हद है... दिव्यांगों को प्रमाण-पत्र भी नहीं दे पाये ...!
व्यवस्था पर सवाल ...

उज्जैन। दिव्यांग ...! जिनको देखकर हर किसी के दिल में हमदर्दी की लहर उठती है। लेकिन सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग उज्जैन के दिल में कोई हमदर्दी पैदा नहीं होती। तभी तो जिला पंजा कुश्ती प्रतियोगिता में आये दिव्यांगजनों को बगैर प्रमाण-पत्र दिये भगा दिया गया। ताज्जुब की बात यह है कि शासन द्वारा प्रतियोगिता के लिए राशि भी स्वीकृत की गई थी।
गत 10 अप्रैल को दिव्यांग पंजा कुश्ती प्रतियोगिता संपन्न हुई थी। जिसमें जिले के कुल 7 दिव्यांगजनों ने भाग लिया था। जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र में प्रतियोगिता हुई थी। 60 किलो वर्ग की। जिसमें यशराजसिंह असावत प्रथम, दिलीपसिंह द्वितीय व दिलीपसिंह पिता कमलसिंह तृतीय रहे। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। खिलाड़ी को जीतने पर प्रमाण-पत्र व मैडल दिया जाता है। लेकिन उज्जैन का सामाजिक न्याय विभाग इतना गरीब है कि उसके पास इन तीनों खिलाडिय़ों को प्रमाण-पत्र देने के लिए राशि नहीं थी। तभी तो तीनों खिलाडिय़ों को बगैर प्रमाण-पत्र दिये बैरंग लौटा दिया।
राशि भी थी ....
ऐसा नहीं है कि मप्र शासन ने इन दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए राशि स्वीकृत नहीं की थी। शासन के निर्देश थे। पंजा कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाडिय़ों के लिए निराश्रित निधि के ब्याज से 10 हजार की राशि भी स्वीकृत की थी। लेकिन इसके बाद भी जिले के सामाजिक न्याय विभाग ने तीनों विजेताओं को कोई प्रमाण-पत्र नहीं दिया। जबकि कुल 6 खिलाडिय़ों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया था। बस ... एक फूलमाला पहनाकर प्रथम विजेता का सम्मान कर दिया। वहां मौजूद सभी को केवल चाय पिलाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। विदित रहे कि यही प्रतियोगिता आज पडोसी संभागीय मुख्यालय इंदौर में आयोजित की जा रही है। जिसमें भाग लेने वाले दिव्यांगों को प्रोत्साहन देने के लिए बकायदा सहभागिता प्रमाण-पत्र छपवाये गये है। (देखे चित्र) इसके साथ ही 10 अप्रैल को आयोजित पंजा कुश्ती प्रतियोगिता का यह वीडियो भी देखिए। जिसमें दिव्यांग खिलाड़ी नजर आ रहे है।