30 सितम्बर 2024 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
मूल-निवासी ...
शीर्षक पढ़कर हमारे पाठक यह तो समझ गये होंगे। मूल- निवासी का क्या मतलब होता है। मगर यहां इशारा आम व्यक्ति के लिए बनाये जाने वाले प्रमाण-पत्र की तरफ नहीं है। बल्कि अपने जिले के प्रभारी बाऊजी की तरफ है। जो कि लगातार आते रहते है। जिसके चलते अपने लेटरबाज जी ने उनको कह दिया। अब तो लगता ही नहीं, आप किसी दूसरे शहर के निवासी है। आप तो बाबा की नगरी के ही निवासी लगते है। उनकी बात सुनकर, बाकी सभी वहां मौजूद चुप रह गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
परिवर्तन ...
प्रकृति का नियम है। परिवर्तन। इंसान का भी ह्दय परिवर्तन होता है। जैसे अपनी चटक मैडम जी का हो गया। उनकी भाषाशैली में एकदम सुधार आ गया। तभी तो टीएल में उन्होंने जूनियर अधिकारी को विनम्रता से पुकारा। एसडीएम साहब। बेचारे एक पल के लिए चौक गये। कारण ... इतनी जल्दी परिवर्तन की उम्मीद नहीं थी। लेकिन अपनी चटक मैडम जी ने साबित कर दिया। अपनी गलती को सुधारना, सर्वोत्तम कार्य की श्रेणी में आता है। उनके इस परिवर्तन से सभी राजस्व अधिकारी खुश है। तो हम भी अपनी मैडम जी को ह्दय परिवर्तन की बधाई देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
खुशी और गम ...
एक फिल्म आई थी। कभी खुशी-कभी गम। जिंदगी में खुशी -गम के पल आते-जाते रहते है। एक ही सिक्के के दो पहलू है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। इशारा एक तबादले की तरफ है। जो कि अभी-अभी हुआ है। एक डिप्टी कलेक्टर का। जिनको अपने विकासपुरूष के निर्देश पर साधारण विभाग में भेजा गया है। कारण.... मामला जमीन से जुड़ा है। यह डिप्टी कलेक्टर अपने दूसरे माले के मुखिया के काफी करीबी थे। मुहावरे की भाषा में बोले। उनकी नाक के बाल थे। इसीलिए जमीन का खेल कर दिया। सीलिंग का खेल। नतीजा ऊपर तक शिकायत हो गई। तबादला हो गया। जिसके बाद जिले के राजस्व अधिकारी खुश है, और कोई गम में डूबा है। ताज्जुब की बात यह है कि डिप्टी कलेक्टर को आदेश आने के 4 दिन बाद भी कार्यमुक्त नहीं किया गया है। देखना यह है कि कब ,नाक के बाल को कार्यमुक्त किया जाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नौटंकी...
बचपन में हम सभी नौटंकी करने में माहिर होते थे। घर के बड़े कोई काम बताये। तो उसे करने का दिखावा करते थे। खासकर अगर रविवार के दिन सफाई का आदेश मिल जाये। कारण ...मन तो दोस्तों के साथ खेलने का होता था, मगर मजबूरी में सफाई करते थे। ऐसी ही नौटंकी शुक्रवार को देखने को मिली। अपनी दाल-बिस्किट वाली तहसील में। जहां पदस्थ राजस्व अधिकारी सफाई की नौटंकी करते दिखे। 10 बाय 15 फीट के कमरे में 5 अधिकारी झाडू लगा रहे थे। इन सभी के चेहरों पर व्यंग्ज्ञात्मक मुस्कुराहट थी। स्वच्छता पखवाड़े का मखौल उडाने की। ताज्जुब की बात यह है। एक दिन पहले ही दूसरे माले के मुखिया ने संकुल के चेम्बर से गंदगी हटाई थी। उसी दिन दाल-बिस्किट वाली तहसील में पहुंचे थे। उनके द्वारा की गई सफाई की तस्वीरे सभी राजस्व अधिकारियों ने देख ली थी। इसके बाद भी अगले दिन नौटंकी दिखाई गई। जो कि इशारा है। हम राजस्व अधिकारी है। दूसरे माले के मुखिया की तरह काम नहीं करते है। अपनी मर्जी से करते है। तभी तो चर्चा है। इन पर कार्रवाई होनी चाहिये। नोटिस मिलना चाहिये। देखना यह है कि स्वच्छता का मखौल उडाने वालों को नोटिस मिलता है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अनबन ...
