इधर मतदान बढ़ाने की कोशिश: उधर अधिकारियों में तू-तू-मैं-मैं... !

इधर मतदान बढ़ाने की कोशिश: उधर अधिकारियों में तू-तू-मैं-मैं... !

उज्जैन।  एक तरफ जिला निर्वाचन अधिकारी इस कोशिश में लगे है। आगामी 13 मई को होने वाले मतदान का प्रतिशत, पिछली दफा से ज्यादा हो। जिसके लिए वह हर प्लेटफार्म पर जाकर कोशिश कर रहे है। वहीं दूसरी तरफ ड्यूटी को लेकर 2 अधिकारी बुधवार रात को आमने-सामने हो गये। दोनों के बीच जमकर तू-तू-मैं-मैं हुई। नतीजा एक अधिकारी शुक्रवार को अवकाश पर चले गये।

लोकसभा चुनाव के लिए अभी तक प्रदेश में हुए मतदान में गिरता हुआ प्रतिशत चुनौती बना हुआ है। जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर नीरजसिंह के लिए। इसलिए वह चिंतित है। तभी तो वह कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे है। कोशिश यही है कि पिछली दफा की तुलना में इस बार ज्यादा से ज्यादा मतदान हो। लगातार बैठके ले रहे है। सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार कर रहे है। इसी कड़ी में आज साईकिल रैली का आयोजन किया गया था। जिसके कर्ता-धर्ता नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक थे। उन्हीं की देखरेख में यह रैली आयोजित की गई थी। शाम 5 बजे सिहंस्थ मेला कार्यालय से रैली शुरू हुई। 9 किलोमीटर लंबी। जिसमें संभागायुक्त, आईजी, डीआईजी, कलेक्टर, एसपी, निगमायुक्त सहित स्मार्ट सिटी व निगम कर्मचारी शामिल हुए। रैली समाप्त होने के बाद मतदान करने की शपथ दिलाई गई।

बंद कमरे में ...

इधर प्रशासनिक संकुल के गलियारों में 2 अधिकारियों के बीच हुई लडाई की चर्चा  जोरों पर है। दबी जुबान से एनआईसी के धर्मेन्द्र जैन व डॉ. पीएस मालवीय संयुक्त संचालक योजना एवं सांख्यिकी के बीच हुई गरमा-गरम बहस चर्चाओं में है। घटना बुधवार की रात 8 से 9 के बीच की बताई जा रही है। सूत्रों का कहना है। लडाई का कारण सांख्यिकी विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने से जुड़ा है। जिसका संयुक्त संचालक ने विरोध किया। उन्होंने एनआईसी मुखिया श्री जैन से अनुरोध किया। इनको ड्यूटी से मुक्त कर दो। मगर एनआईसी मुखिया ने मना कर दिया, बल्कि इन सभी को पीठासीन अधिकारी बना दिया।

सूत्रों पर अगर यकीन किया जाए। तो मामला उप जिला निर्वाचन अधिकारी महेन्द्र सिंह कवचे तक भी पहुंचा था। उन्होंने भी ड्यूटी से मुक्त करने के निर्देश दिए थे। मगर एनआईसी मुखिया जिद पर अड गये। जिसके चलते बुधवार की रात दोनों अधिकारी आमने-सामने हो गये। बंद कमरे में जमकर बहस हुई। सूत्र तो यह भी कह रहे है कि झुमा-झटकी हो गई। बंद कमरे से आवाजे बाहर तक आती रही। जिसके बाद यह हुआ कि गुरूवार को दोनों अधिकारियों के बीच बोलचाल बंद रही और शुक्रवार को एनआईसी के मुखिया अवकाश पर चले गये।