26 अगस्त 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
नकल में अकल ...
शीर्षक पढ़कर कहावत तो याद आ गई होगी। हमारे सभी पाठकगणों को। यह कहावत परीक्षा में नकल से जुड़ी है। मगर हम यहां वाकई, नकल में अकल लगाकर ऊपरी कमाई की बात कर रहे है। जिसका केन्द्र कमरा नं. 109 है। जहां के 3 कर्मचारी नकल के नाम पर, अपनी अकल लगाकर जमकर जेब गर्म कर रहे है। नकल देने के नाम पर प्रतिदिन हरे-हरे कागजों की बरसात होती है। कारण फरियादी एलएसके में आवेदन करता है। जिसमें लंबी तारीख मिलती है। फरियादी को जल्दी नकल चाहिये। तो कमरा नं. 109 में भेज दिया जाता है। जहां सौदा तय होता है-जेब ढीली होती है- और नकल जल्दी मिल जाती है। इसको लेकर बकायदा लिखित में शिकायत हुई है। शिकायतकर्ता एक अधिवक्ता है। अपने दूसरे माले के मुखिया को शिकायत की गई है। देखना यह है कि जांच होती है या नहीं, और जांच में क्या परिणाम निकलता है। फैसला जांच के बाद ही आएगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मनोकामना ...
एक वर्दीधारी की मनोकामना है। यह वर्दीधारी अधिकारी इस महीने के अंतिम दिन रिटायर हो रहे है। उनके जीवन की दूसरी पारी के लिए हमारी शुभकामनाएं। वर्दीधारी,सेवानिवृत्त होने से पहले ही जुगाड में लग गये है। अपनी दूसरी पारी के लिए। इसलिए उन्होंने अपनी बहनजी से मुलाकात की। जिसके लिए 120 मिनिट इंतजार करना पड़ा। तब जाकर मुलाकात हुई। वर्दीधारी ने अपनी मनोकामना बताई। वह रिटायरमेंट के तत्काल बाद, मंदिर में सुरक्षा प्रभारी बनना चाहते है। जबकि मंदिर के कर्मचारियों से लेकर कमलप्रेमियों की इच्छा है। उनकी मनोकामना बाबा महाकाल पूरी ना करे। वजह ... उनकी अक्कखड भाषाशैली और व्यवहार है। देखना यह है कि बाबा महाकाल किसकी सुनते है पुकार । वर्दीधारी अधिकारी की या कर्मचारी और कमलप्रेमियों की। फैसला अगले महीने होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नाराज ...
अपने दूसरे माले के मुखिया से कई मातहत नाराज है। यह नाराजगी अकसर जाहिर भी होती है। खासकर, आजादी पर्व के बाद। नाराजगी खुलकर सामने आ रही है। अपनी चंदा मैडम व प्राकृतिक संपदा मैडम की नाराजगी खुलकर सामने आई है। नाराजगी की वजह प्रमाण पत्र नहीं मिलना है। दोनों का कहना है। हमने इतना काम किया। सर्वोत्तम काम किया। हमारे नाम की सिफारिश भी हुई। इसके बाद भी नाम काट दिया। प्रशस्ति पत्र नहीं मिलने दिया। हमारे साथ अन्याय किया। संकुल के भरोसेमंद सूत्रों का तो यही कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
2 के बदले 4 ....
हम कोई गणित का पहाड़ा याद नहीं करा रहे है। 2 दुनी 4। यह तो सबको पता है। हमारा इशारा 4 दलालों की तरफ है। जो कि एक राजस्व अधिकारी ने पाल लिए है। यह 4 दलाल अकसर शाम 5 बजे बाद नजर आते है। संकुल के प्रथम तल पर। राजस्व अधिकारी इन दलालों को खूब सम्मान देते है। आखिर कमाऊ पूत है। दिनभर की कमाई और काम का लेखा-जोखा पेश करते है। यहां हम अपने पाठकों को याद दिला दे।इसके पहले एक राजस्व अधिकारी ने 2 दलाल रखे थे। जिसका खुलासा इसी कॉलम में किया गया था। नतीजा ...दूसरे माले के मुखिया ने जांच करवाई। दलाल पहचाने गये। राजस्व अधिकारी को हटा दिया गया। ग्रामीण इलाके में भेज दिया गया। अब यह राजस्व अधिकारी है। जिन्होंने पुराने और 2 नये दलालों की नियुक्ति कर दी है। यह चारों अब नरवर सर्कल के लिए दलाली का काम कर रहे है। इतना ही नहीं राजस्व अधिकारी भी सीधे फरियादी से संपर्क कर लेते है। ताकि उनकी जेब गर्म होती रहे। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों सुनाई दे रही है। भरोसेमंद सूत्र 100 प्रतिशत पुष्टि कर रहे है। मगर हम कर कुछ नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शिकायत ...
