3 जुलाई 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

सुप्रीम कोर्ट जायेंगे ...
अपने जुगाडूलाल जी आमतौर पर पहले सवाल सुनते है। फिर जवाब देते है। उनकी इस आदत से अपुन परिचित है। लेकिन जब से भरतपुरी स्थित विकास संस्थान के मुखिया बने है। शायद उनकी आदत बदल गई है। तभी तो उन्होंने एक खबरची को 3 दफा बोल दिया। बगैर उसका पूरा सवाल सुने। सुप्रीम कोर्ट जायेंगे। मामला अभी-अभी उच्च न्यायालय से जीती जमीन का है। जिसको लेकर खबरची ने फोन किया था। उनसे पूछा जा रहा था। जमीन मुक्त हो गई है- कब्जा कब लोगे? मगर अपने जुगाडूलाल जी ने पहले ही बोलना शुरू कर दिया। तो क्या हुआ... सुप्रीम कोर्ट जायेंगे... ऐसा 3 दफा बोला। जिसे सुनकर खबरची आश्चय में पड़ गया। खबरची ने उनको रोका। फिर खुशखबरी दी। तब जाकर अपने जुगाडूलाल जी को बात समझ में आई। इधर अपने इंदौरीलाल जी को पता ही नहीं था। केस जीत गये है। इसलिए उन्होंने पता करता हूं... कहकर बात टाल दी। लेकिन कोर्ट जाने की बात, गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हैं।
गाज ...
भरतपुरी स्थित विकास संस्थान के एक कर्मचारी पर गाज गिर सकती है। ऐसी चर्चा संस्थान के गलियारों में सुनाई दे रही है। मामला खबरची कोटे के भूखण्डो से जुड़ा है। जिसमें संस्थान के कर्मचारी ने अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए, अपने एक रिश्तेदार को फायदा पहुंचाया है। चर्चा पर अगर यकीन किया जाए तो मामला अपने इंदौरीलाल जी तक पहुंच गया है। देखना यह है कि यह केवल चर्चा है या वाकई कर्मचारी पर गाज गिरती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
फिक्स रेट ..
अक्सर दुकानों पर फिक्स रेट लिखा होता है। किन्तु सरकारी कार्यालयों में रिश्वत का फिक्स रेट नहीं होता है। जैसा बकरा देखा-वैसा काट दिया। किन्तु एक कार्यालय में फिक्स रेट है। वहां पदस्थ एक बाबू का। यह कार्यालय परिवहन विभाग के नजदीक स्थित है। प्रथम तल पर। जहां से कॉलोनी के विकास का कामकाज चलता है। अंदरखाने की खबर है। बाबू ने अपना रेट 50 हजारी फिक्स कर रखा है। अगर नहीं मिले तो फाइल में इतनी कमियां निकालते है। सामने वाला समझ जाता है। बाबू का साफ कहना है। यह राशि केवल मेरे हिस्से की है। बाकी आगे आप जानो। ऐसी चर्चा फिक्स रेट कार्यालय में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।
धूल हटाई ...
सरकारी विभाग में कई फाइलों पर धूल जम जाती है। मगर जब धूल छटती है। तो हड़कंप मच जाता है। ऐसा ही हड़कंप वर्दी में मचने वाला है। अंदरखाने की खबर है। अपने डेल्टा जी ने एक फाइल की धूल हटा दी है। मामला नानाखेड़ा क्षेत्र का है। करीब 2 साल पुराना। जिसमें वर्दी, अपनी चहेती कॉलगर्ल के माध्यम से उगरानी करते थे। कॉलगर्ल, ग्राहक के पास पहुंचकर फोन कर देती थी। ग्राहक पकड़ा जाता। फिर वसूली होती थी। यह मामला 2 साल पहले सुर्खियों में था। 4 वर्दीधारी लपेटे में आ गये थे। तब अखबारों में खूब छपा था। मगर धीरे-धीरे सब शांत हो गया। अब अपने डेल्टा जी ने इस मामले की फाइल खोली है। देखना यह है कि क्या कार्रवाई होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
साफगोई ...
अपने उत्तम जी की आदत है। साफ-साफ बोलने की। इसमें वह कोई मुरव्वत नही पालते है। इस साफगोई के शिकार एक नगरसेवक हो गये। जो कि बंदूक लायसेंस की सिफारिश लेकर गये थे। ऑफिस से बाहर निकलते वक्त नगरसेवक ने निवेदन किया। लायसेंस बनवा दो। अपने उत्तम जी ने पूछ लिया। तुम्हारा है क्या? जवाब में पता चला कि ... नगरसेवक 3 लायसेंस की सिफारिश लेकर आये थे। जिस पर अपने उत्तम जी ने साफ कह दिया। दलाली करते हो क्या। उत्तम जी की प्रतिक्रिया सुनकर, नगरसेवक का चेहरा उतर गया। वह चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बाहर निकाला ...
आमतौर पर यही होता है। जब कोई अधिकारी जिले से स्थानांतरित होता है। तो वह सबसे पहले जिले के लगभग सभी सोशल मीडिया ग्रुप से लेफ्ट होता है। खासकर सरकारी मशीनरी वाले ग्रुप से। हर आईएएस अधिकारी यही करता है। अपना रिश्ता तत्काल तोड देता है। लेकिन कुछ अपवाद होते है। जैसे अपने सूरज जी, दमदमा के फूटी किस्मत वाले और नरो में इंद्र। यह सभी आज अलग-अलग जिलों के मुखिया है। लेकिन अभी तक टीम उज्जैन ग्रुप में जुड़े हुए थे। किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। संभवत: अपने उत्तम जी की निगाह इस पर पड़ गई। उन्होंने सभी को ग्रुप से बाहर निकलवा दिया। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चेतावनी ...
