04 जुलाई 2022 (हम चुप रहेंगे )

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

04 जुलाई 2022 (हम चुप रहेंगे )

गायब ...

पिछले दिनों मंदिर में एक अनुष्ठान हुआ था। राष्ट्रहित और अच्छी बारिश के लिए। इस अनुष्ठान में पूर्णाहूति अपने उम्मीद जी ने दी। मगर इस दौरान अपने चुगलीराम जी गायब रहे। यह सवाल मंदिर के गलियारों में गूंज रहा है। आखिर कहां गायब थे। तो अंदरखाने की खबर है कि अपने चुगलीराम जी जानबूझकर गायब थे। अनुष्ठान के समय वह चिंतामण क्षेत्र, फिर एक आश्रम और अंत में मंदिर के पीछे स्थित संग्रहालय में समय काट रहे थे। सवाल यह है कि आखिर इस दूरी की वजह क्या थी। तो मंदिर में चर्चा है कि सत्कार में हुए फेरबदल के बाद से अपने चुगलीराम जी नाराज है। इसी के चलते वह अनुष्ठान से गायब रहे। जो कि धर्म और मर्यादा के विपरीत है। क्योंकि चुगलीराम जी धर्म के प्रहरी है। इसके बाद भी वह गायब रहे। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

याद कर रहे है ...

समझ लीजिए- आप ठेकेदार है। आपने सरकारी काम किया है। जिसका भुगतान होना बाकी है। इंतजार करते-करते थक गये है। आखिरकार आपका नम्बर आ गया। भुगतान के लिए। भले ही भुगतान ऊंट के मुंह में जीरा समान वाला हुआ है। इसके बाद आपके पास फोन आता है। अगर आप भुगतान के बाद गायब है तो। करने वाला एक सहायक अधिकारी है। जो केवल यह बोलता है। साहब याद कर रहे है। अब सवाल यह है कि आखिर याद क्यों किया जा रहा है। शिवाजी भवन के गलियारों में यह सवाल सुनाई पढ़ रहा है। अंदरखाने की खबर है। पहले जो 1 प्रतिशत कट देना पडता था। अब वह बढ़ाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। जिसके चलते ही फोन लगाकर याद किया जाता है। अपने खजांची जी करीबी तो यही बोल रहे है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप रहना है।

कैमरा बंद ...

उदयन मार्ग पर सरकारी बंगले है। जहां की यह घटना है। पिछले महीने राज्य सेवा की परीक्षा थी। जिसमें एक अधिकारी की  श्रीमती जी शामिल हुई। उनका सेंटर पड़ोसी संभागीय मुख्यालय था। वह परीक्षा देने गई। इधर अधिकारी ने घर पहुंचकर सभी कर्मियों की छुट्टी कर दी। कैमरे भी बंद कर दिये। इसके बाद क्या हुआ। किसी को कुछ पता नहीं। लेकिन परीक्षा से लौटने के बाद हंगामा हो गया। श्रीमती जी ने आते ही कैमरे चेक किये। 2 घंटे तक  कैमरे बंद थे। रिकार्डिंग गायब थी। बस फिर क्या था। जमकर हंगामा हुआ। लेकिन घर की बात घर में ही दब गई। इसलिए हम भी घर का मामला समझकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेहरबान ....

कोई किसी पर मेहरबान कब होता है? खासकर अपनी मातहत पर। इसके 2 ही कारण हो सकते है। पहला कारण ... मातहत की कार्यशैली इतनी बेहतर हो कि उसको जिम्मेदारी दी जाये। दूसरा कारण यह हो सकता है कि ... साहब का दिल ज्यादा जोर से धड़कने लग जाये। इसके अलावा कोई तीसरा कारण नहीं हो सकता है। ऐसा हम नहीं बोल रहे है। बल्कि आगर रोड़ स्थित भवन में बैठने वाले बोल रहे है। इसके पहले एक बैठक में .... मेरा मूड अच्छा है। कोई फाइल करवाना हो तो करवा लो। यह भी साहब बोल चुके है। इसके बाद 2 विभाग का प्रभारी बना दिया है। अब सवाल यह है कि मातहत अधिकारी कौन है? किसका दिल जोर से धड़क रहा है। इसको लेकर सभी चुप है। तो हम भी दिल की कदर करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

सबक ...

त्रि-स्तरीय चुनाव का अंतिम चरण बाकी है। जिसको लेकर अपने बडबोले नेताजी को सबक सिखाने की तैयारियां हो गई है। बडबोले नेताजी के खिलाफ बकायदा सोशल मीडिया पर सुनियोजित पोस्ट अपलोड की जा रही है। शुगर मिल- विद्यालय- रेस्टहाऊस की जमीन आदि को बेचने के आरोप लग रहे है। विधानसभा को भयमुक्त बनाने का आव्हान तक सोशल मीडिया पर किया जा रहा है। जिसके चलते अपने बडबोले नेताजी के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। कमलप्रेमियों ने यह ठान लिया है कि इस बार त्रि-स्तरीय चुनाव में सबक सिखाना है। देखना यह है कि  कमलप्रेमी सबक सिखा पाते है या फिर अपने बडबोले नेताजी का भय कायम रहता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। 

हाथ जोड़े ...

