18 दिसंबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

18 दिसंबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

बगावत ... 

शनिवार को दशहरा मैदान पर प्रोग्राम था। अपने विकास पुरूष का। जहां पर उस वक्त बगावत हो गई। जब किसी अधिकारी ने बोल दिया। एक डिप्टी कलेक्टर को। मुझे ज्ञान मत दो। जिसके बाद राजस्व अधिकारियों ने काम करना बंद कर दिया। फिर अपने उत्तम जी पधारे। जिन्होंने निर्देश दिये। तब कहीं जाकर यह बगावत खत्म हुई। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

वक्त ... 

ज्यादा पुरानी बात नहीं है। एक वक्त था। जब कभी अपने विकास पुरूष संकुल कार्यालय जाते थे। तो बमुश्किल 1 डिप्टी कलेक्टर उनकी अगवानी करता था। मगर रविवार को उलट माहौल था। विकास पुरूष की अगवानी के लिए 45 अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। खुद अपने उत्तम जी सहित 7 जिलो के मुखिया, अल्फा,डेल्टा और कप्तान मौजूद थे। इसे कहते है वक्त। जिसके लिए विकास पुरूष को बधाई देकर, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

गायब ... 

शहर के एक बिल्डर इन दिनों गायब है। यह वही बिल्डर है। जिन्होंने मिशन-2023 में पंजाप्रेमी प्रत्याशी के लिए काम किया था। जिसकी भनक अपने विकास पुरूष को लग गई थी। मगर वह उस वक्त चुप रहे। बिल्डर को यह भरोसा था। सत्ता बदल रही है। किन्तु परिणाम कमल के पक्ष में आये। उस पर अपने विकास पुरूष सूबे के मुखिया बन गये। नतीजा... बिल्डर शहर ही नहीं देश छोड़कर फिलहाल गायब है। ऐसी चर्चा बिल्डर लॉबी में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि कब तक गायब रहते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

सेट गुम ... 

शनिवार को विकास पुरूष का जोरदार स्वागत हुआ। विकास पुरूष रथ पर सवार थे। वह कहीं भी रथ से नहीं उतरे। मगर शास्त्री नगर में उनको मिशन-2018 के साथी गुहार सुनकर उतरना पड़ा। मंच पर उनको सुरक्षाकर्मियों ने पीछे से सहारा देकर चढाया। इस दौरान उनकी सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मी का वायरलेस सेट गुम हो गया। अब मिला या नहीं। हमको पता नहीं। इसलिए हम चुप हो जाते है। 

नाराज ...

मिशन-2023 के परिणाम आने से पहले की घटना है। जिस वक्त अपने विकास पुरूष जीत के लिए मेहनत कर रहे थे। उस दौरान नौकरशाही का रूख देखकर, अपने दयालू दादा काफी आक्रोश में थे। उनके पास अंदर की कई नई खबरे आ रही थी। प्रशासन और वर्दी को लेकर। उस वक्त उन्होंने खुद को संभाले रखा। अब जबकि दयालू दादा के अनुज सर्वोच्च पद पर है। तो दयालू दादा की नाराजगी चरम पर है। जो कि जल्दी ही नजर आयेंगी। ऐसी चर्चा अपने कमलप्रेमी कर रहे है। देखना यह है कि नाराजगी की गाज किस-किस पर गिरती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

सफाई ... 

शिवाजी भवन के सफाईकर्मी अकसर सड़कों पर सफाई करते नजर आते है। मगर यह सफाई केवल झाडू से होती है। किन्तु पहली दफा ऐसा देखा। जिस दिन विकास पुरूष की घोषणा हुई थी। उसके अगले दिन विकास पुरूष के घर के बाहर। सफाईकर्मी फनर से खुरच-खुरच कर सड़क की गंदगी निकाल रहे थे। यह नजारा देखकर अडोसी-पडोसी चकित थे। हम भी फनर से सफाई का सुनकर चकित है। मगर हमको चुप ही रहना है। 

चिंता ... 

सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हुआ है। जिसमें 2 पंजाप्रेमी नेता विकास पुरूष का स्वागत कर रहे है। संभवत: हेलीपेड पर। जिसमें से एक अपने सूरज अस्त-हम मस्त तो दूसरे 5 वीं फेल नेताजी है। वैसे स्वागत करना गलत नहीं है। किन्तु पंजाप्रेमी इसका अलग अर्थ निकाल रहे है। दबी जुबान से बोल रहे है। इन दोनों को अपनी-अपनी खदान की चिंता है। अगर वह बंद हो गई तो आर्थिक नुकसान होगा। इसीलिए स्वागत करने गये थे। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

चेहरे ... 

