अनोखा फरमान, शिलालेख हुए 'भगवान '...!
उज्जैन। महाशिवरात्रि पर्व के एक दिन पहले एक फरमान निकला। विक्रमादित्य प्रशासनिक सकुंल भवन से। यह फरमान मौखिक था। कोई लिखित आदेश नहीं था। जिसका नतीजा यह हुआ कि ... बाहर आये भक्तजनों ने शिलालेख पत्थर को ही भगवान समझकर पूजा-अर्चना कर डाली।
दरअसल महाशिवरात्रि पर्व पर भीड तो महाकाल मंदिर सहित हर शिव मंदिर पर थी। भक्तगण फल-फूल और प्रसाद चढ़ा रहे थे। मगर बाबा महाकाल के सेनापति बाबा कालभैरव के मंदिर पर कुछ अलग ही नजारा था। जहां पर मंदिर में फल-फूल-प्रसाद व मदिरा चढ़ाने पर रोक लगा दी गई थी। यह मौखिक फरमान था। ऐसा फरमान ... महाशिवरात्रि पर्व पर आजतक कभी नहीं निकला था। ऐसा संकुल के गलियारों से लेकर मंदिर के सूत्रों का कहना है।
प्रसाद नहीं चढेगा ...
भारतीय धर्म की सनातन परम्परा है। हम जब भी मंदिर जाते है। तो फल-फूल- प्रसाद चढ़ाते है। गरीब हो या अमीर। सब अपनी-अपनी श्रद्धा से प्रसाद चढ़ाते है। इस पर कभी भी रोक नहीं लगाई जाती है। किन्तु उज्जैन के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है। जब महाशिवरात्रि पर्व पर मौखिक आदेश निकला। विशेष तौर पर कालभैरव मंदिर के लिए। पुजारी ... प्रसाद व मदिरा को हाथ भी नहीं लगायेंगा। केवल ... टोकरी को टच करके भक्तों को ही थमा देगा। नतीजा ... बाहर से आये भक्तों ने अपना रास्ता निकाल लिया। सिहंस्थ 2004 में हुए लोकापर्ण शिलालेख पर ही पूजा शुरू कर दी। (देखे चित्र) खूब नारियल चढ़ाये और मदिरा भी। इसके अलावा मंदिर के पीछे स्थित ओटले पर भी मदिरा चढ़ाई गई। हालात यह थे कि ... हर 30 मिनिट बाद नारियलों का ढेर लग जाता था। जिसे मंदिर के सुरक्षाकर्मी हटाते थे। तभी तो कालभैरव मंदिर में शुक्रवार को यह चर्चा सुनाई दी। अनोखा फरमान- शिलालेख हुए भगवान... !