अभी पिछले सप्ताह अपने मामाजी आये थे। उसके एक दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज की सौगात दी थी। अगले दिन मामाजी का आगमन हुआ। उनकी पहली आमसभा में यह तय किया गया था। धरती पर भगवान का दर्जा रखने वालो से मुलाकात होगी। व्यवस्था भी की गई। कारण ... मेडिकल कॉलेज के लिए धन्यवाद ज्ञापित करना था। इन भगवानों से पार्टी को अर्थ का सहयोग भी मिला था। मगर ऐन वक्त पर सबकुछ बिगड गया। कमलप्रेमी घुस आये। नतीजा ... अर्थ का सहयोग करने वाले भगवानों को मौका ही नहीं मिला। लाइन लगाकर मरीजों को देखने वाले भगवान, यह उपद्रव देखकर अचंभित थे। इसलिए एक तरफ हाथ जोड़कर खड़े हो गये। जिसके बाद से कमलप्रेमियों के इस व्यवहार को लेकर धरती के भगवान चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

तैयारी ...

तो अपने विकास पुरूष ने तैयारी कर ली है। शिवाजी भवन में सभापति की कुर्सी के लिए। ऐसा हम नहीं, अपने कमलप्रेमी ही बोल रहे है। चर्चा है कि अपने विकास पुरूष ने उन सभी को तैयार कर लिया है। जो अभी तक नाराज होकर घर बैठे थे। टिकिट वितरण व्यवस्था से। अब वह सभी अपने-अपने काम पर लग गये है। इसके पीछे मकसद अपने विकास पुरूष का बिलकुल साफ है। शिवाजी भवन में सभापति की कुर्सी पर बहन जी ही विराजमान होगी। वैसे भी रक्षाबंधन आने वाला है। अपनी बहन जी के लिए इससे बढिया तोहफा क्या होगा। यह भी कमलप्रेमी बोल रहे है। बहन जी को तोहफा मिलना पक्का है। इसलिए हम भी अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

65 पाइंट ...

पंजाप्रेमियों ने संकल्प पत्र जारी किया। जिसमें 36 पाइंट है। जबकि कमलप्रेमियों ने 65 पाइंट का संकल्प पत्र बनाया। संकल्प पत्र का सीधी भाषा में अर्थ आम जनता को लुभाना होता है। फिर भले पंजाप्रेमी हो या कमलप्रेमी। आम जनता अब समझदार हो गई है। संकल्पों पर यकीन कम करती है। इधर 65 पाइंट वाले संकल्प पत्र पर खुद कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। जिसकी वजह चक्रम है। क्योंकि संकल्प पत्र में चक्रम को लेकर कई पाइंट है। जिसको पढ़कर कमलप्रेमी चर्चा कर रहे है। शहर की जनता, प्रथम नागरिक चुनने वाली है या चक्रम का मुखिया। अब कमलप्रेमियों की बातों पर हम क्या कह सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप ही रह सकते है।

शेम-शेम ...

रविवार शाम की घटना है। घटनास्थल कीर्ति मंदिर है। जहां पर राजा- वजीर- हाथी- घोड़ा- ऊंट- प्यादों वाले खेल का कार्यक्रम था। कार्यक्रम अच्छा-खासा चल रहा था। सीधे देश की राजधानी से निर्देश थे। वजह ... खुद प्रधानमंत्री ने इस टॉर्च को रवाना किया था। जो कि पूरे भारत में घूमेंगी। इसी टॉर्च को लेकर विवाद हुआ। विवाद करने वाले इस खेल के मुखिया थे। जो कि प्रदेश स्तर के पदाधिकारी है। उनकी जिद थी कि यह टॉर्च उनको सौपी जाये। मंच पर ही विवाद शुरू हो गया। जिसे देखकर दर्शक अचंभित थे। 5 मिनिट तक विवाद चला। नतीजा ... दर्शकों के मुंह से शेम-शेम निकल गया। लेकिन प्रदेश पदाधिकारी अपनी जिद पूरी करके माने। अब उनकी जिद के आगे हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

अनुरोध ...

उनको चुने जो आपके सुख-दु:ख में काम आये/ उनको नहीं, जो 5 साल तक ठेंगा दिखाये/ मतदान करने अवश्य जाये/ आगामी 6 जुलाई को अपना फर्ज निभाये/ नगर सरकार बनाने में भूमिका निभाये।  

हम चुप रहेंगे एडिटर इन चीफ (प्रशांत अंजाना)