अपने उत्तम जी ने पदभार संभालने के बाद पहली बैठक में क्लियर कर दिया था। अपनी कार्यशैली को लेकर। तभी तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया था। अगर मेरे साथ काम नहीं करना है, तो अपना तबादला करवा ले। तब उनकी बात को इतनी गंभीरता से नहीं लिया गया। अब उनकी कार्यशैली से सब त्राहिमाम है। बची हुई कसर शनिवार की बैठक में हो गई। जब उन्होंने चेतावनी जारी कर दी। कार्यशैली सुधार लो... वरना सबकी सीआर बिगड़ जायेंगी। उनकी इस चेतावनी से राजस्व अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। बैठक में अपने उत्तम जी ने एक चेतावनी तहसीलदार मैडम को दी। जो कि बदबू वाले शहर में पदस्थ है। कार्यप्रणाली सुधारने की। देखना यह है कि इस चेतावनी के बाद कितने अधिकारी सुधरते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
छीका फूटा ...
बिल्ली के भाग्य से छीका फूटा। यह कहावत तो सभी पाठकों ने सुनी होगी। भरतपुरी स्थित विकास संस्थान में यह कहावत सुनाई दे रही है। इशारा ... 280 खोखे के मिले उपहार की तरफ है। जो कि केन्द्र सरकार से मिला है। पहले यह काम स्मार्ट सिटी को मिलने वाला था। शिवाजी भवन के मुखिया राजधानी में प्रजेंटेंशन भी देकर आ गये थे। हरी झंडी भी मिली थी। तब यह काम 80 खोखे के अंदर था। लेकिन अचानक महाकाल लोक कांड हो गया। जिसके बाद यह फैसला लिया गया। अब यह काम भरतपुरी वाले इंदौरीलाल जी करेंगे। जबकि जुगाडूलाल जी और इंदौरीलाल जी दावा कर रहे है। उनको चुना गया है। अच्छे काम के आधार पर। जबकि हकीकत ... छीका फूटा है। फिर भी हम उनकी खुशफहमी में शामिल होकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
प्रलाप ...
हमारे पाठकों ने छीका फूटा अभी-अभी पढ़ा ही होगा। उसी की यह कड़ी है प्रलाप। जो कि इन दिनों अपने प्रथम सेवक कर रहे है। उसी यूनिटी मॉल को लेकर। जिसकी जिम्मेदारी जुगाडू जी और इंदौरी जी को मिली है। अब अपने प्रथम सेवक उसके संचालन की डिमांड कर रहे है। काश ... वह महाकाल लोक कांड के समय खामोश रहते। तब तो वह चिल्ला-चिल्ला कर अपनी ही संस्था पर सवाल उठा रहे थे। स्मार्ट सिटी के काम पर। अब जब 280 खोखे वाला का छिन गया। तो प्रलाप कर रहे है। तभी तो शिवाजी भवन के गलियारों में शायर डॉ. नवाज देवबंदी को याद किया जा रहा है। इस अशआर के साथ। ऐसी-वैसी बातों से तो अच्छा है खामोश रहो/ या फिर ऐसी बात कहो जो खामोशी से अच्छी हो। इसलिए हम तो अपने प्रथम सेवक के प्रलाप को इग्नोर करके, अपनी आदत के अनुसार खामोश हो जाते है।
अपशब्द...
कोई भी इंसान जब मंदिर जाता है। खासकर बाबा महाकाल के दरबार में। तो वह अपने मन और जुबान पर काबू रखता है। लेकिन जब मंदिर का पुजारी ही अपशब्दों का प्रयोग करे। तो उसको क्या सजा मिलनी चाहिये। रविवार सुबह 6 बजे की घटना है। एक पुजारी ने जो अपशब्द कहे। वह हम लिख नहीं सकते है। लेकिन वहां मौजूद सभी भक्तगणों ने इन अपशब्दों को माईक पर सुना। उस वक्त जब गर्भगृह में जलाभिषेक के लिए भक्तगण जा रहे थे। तब वहां मौजूद सहायक प्रशासनिक अधिकारी ने इस पुजारी के यजमानों को रोक दिया। बस फिर क्या था। पुजारी जी ने ऐसे अपशब्दों का प्रयोग किया। वह भी उस वक्त, जब माईक चालू था। पूरे गलियारे में उनकी गालियां सभी भक्तों ने सुनी। जिन्होंने यह बाबा के सामने खड़े रहकर अपशब्द कहे। वह वर्तमान में प्रबंध समिति के सदस्य है। पॉवरफूल है। इसलिए उनके उद्गार सुनकर सहायक प्रशासनिक अधिकारी चुपचाप निकल गये। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। ताज्जुब की बात यह है कि ... अपने इंदौरीलाल जी तक भी इसकी खबर पहुंच गई। लेकिन वह समिति सदस्य के पॉवर को देखकर चुप है। अब उम्मीद केवल अपने उत्तम जी से है। वह इस घटना पर क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
धंधे में क्या रखा है, पसीना बहाओगे/ और नौकरी में व्यर्थ जिंदगी गंवाओगे/ कितना करोगे खर्च और कितना कमाओगे/ सारी उमर खपा के भी कितना बचाओगे/ 100-100 के नोट चाहिये, चमचागिरी करो/ ख्वाहिश 1000 की हो तो, दादागिरी करो/ वोटो की राजनीति है, सौदागिरी करो/ लाखों में खेलना हो तो नेतागिरी करो... हेमंत श्रीमाल ... उज्जैन के कवि