जिस विकास पुरूष को हराने के लिए पंजाप्रेमियों ने जी-तोड कोशिश की। उनको हरा तो नहीं पाये। उल्टे अब वह सूबे के मुखिया है। तभी तो पंजाप्रेमियों के चेहरे उतरे हुए है। खासकर अपने बिरयानी नेताजी के। जिन्होंने होटल वाले भय्या पर दाव लगाया था। जो फेल हो गया। यह सभी शनिवार को होटल पर बैठकर शहर का माहौल देख रहे थे। अपने बिरयानी नेताजी के चेहरे पर निराशा की लहर थी। ऐसा वहां बैठे पंजाप्रेमियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

भोजन ... 

कमलप्रेमियों का पसंदीदा स्लोगन है। बैठक-भोजन-विश्राम। अगर इसमें से भोजन उपलब्ध होने के बाद भी नहीं मिले। तो गुस्सा आना स्वभाविक है। वह भी तब, जब विकास पुरूष के नाम की घोषणा हुई थी। घटना राजधानी की है। बंगले पर कमलप्रेमियों का जमावडा था। घोषणा होते ही सरकारी मशीनरी एक्टिव हो गई थी। भोजन की भी व्यवस्था बंगले पर कर दी गई। जिसमें रूकावट बन गये शहर के गोल-मटोल नेताजी। जो कि विकास पुरूष के करीबी है। उन्होंने रात 1 बजे तक भोजन शुरू नहीं होने दिया। जबकि शहर से गये कमलप्रेमियों को गोल-मटोल नेताजी यह बोलते रहे। भोजन करके जाना। ऐसा वह कमलप्रेमी बोल रहे है। जो बगैर भोजन के लौटे। कमलप्रेमियों की बात सच है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

खुशी ... 

शिवाजी भवन के गलियारों में खुशी की लहर है। इस खुशी की वजह अपने विकास पुरूष है। जिन्होंने शनि-रवि की मध्यरात्रि को केडीगेट का निराकरण कर दिया। रीगल टॉकीज का मामला भी हाथो-हाथ सुलटा दिया। यहां पार्किंग काम्प्लेक्स बनेगा। इन दोनों मामलों में अपने प्रथमसेवक व उनका मंत्रिमंडल रूकावटे डाल रहा था। हर मामले में प्रथमसेवक व उनकी मंडली निजहित देखती थी। विकास पुरूष ने अब इस अडचन को हमेशा के लिए दूर कर दिया। सीधी भाषा में कहें तो ... प्रथमसेवक व केबिनेट के पर कतर दिये है। इसीलिए खुशी है। तो हम भी इस खुशी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

डर ... 

इंसान का वफादार साथी होता है। डॉग। जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। रविवार की सुबह विकास पुरूष अपने निवास पर थे। तभी कोई सज्जन अपने डॉग को घुमाने निकले। पग ब्रीड का डॉग था। उसी दौरान पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद था। डॉग को देखकर कुछ को प्यार आया... तो कुछ उसको भगाने के मूड में थे। डॉग घुमाने वाले ने चतुराई दिखाई। उसने बोल दिया। विकास पुरूष का घर का सदस्य है। बस फिर क्या था। सभी उससे दूर हो गये। इसे बोलते है डर। मगर हमको तो आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

गप्पबाजी ... 

शहर में इन दिनों गप्पबाजी चरम पर है। हर तीसरा इंसान यही बोल रहा है। विकास पुरूष से सुबह ही बात हुई थी। उन्होंने राजधानी बुलाया है। तो कोई मोबाइल में उनके साथ वाले फोटो दिखाकर साबित कर रहा है। वह विकास पुरूष के कितने करीबी है। कोई रिश्तेदारी बता रहा है। विकास पुरूष फूफा-चाचा-ताऊ लगते है। कई तो इससे आगे की गप्पबाजी कर रहे है। यह बोल रहे है। उनको जीत के बाद ही विकास पुरूष ने बता दिया था। वह सूबे के मुखिया बनने वाले है। ऐसी गप्पबाजी सुनकर हम तो चुप हो जाते है। तो पाठकों से आग्रह है कि वह भी यह सब पढ़कर चुप हो जाये। 

धरना ... 

अपने विकास पुरूष के कार्यक्रम को बिगाडने की कोशिश नाकाम रही। दशहरा मैदान का मामला है। जहां पर कुछ नगरसेवकों ने यह कृत्य किया। कुर्सी नहीं मिलने पर वह जमीन पर बैठ गये। अघोषित धरना दिया। फिर उठकर बाहर जाने लगे। अपने साथ वहां मौजूद जनता को भी ले जाने की कोशिश की। किन्तु अपने कूल जी ने उनके प्रयास को विफल कर दिया। ऐसा घटना देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

मुलाकात ... 

अपने विकास पुरूष रविवार की सुबह आराधना पहुंचे। जहां वह करीब 25 मिनिट रूके। इस मुलाकात के दौरान अंदर क्या-क्या चर्चा हुई। इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

मेरी पसंद ...