अपने कमलप्रेमियों में एक शिकायत की चर्चा है। मगर खुलकर नहीं। बल्कि दबी जुबान से। शिकायत वर्दी को हुई है। करने वाली एक कमलप्रेमी नेत्री है। जिन्होंने अपने साथ हुए शोषण को लेकर लिखित में आवेदन दिया है। आरोपी एक कमंडल मुखिया है। कमलप्रेमी नेत्री, दक्षिण भारत के मंदिर, जहां बाल दिये जाते है। उस नाम की कालोनी में रहती है। उन्होंने आगर रोड वाली वर्दी को दिये आवेदन में गंभीर आरोप लगाए है। कमंडल मुखिया पर। जिसके बाद कमलप्रेमियों में हड़कंप मचा हुआ है। अंदरखाने की खबर है। वर्दी पर दबाव है। कायमी नहीं करने का। संस्था की बदनामी होगी। तभी तो कायमी नहीं हुई है। इस बीच समझौते की जुगाड शुरू हो गई है। 10 पेटी देने की भी चर्चा है। इसके अलावा 60 पेटी और जमीन देने को लेकर भी बातचीत जारी है। इस कांड से कमंडल मुखिया को बचाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के एक माननीय और पंजे का मोह त्यागकर कमलप्रेमी बनी नेत्री मदद कर रही है। देखना यह है कि समझौते की जुगाड में सफलता मिलती है या नहीं। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। फैसला वक्त करेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
भूख ...
संकुल के गलियारों में चर्चा है। विषय भूख है। घटना आजादी पर्व के दिन की है। इस दिन सभी जल्दी उठकर तैयार हो जाते है। इसलिए भूख भी जल्दी लग जाती है। तभी तो झंडावंदन के पहले ही संकुल के एक कक्ष में नाश्ता शुरू हो गया। जबकि बाकी सभी अधिकारी-कर्मचारी भूखे थे। मामला अपनी चंदा मैडम विभाग का बताया जा रहा है। जिनको यह जिम्मेदारी थी। सभी के लिए नाश्ते का बंदोबस्त रखे। उन्होंने अपना दायित्व निभाया। लेकिन वह खुद और उनकी पूरी टीम पहले ही नाश्ता करने बैठ गई। इसको लेकर जब आपत्ति दर्ज कराई गई। तो यह कहकर दरवाजा बंद कर लिया गया। हमको तो भूख लगी है। संकुल के भरोसेमंद सूत्र तो यही बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस ... भूखे भजन ना होए गोपाला... दोहा याद करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पानी-ड्रायफूड...
घटना पिछले सोमवार की है। जब अपने विकासपुरूष का आगमन हुआ था। प्रोटोकॉल के तहत ग्रीनरूम बनाया गया था। जहां पर पानी को लेकर पहली घटना हुई। अंदरखाने की खबर है। ग्रीनरूम में पानी की बोतल नहीं रखी गई थी। जिसको लेकर सरकारी सोशल मीडिया ग्रुप पर लिखा-पढ़ी भी हुई। जिस विभाग को यह जिम्मेदारी थी। उसकी मुखिया ने लिखा। पानी रखा है। जबकि व्यवस्था देख रही मैडम ने लिखा। पानी नहीं रखा है। इसके बाद अपने विकासपुरूष का उडनखटोला उतरा। वह ग्रीनरूम भी गये। जहां पानी मिला या नहीं? इसको लेकर सभी चुप है। दूसरी घटना अगले दिन की है। जब विकासपुरूष तहसीलों में गये थे। चर्चा है कि उडनखटोले वालों ने निवेदन किया था। अंदर कुछ ड्रायफूड रखवा दीजिए। मगर उनकी बात अनसुनी कर दी गई। दोनों घटना की चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
58 इंची ...
वैसे तो सीने को लेकर 56 इंच की कहावत है और अपने दूसरे माले के मुखिया 57 विभागों के प्रमुख है। किन्तु अपने कप्तान जी 58 इंची योग्यता रखते है। तभी तो उन्होंने आजादी पर्व के दिन अपने 58 मातहतों को प्रमाण-पत्र दिलवा दिये। जबकि राजस्व का काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी बेचारे इंतजार करते ही रह गये। उनको उम्मीद थी कि सम्मानित होंगे। लेकिन इनके दिल के अरमां आंसूओं में बह गये। सूची में नाम थे। मगर काट दिये गये। किन्तु कप्तान जी ने अपने मातहतों का ख्याल रखा। तभी तो संकुल के गलियारों में बैठने वाले कप्तान को 58 इंच की उपाधि देकर गुणगान कर रहे है। उनकी बात सही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डरना नहीं ...
