिया ने त्राहिमाम मचा रखा था। बेचारे दूसरे माले के मुखिया भी परेशान थे। उस पर तुर्रा यह कि ... दूसरे माले के मुखिया से हुंकारा भी भरवाते थे। लगातार शिकायते अपने विकासपुरूष तक पहुंच रही थी। अपने विकासपुरूष को दया आ गई। उन्होंने डॉक्टर साहब की रवानगी कर दी। जिसके चलते खुशी की लहर है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

सेल्यूट ...

अपने कप्तान जी को सेल्यूट। जिन्होंने साप्ताहिक सुनवाई में वह कर दिखाया। जो कोई कप्तान नहीं करता था। कप्तान के पास एक फरियादी पहुंचा। ठगी का शिकार था। एक साल से परेशान था। उसकी कोई नहीं सुनता था। कप्तान ने आवेदन पढ़ा। फिर थाना प्रभारी को फोन लगाया। इन  थाना प्रभारी का अभी-अभी प्रमोशन हुआ है। सीधे सवाल किया। पकड़ा क्यों नहीं। पदोन्नत हुए अधिकारी ने बहाना लगाया। पता नहीं मिल रहा है आरोपी का। चतुर कप्तान ने फोन काटा। ठगी करने वाले को फोन लगाया। ठगराज ने फोन भी उठा लिया। बस फिर क्या था। अपने कप्तान जी ने वीवीआईपी थाना प्रभारी की जमकर लू उतारी। इधर थाना प्रभारी की रवानगी पर मातहतों में खुशी है। मिठाई तक बाटी गई है। ऐसी चर्चा वर्दी वाले कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

पिटाई ...

एक कमलप्रेमी नेताजी है। खुद को बहादुर समझते है। मगर उनकी बहादुरी पिछले सप्ताह रात में खत्म हो गई। जब उन पर सोमरस का ज्यादा असर था। कुछ लोगों के साथ उन्होंने मारपीट कर दी। बस फिर क्या था। पिटने वाले ने अपने स्वजातीय बंधुओं को देर रात बुलवा लिया। जमकर कुटाई की और थाने में प्रकरण भी दर्ज करवा दिया। हालांकि प्रकरण दोनों तरफ से दर्ज हुआ है। मगर बहादुर की पिटाई की चर्चा जमकर कमलप्रेमी कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

दिल के अरमां ...

कमलप्रेमियों में चर्चा है। अपने आराधना प्रेमी को लेकर। जो कि इस दफा आश्वस्त थे। मिशन-2024 में टिकिट पक्का है। कोई भी उनका टिकिट नहीं रोक सकता है। उनके ज्योतिषाचार्य ने भी भविष्यवाणी कर दी थी। अपने विकासपुरूष ने भी आश्वासन दिया था। इसके बाद भी बेचारे आराधना प्रेमी मात खा गये। वजनदार जी ने बाजी मार ली। तभी तो कमलप्रेमी गुनगुना रहे है। दिल के अरमां आंसूओं में बह गये... मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

नवाचार ...

अपने कूल जी बड़े खुश थे। बाबा महाकाल की सेवा करने का मौका मिला। अचानक ही छींका फूट गया था। अपने इंदौरीलाल जी की रवानगी के कारण। श्रीमान कूल जी ने इसे बाबा का आशीर्वाद माना। कुछ नवाचार करना है। इसके लिए बिंदू भी तय कर लिये। उनकी सोच साकारात्मक थी। मगर वह भूल गये। अपने इंदौरीलाल जी भी बड़े खिलाड़ी है। श्रीमान कूल जी नवाचार करते, इसके पहले ही उनको हटना पड़ा। कारण... इंदौरीलाल जी की वापसी हो गई। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

अकुंश ...

अपने स्मार्ट पंडित ने जब शिवाजी भवन को संभाला। तब हर किसी को यह उम्मीद थी। स्मार्ट पंडित अकुंश लगाकर रखेंगे। अपने मातहतों पर। उनके आदेश/निर्देश की अवेहलना ना हो। मगर शिवाजी भवन के मातहतों पर अकुंश लगाना, मतलब लोहे के चने चबाने जैसा है। फिर भले ही लिखित में आदेश हो। फरवरी माह के अंतिम दिन एक आदेश निकला था। क्रमांक 134। एक 6 सदस्यीय समिति बनाई थी। सॉची पार्लर को लेकर। 15 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। इसमें अपने प्रथमसेवक का भी पार्लर निशाने पर था। नतीजा ... समिति ने आज तक जांच ही शुरू नहीं की। तभी तो शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। स्मार्ट पंडित का अकुंश नहीं रहा। बात सच भी है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

टक्कर ...

अपने वजनदार जी को कौन कड़ी टक्कर दे सकता है। यह सवाल पंजाप्रेमी से ज्यादा कमलप्रेमी उठा रहे है। कमलप्रेमियों में यह चर्चा आम है। अगर वजनदार जी को कोई टक्कर दे सकता है। तो वह पंजाप्रेमी चरणलाल जी है। जिन्होंने हर मौके पर साबित किया है। प्रथमसेवक के चुनाव में तो उन्होंने कमलप्रेमियों का ब्लडप्रेशर बड़ा दिया था। मिशन-2018 में अपने वजनदार जी को हरा चुके है। ऐसे में कमलप्रेमी यही दुआ मांग रहे है। मिशन-2024 में चरणलाल जी से सामना ना हो। वरना, 2019 का रिकार्ड टूटना पक्का है। इधर अपने लेटरबाज जी से मिलने कुछ कमलप्रेमी पहुंचे थे। जिन्होंने साफ लफ्जों में कहा। वह वजनदार जी का साथ नहीं देंगे। अब देखना यह है कि पंजाप्रेमी अपने चरणलाल जी को मिशन-24 में मौका देते है या नहीं? फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

उत्तम तस्वीर ...

यह तस्वीर आज तक की सर्वोत्तम तस्वीर है। ऐसा कमलप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।  

मेरी पसंद ...

क्या तमाशा है कि सब मुझको बुरा कहते है/ और सब चाहते है मेरी तरह का होना...   अब्बास ताबिश