15 अप्रैल 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

घड़ी ...
हम सभी ने बचपन में यह कविता पढ़ी होगी। घंटाघर की 4 घड़ी/ चारों में जंजीर पड़ी/ जब-जब घंटा बजता है/ खड़ा मुसाफिर हंसता है...। मगर इन दिनों हमारे घंटाघर की चारों घड़ी बंद पडी है। ना तो घंटा बजता है और ना ही मुसाफिर हंसता है। जबकि यह विकासपुरूष का गृहनगर है। उत्सव का माहौल लगातार चल रहा है। घंटाघर पर हर रोज कार्यक्रम होते है। खूब खर्च हो रहा है। किन्तु घंटाघर की घड़ी को सुधारने लायक खर्च शासन/ प्रशासन के पास नहीं है। तभी तो हर कोई घड़ी को देखकर कविता याद कर रहा है। देखना यह है कि आखिर घंटा कब बजता है और मुसाफिर कब हंसता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कंचन बरसे नेह ...
बाबा तुलसीदास की एक चौपाई है। आवत ही हरषे नहीं/ नैनन नहीं सनेह/ तुलसी तहां न जाइये/ चाहे कंचन बरसे नेह...। यह चौपाई दिनों शिवाजी भवन में सुनाई दे रही है। इशारा अपने प्रथमसेवक की तरफ है। जिनको अभी-अभी दत्तअखाडा पर इस चौपाई के सच का सामना करना पड़ा। देखने वाले दबी जुबान से बोल रहे है। बेचारे ... प्रथमसेवक को वीआईपी सोफे पर बैठने तक के लिए स्थान नहीं मिला। प्रथमसेवक पूरे समय हाथ बांधे खड़े रहे। व्यवस्थाओं का बखान करते रहे। मगर किसी ने तवज्जों नहीं दी। जबकि उनसे छोटे कमलप्रेमी नेता वीआईपी व्यवस्था का लाभ उठाते नजर आये। तभी तो प्रथमसेवक के करीबी बाबा तुलसी की चौपाई बोलकर अपने प्रथमसेवक को समझाने की कोशिश कर रहे है। देखना यह है कि ... प्रथमसेवक चौपाई का अर्थ कितना समझ पाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गुरू-गोविंद ...
हम सभी को यह दोहा याद होगा। गुरू-गोविंद दोऊ खड़े ...। मगर यह दोहा उस दौर में सार्थक होता था। जब वाकई शिक्षा जगत में गुरू का मान था। उस वक्त के गुरू शिक्षा को व्यापार नहीं मानते थे। तभी तो गोविंद से बड़ा गुरू को माना जाता था। मगर अब 21 वीं सदी है। आजकल के गुरू शिक्षा की आड में धन कूटते है। ऐसे ही एक धर्मगुरू है। जो कि 40 स्कूलों में अपनी मर्जी से किताबे सप्लाई करवाते है। उनके स्कूलों की निजी श्रृंखला है। इन स्कूलों में शहर के गणमान्य-धनमान्य-माननीयों के बच्चे पढ़ते है। इसलिए धर्मगुरू को किसी का भी डर नहीं लगता है। पब्लिसर्स को केवल कमीशन देते है। बाकी सारा धन खुद रखते है। धर्मगुरू की इस छबि का खुलासा अभी-अभी हुई जांच में हुआ है। अब देखना यह है कि इस जांच रिपोर्ट पर संकुल के दूसरे माले के मुखिया कोई कार्रवाई करते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खोजबीन ...
आगजनी कांड को लेकर एक खबर सुर्खियों में है। जिसमें अपने इंदौरीलाल को बलि का बकरा दर्शाया गया है। जबकि दूसरे माले के मुखिया की कार्यशैली पर सवाल उठाये गये है। यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही सवाल खड़ा हो गया है। आखिर किसके इशारे पर यह साजिश रची गई। इसका सूत्रधार आखिर कौन है ? इसको लेकर अंदर ही अंदर खोजबीन शुरू हो गई है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। देखना यह है कि किसका नाम खोजबीन में सामने आता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सूचना ...
आगजनी कांड को लेकर जल्दी ही एक सूचना जारी होने वाली है। यह सूचना आमजनता के लिए होगी। जिसमें जनता से निवेदन किया जायेगा। अगर किसी को भी आगजनी कांड को लेकर कुछ कहना या बताना है। तो वह जांच समिति के सामने अपना बयान दर्ज करवा सकता है। देखना यह है कि शहर के जागरूक नागरिक अपना फर्ज निभाते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है। अंकुश ...
