कॉलोनी सेल, अंदर ही अंदर चल रहे 'खेल'... !

कॉलोनी सेल, अंदर ही अंदर चल रहे 'खेल'... !

नगर निगम के गलियारों में चर्चा है। कॉलोनी सेल की कार्यप्रणाली को लेकर। दबी जुबान से नहीं, बल्कि खुलकर बोला जा रहा हैकॉलोनी सेल: अंदर ही अंदर चल रहे 'खेल'... ! तभी तो एक डिप्लोमाधारी को 1-2 नहीं बल्कि 3 पदों की जिम्मेदारी दी गई है।  ताज्जुब की बात यह है कि इस अधिकारी का तबादला 1 साल पहले हो चुका है। मगर आज तक कार्यमुक्त नहीं हुए हैं।

महापौर मुकेश टटवाल हो जिस पर मेहरबान। उस अधिकारी पर कौन डाले हाथ? ऐसी चर्चा निगम के गलियारों में सुनाई दे रही है।  इशारा नगर निगम में 3 पद संभालने वाले अधिकारी आरआर जारोलिया की तरफ है। जिनके पास अधीक्षण यंत्री, नगर निवेशक व कॉलोनी सेल का प्रभार है। जिनको लेकर निगम में यह चर्चा आम है। वह डिप्लोमाधारी है। उनका तबादला 24 नवम्बर 2022 अर्थात 13 महीने पहले ग्वालियर, नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने कर दिया था। लेकिन आज तक कार्यमुक्त नहीं हुए है। सूत्रों का कहना है कि ... उल्टे महापौर की मेहरबानी के चलते उनको नगर निगम में अटैच कर दिया गया। तत्कालीन संभागायुक्त संदीप यादव ने यह आदेश निकाला था। नतीजा ... आज श्री जारोलिया 3 पद की जिम्मेदारी संभाल रहे है।

उल्लंघन ...

निगम के गलियारों में यह भी चर्चा है। एक तरफ जहां अंडर-ट्रांसफर अधिकारी को कार्यमुक्त नहीं करके नियमों का उल्लंघन किया गया है। वहीं दूसरी तरफ एमआईसी मेम्बर योगेश्वरी राठौर के एक पत्र को लेकर भी चर्चा है। यह पत्र 22 दिसंबर 2023 को लिखा गया था। (देखे फोटो) यह पत्र अधीक्षण यंत्री कॉलोनी सेल को लिखा था। पत्र का विषय ... नवविकसित कॉलोनियों का स्थल निरीक्षण करने बावत है। पत्र को लेकर नगरीय प्रशासन नियमों के जानकार इसे उल्लंघन बता रहे है। सूत्रों का कहना है कि ... एमआईसी सदस्य सीधे अधीक्षण यंत्री को पत्र लिखकर आदेश नहीं दे सकती है। उनको केवल एमआईसी बैठक में अपने विचार रखने का अधिकार है।

गुना बस कांड के पीडित से चर्चा करते मुख्यमंत्री  

तेवर ...

उज्जैन के गौरव व प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज साबित कर दिया। शासन कैसे चलाया जाता है। गुना बस कांड में उन्होंने तेवर दिखाये। उसकी चर्चा पूरे प्रदेश में है। परिवहन आयुक्त- कलेक्टर- एसपी-आरटीओ व सीएमओ को तत्काल हटा दिया। यह सीधा और साफ संदेश है। प्रदेश की नौकरशाही के लिए। लापरवाही बर्दास्त नहीं होगी। इधर इसका एक राजनीतिक पहलू भी है। मुख्यमंत्री के इस कदम को राजनीति समझने वाले दूसरे नजरिये से भी देख रहे है। मंत्रिमंडल बन चुका है। विभागों का बटवारा होना है। मगर इस घटना के बाद यह तय है। सिंधिया समर्थक गोविंद राजपूत को विभाग वितरण में परिवहन विभाग अब किसी हाल में नहीं मिलेगा। विदित रहे कि शिवराज कार्यकाल में गोविंद राजपूत परिवहन मंत्री थे। इस बार परिवहन मंत्री कोई नया चेहरा होगा। ऐसा हमारे राजधानी के सूत्रों का कहना है।