08 अगस्त 2022 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

08 अगस्त 2022 (हम चुप रहेंगे)

भक्ति...

बाबा महाकाल अपने भक्तों की खूब परीक्षा लेते है। खासकर अतिविशिष्ट भक्त की। तभी तो पिछली सवारी में एक वीवीआईपी भक्त को नाव की सवारी करनी पड़ी। राणोजी की छत्री तक पहुंचने के लिए। यह वीवीआईपी भक्त कमलप्रेमी संगठन के टॉप बॉस है। वैसे उनको मंदिर पहुंचना था। अपने मामाजी के साथ पूजा करनी थी। मगर लेट हो गये। नतीजा उनको भीड से निकालकर जैसे-तैसे दत्त अखाड़ा भेजा गया। वहां से फिर नाव की सवारी करी और पूजन में शामिल हुए। जिसके बाद कमलप्रेमी बोल रहे है। हित के आनंद की बाबा ने खूब परीक्षा ली। कमलप्रेमियों के इस वीआईपी भक्त की भक्ति पर हम तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप रहेंगे।

जिद्दी ...

हर किसी का अपना स्वभाव होता है। जो उसकी कार्यशैली से झलकता है। एक वर्दीवाली मैडम है। जिनका स्वभाव जिद्दी है। अगर वह ठान लेती है। तो फिर न्याय देवता मंदिर के मुखिया को भी कुछ नहीं समझती है। इन जिद्दी मैडम के पास सुरक्षा देने वालो की फौज है। उन्हीं के आदेश पर सुरक्षाकर्मी ड्यूटी करते है। एक सुरक्षाकर्मी से मैडम नाराज हो गई। मुख्यालय पर आमद देने का फरमान निकाल दिया। सुरक्षाकर्मी, न्याय देवता के मुखिया के साथ तैनात था। नतीजा ... न्याय देवता मंदिर के मुखिया ने कप्तान से बात करी। अपने कप्तान जी ने कोशिश की। फरमान रद्द हो जाये। मगर अपनी जिद्दी मैडम नहीं मानी। सुरक्षाकर्मी को वापस आना पड़ा। ऐसी चर्चा देवास रोड स्थित मुख्यालय पर सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

आशीर्वाद ...

अपने चुगलीराम जी को आशीर्वाद की जरूरत है। हमारे पाठकों के दिमाग में सवाल खड़ा हो सकता है। बाबा महाकाल की सेवा करते है। बाबा से बड़़ा आशीर्वाददाता कौन हो सकता है। मगर यहां आशीर्वाद बाबा का नहीं चाहिये। बल्कि चुगलीराम जी को राजनीतिक आशीर्वाद चाहिये। तभी तो उन्होंने पिछले सप्ताह सिफारिश लगवाई। अवसर था ब्रिज पूजन का। पूजन कराने वाले बाबा से सिफारिश करवाई। अपने मामाजी को। अपने चुगलीराम जी की तरफ इशारा करते हुए बोला। इन पर आपका आशीर्वाद बना रहे। मामाश्री ने सुनकर अनसुना कर दिया। इसके बाद मामीश्री के पास गये। उनसे भी आशीर्वाद मांगा। सहज- सरल मामीश्री ने कह दिया। आशीर्वाद है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। अब सच और झूठ का फैसला हमारे पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

भगा दिया ...

शिवाजी भवन में लोकतंत्र आ गया है। अब लोकतंत्र आया है तो वाहन भी चाहिये। ताकि लोकतंत्र के रखवाले काम कर सके। अभी तक शिवाजी भवन का एक वाहन आलाधिकारी के कब्जे में था। इसी वाहन से जुड़ी यह घटना है। जिसकी चर्चा शनिवार को शिवाजी भवन में सुनाई दी। चर्चा है कि वाहन वापस लेने के लिए कोई बंगले गया था। जहां पर उसका सामना मैडम जी से हो गया। वाहन वापस की बात सुनकर मैडम जी भडक गई। उन्होंने फटकार लगा दी। लेने गये सज्जन मुंह नीचा करके सुनते रहे। फिर बंगले से भगा दिया। हालांकि शनिवार की दोपहर में वाहन पहुंच गया। जिसे देखकर ही यह घटना सामने आई। अब फटकार और भगाने को लेकर तो हम कुछ नहीं कर सकते है। तो बस अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हिम्मत ...