दमदमा वाले आईएएस जी को हम सभी पहचानते है। उनके चेहरे पर मासूमियत नजर आती है। लेकिन निर्णय लेने में वह सख्त है। तभी तो मंदिर में वह एक अंकुश लगाने वाले है। उन पुरोहितों पर। जो कि जब मर्जी होती है। मंदिर के गर्भगृह में जाकर जल चढाने लगते है। इससे व्यवस्था बिगडती है। दमदमा वाले आईएएस जी ने ठान लिया है। इस व्यवस्था पर अंकुश लगाने का। अब निर्धारित समय पर ही जल चढ़ाने का मौका मिलेगा। उनका यह कदम सराहनीय है। जिसके लिए हम अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुशी ...
अपने पंजाप्रेमी खुश है। उनकी खुशी का कारण अभी-अभी पार्टी छोड़कर गये पूर्व माननीय है। जो कि विकासपुरूष के सानिध्य में कमलप्रेमी बन गये है। इनसे पंजाप्रेमी पहले से ही दु:खी थे। दु:ख का कारण उनकी एक आदत है। पंजाप्रेमियों में यह चर्चा है। वह हर किसी से उधारी कर लेते थे। 2 पंजाप्रेमियों से करीब 7 पेटी उधार ले चुके है। जिसके चलते एक पंजाप्रेमी ने तो सोशल मीडिया पर पोस्ट तक अपलोड कर दी थी। मिशन-2023 के पहले। बहरहाल इनसे पिंड छूटने की खुशी में पंजाप्रेमी अपनी उधारी तक भूल गये है। ऐसी चर्चा पंजाप्रेमियों के बीच सुनाई दे रही है। बात सच है या झूठ। फैसला हमारे समझदार पाठक खुद कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
उतर जाओं ...
हमारे पाठकों को एक घटना याद होगी। जब अपने विकासपुरूष को धरने पर बैठना पड़ा था। जनपद चुनाव की घटना है। तब अपने उम्मीद जी मुखिया थे। खूब विवाद हुआ था। उसी जनपद के उपाध्यक्ष अब कमलप्रेमी बनना चाहते है। जिसके लिए उपाध्यक्ष ने पहले अपने उधारीलाल जी से संपर्क किया। मगर दाल नहीं गली। विकासपुरूष ने उधारीलाल जी को टरका दिया। फिर उपाध्यक्ष ने अपने पिस्तौलकांड के नायक को पकड़ा। पिस्तौलकांड नायक ने उपाध्यक्ष को अपने वाहन में बैठा लिया। यह आश्वासन दे दिया। कमलप्रेमी अंगवस्त्र पहना देते है। मगर सर्किट हाऊस पहुंचते ही उनके पास फोन आया। अपने लेटरबाज जी का। जिन्होंने साफ कह दिया। उपाध्यक्ष को लेकर ऊपर से लालझंडी है। बस फिर क्या था। उपाध्यक्ष को वाहन से उतार दिया गया। बेचारे उपाध्यक्ष चुपचाप उतर गये। उसके बाद से चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बुधवार ...
इस सप्ताह का बुधवार विशेष दिन हो सकता है। कारण ... आगजनी कांड को लेकर अंतिम रिपोर्ट आ सकती है। संकुल के गलियारों में ऐसी चर्चा है। दूसरे माले के मुखिया भी अब इस मामले का पटाक्षेप जल्दी से जल्दी करना चाहते है। इसके पीछे वजह साफ है। खुद उन पर ही मामले को लेकर ऊंगलिया उठने लगी है। देखना यह है कि 3 सदस्यीय जांच दल अपनी अंतिम रिपोर्ट में किसको दोषी मानता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
304 ....
भारतीय दंड संहिता की धारा 304 क, इन दिनों मंदिर के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। इशारा अभी-अभी हुई महाकाल सेवक की मौत की तरफ है। जो कि आगजनी के शिकार हुए थे और इलाज के दौरान उनकी मौत हुई है। धारा 304 क में उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना आता है। अब देखना यह है कि इस धारा के तहत किसी को जिम्मेदार मानते हुए प्रकरण दर्ज होता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ....
यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है
कई झूटे इकट्ठे हों तो सच्चा टूट जाता है
न इतना शोर कर ज़ालिम हमारे टूट जाने पर
कि गर्दिश में फ़लक से भी सितारा टूट जाता है
तसल्ली देने वाले तो तसल्ली देते रहते हैं
मगर वो क्या करे जिस का भरोसा टूट जाता है
किसी से इश्क़ करते हो तो फिर ख़ामोश रहिएगा
ज़रा सी ठेस से वर्ना ये शीशा टूट जाता है
हसीब सोज़