इतवार को अपने विकासपुरूष देवी अहिल्या नगरी में थे। जहां उनका उद्बोधन 1 तीर-2 शिकार वाला रहा। उन्होंने मंच से साफ-साफ कहा। जीवन में डरना नहीं चाहिये। जरूरत पडऩे पर शेषनाग कालिया का वध भी करना चाहिये। फन कुचल देना चाहिये। उन्होंने जब यह बात कही। इसके पहले छतरपुर कांड में उन्होंने यह साबित भी किया। डरना नहीं चाहिये। संभवत: उनका इशारा इसी तरफ था। लेकिन कमलप्रेमी इसको राजनीतिक नजरिये से देख रहे है। अहिल्यानगरी के कमलप्रेमी दबी जुबान से स्वीकार रहे है। अपने विकासपुरूष ने 2 नंबरी नेताजी पर प्रहार किया है। तभी तो इस कार्यक्रम से 2 नंबरी नेताजी नदारद थे। अहिल्यानगरी के कमलप्रेमियों की बात सच भी हो सकती है। क्योंकि श्रीकृष्ण के अनेक नाम है। जिसमें से 1 नाम अपने विकासपुरूष पर है और कृष्ण जैसी लीला रचाने में अपने विकासपुरूष को श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है। इसलिए हम तो केवल डरना नहीं से सबक सीख कर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
झपकी ...
कमलप्रेमी इन दिनों दु:खी है। परेशान है। वजह हर रोज नया कार्यक्रम-फिर लंबी उबाऊ बैठक। जिसके चलते झपकी भी आ जाती है। तीन-चार दिन पुरानी घटना है। एक होटल में बैठक थी। जिसमें प्रभारी बाऊजी भी मौजूद थे। बैठक इतनी लंबी और उस पर उबाऊ भाषण। नतीजा प्रथमसेवक को मंच पर ही झपकी आ गई। इधर बेचारे कमलप्रेमी रोज-रोज की इस कार्यक्रम मुसीबत से दु:खी है। इतवार के दिन भी बैठक होती है। परिवार के लिए समय कब निकाले। उस पर उनके कोई भी काम नहीं हो रहे है। दर्शन और भस्मार्ती तक के लिए इधर-उधर गिडगिडाते रहते है। तभी तो कमलप्रेमी खुद बोल रहे है। संस्था मस्त- हम पस्त। परेशान कमलप्रेमियों की बात सच है। हम उनका दु:ख भी समझते है। लेकिन कर कुछ नहीं सकते है। इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
14 पेटी कांड ...
संकुल के गलियारों में 14 पेटी कांड की चर्चा जोरों पर है। मामला स्टेशनरी प्रदाय से जुड़ा है। जिसे खरीदने के लिए सभी नियमों को दरकिनार कर दिया गया। मतलब, भंडार क्रय नियमों की अनदेखी की गई। जिसको लेकर नोटशीट पर टिप्पणी भी लिखी गई थी। भुगतान करना संभव नहीं है। लेकिन बाद में सबकुछ सेट हो गया। पिछली तारीख में सारे कागजात तैयार किये गये। इसके बाद वापस फाइल चली। अपने दूसरे माले के मुखिया के पास पहुंची। जिनको असली सच का पता नहीं है। नतीजा ... भुगतान के निर्देश कर दिये। तभी तो 14 पेटी कांड की चर्चा सुनाई दे रही है। उम्मीद है कि भुगतान के पहले एक बार फिर मामले की जांच होगी। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
रूक्मिणि आये हाथ में, तो राधा खो जाय/ रक्त चाप श्रीकृष्ण का, कम ज्यादा हो जाय।
मोहन राधा करधनी, माधव रूक्मिणि हार/ राधा रूक्मिणि बंध गई, एक प्रेम के तार ।
जन्म कुंडली कृष्ण की, कैसे प्रेम मिलाय? रूक्मिणि राधा घर चली, अपना गर्व गलाय।
मोहन मुरली से कहे, राधा में खो जाय/ राधा रूक्मिणि से कहे, चल मुरली हो जाय।
बीडा सच्चे प्रेम का, जिसने लिया चबाय/ राधा रूक्मिणि कृष्ण का, वरद हस्त पा जाय।
मोहन बंशी प्रेम की, राधा मोहन तान/ शंखघोष रूक्मिणि करे, कृष्ण प्रेम मैदान...।
जन्माष्टमी पर्व की सभी पाठकों को अनंत शुभकामनाएं
सभी दोहे ... साभार... महके चंदन प्रेम का ... से