अपने पपेट जी ने पिछले दिनों बड़ी हिम्मत दिखाई थी। 6 पहियां वाले वाहनों को लेकर। 3 बाबूओं को नोटिस थमा दिये थे। ढाई खोखे का नुकसान शिवाजी भवन को बताया था। डरे- सहमे बाबूओं ने जवाब भी दे दिया। मगर उसके बाद से एक सवाल शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रहा है। सवाल यह है कि ... बाबूओं को तो नोटिस थमा दिया। लेकिन उन 4 अधिकारियों को नोटिस कब जारी होंगे। जिन्होंने सीईओ बनकर खूब मलाई खाई। इन 4 पर मेहरबानी क्यों है। इन चारों को भी नोटिस जारी होना चाहिये। इस सवाल का जवाब शिवाजी भवन में किसी के पास नहीं है। उल्टे यह बोला जा रहा है कि अगर वाकई ढाई खोखे की वसूली अपने पपेट जी चाहते। तो लोकतंत्र आने के पहले ही हिम्मत दिखाकर कार्रवाई करते। अब कुछ भी नहीं होना है। नतीजा बाबू सहित अपने पपेट जी इस मामले को लेकर बिलकुल चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हिम्मत-2 ...

भले ही यह कडवा सच है। मगर सच तो है। अपने पपेट जी 6 पहियां वाहन की वसूली में नोटिस के अलावा कोई हिम्मत नहीं दिखा पाये। मगर इसका अर्थ यह कदापि नहीं निकाले। वह बाकी मामलों में अपनी हिम्मत और कलम की ताकत नहीं दिखायेंगे। अभी-अभी उन्होंने हिम्मत दिखाई है। फिर एक अधिकारी को घर पर बैठा दिया है। अतिक्रमण हटाने/ तोडऩे में यह अधिकारी हमेशा आगे रहते थे। पिछले काफी दिनों से लापता है। स्वास्थ्य लाभ के कारण। इसी को आधार मानकर अपने पपेट जी ने उनकी फाइल निपटा दी। जबकि अधिकारी की सेवानिवृत्ति नजदीक है। बहरहाल शिवाजी भवन में अपने पपेट जी की इस हिम्मत की चर्चा खूब सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

काला झंडा ...

अपने विकास पुरूष को कौन काला झंडा दिखाने की पोस्ट अपलोड कर सकता है। वह भी सोशल मीडिया पर। लेकिन ऐसा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र के ग्राम कुटलाना के निवासी ने सोशल मीडिया पर लिखा है। उनका आक्रोश दमदमा ग्रामीण भवन में बैठाई गई अनपढ़ महिला की तरफ है। जिसे मुखिया बना दिया गया। तभी तो उन्होंने लिख दिया। मुझे पता होता कि ... वार्ड 14 में विकास पुरूष आये है... तो सबसे पहले काला झंडा दिखाकर विरोध प्रकट करता। उनकी इस पोस्ट की ग्रामीण कमलप्रेमियों में खूब चर्चा है। दबी जुबान से सभी अपलोड पोस्ट की तारीफ कर रहे है, लेकिन खुलकर कोई सामने नहीं आ रहा है। इसलिए हम भी दबी जुबान से अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सौदा ...

क्या मिशन 2023 के लिए सौदा किया गया है। क्या दमदमा के ग्रामीण भवन की कुर्सी को लेकर लेनदेन हुआ है। इसकी चर्चा दाल-बिस्किट वाली तहसील में जोरो पर है। जिसके चलते सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड की गई है। जिसमें इशारा अपने लेटरबाज जी की तरफ है। पोस्ट अपलोड करने वाले ने अपने लेटरबाज जी को,  मुंगेरीलाल का हसीन सपना देखने वाले का खिताब भी दिया है। इतना ही नहीं 84 महादेव की यात्रा को 84 योनी से जोड़कर महापाप करने की संज्ञा भी दे डाली है। सीधे-सीधे लिखा गया है। चंद रूपयों के लिए महापाप करोंगे तो महादेव सब देख रहे है। कमलप्रेमियों में लंबे समय से चर्चा है कि अपने लेटरबाज जी मिशन-2023 के लिए  दावेदारी करने वाले है। वह भी दाल-बिस्किट वाली तहसील से। इसीलिए उन्होंने दमदमा ग्रामीण भवन की कुर्सी का सौदा किया है। अब देखना यह है कि अपने लेटरबाज जी इन विरोधियों से कैसे और किन शर्तो पर सौदा तय करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

चलते-चलते ...

शिवाजी भवन से लेकर स्मार्ट भवन तक इन दिनों एक नाम सुनाई दे रहा है। यह नाम मिस्टर लालची जी है। जिसको लेकर चर्चा तो खूब है। मगर कोई भी हमको लालची जी का असली नाम उजागर नहीं कर रहा है। ज्यादा पूछताछ करने पर यह इशारा दिया जाता है। मिस्टर लालची जी ने 50 हजारी के लिए एक ठेकेदार को फोन लगा-लगाकर परेशान कर दिया। तभी से इनका नाम लालची जी रख दिया गया है। अब यह लालची जी कौन है? हमारी खोजबीन जारी है। बाबा की कृपा रही तो अगले सप्ताह तक खुलासा हो जायेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।