उज्जैन की तुलना मथुरा से : यह किसका आइडिया था... महापौर जी ...!

नगर निगम के गलियारों में यात्रा को लेकर सवाल 

उज्जैन की तुलना मथुरा से : यह किसका आइडिया था... महापौर जी ...!

उज्जैन। महाकाल नगरी की तुलना श्रीकृष्ण की नगरी से ? यहां हमारा आशय धार्मिकता से नहीं है। दोनों नगरी का अपना-अपना महत्व है। लेकिन हम यहां तुलना स्वच्छता को लेकर कर रहे है। जिसके लिए हमारे प्रथमसेवक और नगरसेवकों ने अभी-अभी मथुरा का दौरा किया है। नतीजा, नगर निगम के गलियारों में चर्चा है। उज्जैन की तुलना मथुरा से : यह किसका आइडिया था... महापौर जी ...!

यह सर्वविदित है। महापौर मुकेश टटवाल सहित 24 पार्षदों का दल मथुरा यात्रा पर गया है। उनकी इस यात्रा के लिए स्वच्छता मिशन का सहारा लिया गया। क्योंकि ... स्वच्छता वह हाथठेला है... जिसको हर किसी ने धकेला है...! इस स्लोगन का महापौर व उनकी टीम ने भी सहारा ले लिया। तभी तो जो शहर स्वच्छता रैकिंग में 49 वें स्थान पर है। उसका दौरा करने महापौर व हमारे पार्षदगण गये हुए है। जबकि उज्जैन स्वच्छता रैकिंग में मथुरा से बहुत ज्यादा आगे है। तभी तो अंडर-10 लाख में हम देश के अंदर प्रथम स्थान हासिल कर चुके है। जब आयुक्त प्रतिभा पाल थी। इसके अलावा 3-11-17 व 27 वें स्थान पर भी उज्जैन आ चुका है। जो कि 49 रैकिंग से तो ज्यादा ही है। 

अग्रिम भुगतान ... 

नगर निगम यूं तो किसी भी कार्य के भुगतान हेतु ठेकेदार चक्कर काटते है। काम करने के बाद भी राशि नहीं मिलती। अग्रिम भुगतान की बात करना तो सपने देखना है। लेकिन मथुरा गये दल के लिए अग्रिम भुगतान निकाला गया। मात्र 2.50 लाख रूपये। अंदरखाने की खबर है। नोटशीट पर स्वच्छता स्टडी भ्रमण का सहारा लिया गया। एक राजस्व निरीक्षक के नाम पर यह अग्रिम भुगतान निकाला गया। यह राशि इसलिए अग्रिम ली गई। ताकि महापौर व पार्षदों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो। 

क्या सीखा ... 

यहां पर यह लिखना जरूरी है। अगर स्वच्छता को लेकर ही हमारे जनप्रतिनिधि चिंतित व जागरूक है। तो उनको पडोसी जिले इंदौर का दौरा करना था। जो कि देश में नम्बर-1 है। अगर मंदिर प्रबंधन की व्यवस्था देखनी थी? तो तिरूपति बालाजी या शिर्डी जाते? अगर मंदिर के आसपास की व्यवस्था देखनी थी? तो अमृतसर जाते। लेकिन हमारे समझदार जनप्रतिनिधि तो धार्मिक यात्रा पर थे। स्वच्छता की आड में, इसलिए उन्होंने उज्जैन से पिछडे शहर मथुरा को चुना। अब सवाल यह है कि ... आखिर मथुरा से इस दल ने क्या सीखा होगा? इसको लेकर महापौर से उम्मीद है। वह अपने अनुभव व जो कुछ भी सीखा, वह मीडिया को जरूर बतायेंगे। मगर बात केवल स्वच्छता को लेकर होगी। 

विरोध ... 

अंदरखाने की खबर है। दरअसल मथुरा यात्रा को लेकर नेता प्रतिपक्ष रविराय ने आपत्ति ली थी। उनकी आपत्ति नियमानुसार थी। अगर धार्मिक यात्रा पर जाना है। तो परिषद की मंजूरी लेना अनिवार्य है। महापौर अगर यह रिस्क लेते तो यात्रा खटाई में पड जाती। इसलिए रास्ता निकाला गया। स्वच्छता के हाथठेला वाला। स्टडी के नाम पर धार्मिक यात्रा हो गई और परिषद की मंजूरी भी नहीं लेनी पडी l