भाजयुमो अध्यक्ष और सीएसपी में ' भिडंत '...!

भाजयुमो अध्यक्ष और सीएसपी में ' भिडंत '...!

उज्जैन। सावन माह की दूसरी सवारी सोमवार को निकली। बाबा महाकाल प्रजा का हाल जानने के लिए निकले थे। मगर निकलने से पहले ही विवाद हो गया। वह भी जोरदार वाला। आमने-सामने आ गये। खादी और वर्दी। कम से कम 10 मिनिट तक भिडंत चलती रही। नेताजी अंदर जाना चाहते थे। सीएसपी रोक रहे थे। इस चक्कर में बहस के साथ-साथ हाथापाई तक की नौबत आ गई। मगर महाकाल की कृपा रही। यह नजारा वहां मौजूद सभी ने देखा, जिसमें हम भी शामिल थे।

सभामंडप में बाबा का पूजन चल रहा था। पंचायत एवं ग्रामीण विकास व श्रम विभाग के मंत्री प्रहलाद पटेल व अन्य भाजपा नेता पूजन कर रहे थे। कलेक्टर नीरजसिंह  व एसपी प्रदीप शर्मा भी मौजूद थे। उसी दौरान की यह घटना है। भाजयुमो अध्यक्ष हर्षवर्धनसिंह अपने एक साथी के साथ पहुंचे थे। तब तक पूजा स्थल तक पहुंचने की इंट्री बंद हो चुकी थी। सीएसपी सुमित अग्रवाल व उनकी टीम अपनी ड्यूटी निभा रही थी। इसी दौरान यह विवाद हुआ।

पहचानता नहीं ...

ऊपर आंखो देखी पढ़ी, अब कानों सुनी पर भी भरोसा कीजिए। भाजयुमो अध्यक्ष को जब पुलिस ने रोक लिया। तो वह बिफर गये। उन्होंने साफ लफ्जों में कहा। पहचानते नहीं हो? कौन हूं? इस पर सीएसपी ने भी कह दिया। नहीं जानता। अपनी ड्यूटी कर रहा हूं। जिसके बाद तो हालात हाथापाई जैसे बन गये। यह नजारा देखकर बाकी पुलिसकर्मियों ने मोर्चा संभाला। दोनों को रोका। अलग-अलग किया। तब तक घटना की खबर एडी. एसपी जयंत राठौर को लग गई। वह तत्काल 25 कदम चलकर मौके पहुंच गये।

समझाईश ...

मात्र 25 कदम चलकर मौके पहुंचे एडी. एसपी सबसे पहले भाजयुमो अध्यक्ष को अलग लेकर गये। तब तक सीएसपी, बेरिकेड्स के इस तरफ आ चुके थे। जयंत राठौर ने करीब 3 मिनिट तक भाजयुमो अध्यक्ष से बात की। यह नजारा हम दूर से खड़े होकर देखते रहे। हम कुछ सुन नहीं पाये। इसके बाद एडी. एसपी अंदर आये। उन्होंने सीएसपी से कुछ कहां। क्या कहां ... सुनना मुश्किल था। मगर ऊपर लगी फोटो देखकर समझा जा सकता है। दोनों के बीच क्या चर्चा हुई होगी।

दोषी कौन ...

इस पूरे मामले में दोषी कौन है? भाजयुमो अध्यक्ष या सीएसपी? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। मगर यह पक्का है कि सीएसपी अग्रवाल अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। अधिकारियों से मिले निर्देशों का पालन कर रहे थे। तभी तो उन्होंने इस खबर को लिखने वाले खबरची को भी रोका था। साफ बोला था। एसपी साहब से कहलवा दीजिए। तभी जाने देंगे। उनकी बात सुनकर एसपी को फोन भी लगाया था। इसी दौरान कलेक्टर नीरजसिंह नजर आ गये थे। उनसे निवेदन किया। उन्होंने वर्दी को निर्देश दिए। तब कहीं जाकर चुप रहेंगे डाटकॉम को इंट्री मिली थी।