सरकारी कामकाज के दौरान अनबन होना सामान्य बात है। वैचारिक मतभेद होना गलत नहीं होता है? लेकिन अनबन जब विवाद का स्वरूप धारण कर ले। तो इसकी चर्चा आमजनता में शुरू हो जाती है। जिसका गलत प्रभाव पडता है। खासकर तब, जब गृहनगर अपने विकासपुरूष का हो। एक एसडीएम व तहसीलदार में इन दिनों यही हालात हैं। दोनों के बीच वैचारिक मतभेद तो चर्चाओं में थे। मगर अब मतभेद, मनभेद में बदल गये है। मुहावरे की भाषा में बोला जा रहा है। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख पसंद नहीं करते हैं। तभी तो इस अनबन को लेकर संकुल के गलियारों में माहौल गर्म है। इशारा... पिस्तौल कांड नायक की तहसील की तरफ है। दबी जुबान में यह भी बोला जा रहा है। हालात अगर यही रहे तो एक दिन जूतम-पैजार की नौबत आ सकती है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसर चुप रह सकते है।
वारंट ...
संकुल के गलियारों में एक वारंट की चर्चा है। जो कि न्यायपालिका से निकला है। हालांकि जमानती वारंट है। मगर वारंट एक महिला अधिकारी के नाम पर है। जो कि तहसीलदार के पद पर है। मामला एक फाइल के गायब होने से जुड़ा है। जिसके चलते वारंट निकला है। फाइल जमीन नीलामी की है। जिसे तत्कालीन महिला तहसीलदार ने नीलाम करवाकर, अपने पति के नाम से खरीद ली थी। जिसको लेकर खूब हंगामा मचा था। रंगे हाथों पकडने वाले विभाग ने प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले की मूल फाइल गायब हो चुकी है। अब देखना यह है कि वर्तमान तहसीलदार मैडम, अपना बचाव कैसे करती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वसूली ...
तो आखिरकार सच सामने आ गया। मंदिर के आसपास दुकान लगाने वालो से वसूली होती थी। इसी शर्त पर दुकान लगाने दी जाती थी। यह वसूली संस्थागत होती थी। जिसमें वर्दी का भी अहम रोल था। वर्दी और मंदिर दोनों को बराबर हिस्सा जाता था। अगर वसूली नहीं होती। तो दुकाने ही नहीं लगती। चर्चा तो यह भी है। स्टे लाने वाले भी अपने आसपास लगने वाली दुकानों से वसूली करते थे। अब जरा फ्लैश बैक में चलते है। जब अपने इंदौरीलाल जी मुखिया थे। उस वक्त, फूटपाथ की दुकाने लगना बंद हो गई थी। इंदौरीलाल जी ने बाउंसर नियुक्त कर दिये थे। अगर यही सख्ती रहती। तो दीवार गिरने से कोई हादसा नहीं होता। ऐसी चर्चा मंदिर से लेकर वर्दी के भरोसेमंद सूत्रों के बीच सुनाई दे रही है। बात सच है। मगर हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
बवाल ...
अपने विकासपुरूष बिलकुल नहीं चाहते है। उनके गृहनगर में बवाल मचे। खासकर कमलप्रेमियों द्वारा। हादसा होना प्राकृतिक घटना है। इसके लिए कोई कुछ नहीं कर सकता है। दीवार का मामला सुर्खियों में ही था। ऐसे में दाल से बवाल मच गया। हालांकि यह सच है। दाल चखने से पहले कमलप्रेमी नेताजी ने बिलकुल नहीं सोचा होगा? उनके 2 दाने खाने से इस कदर बवाल खड़ा होगा। बगैर सोचे समझे दाल के दाने मुंह में डाल लिए। कारण खुद दाल के व्यापारी है। इसलिए व्यापारी की आदतानुसार दाल चख ली और बाकी दाल पटक दी। इस दौरान वह भूल गये। वह किसी दुकान में नहीं, बल्कि मंदिर की लड्डू यूनिट में है। यहां यह लिखना जरूरी है। मंदिर के मुखिया ने उनको ऐसा करते देख, अपना हाथ भी उठाया था। रोकने के लिए। अगर वीडियों को गौर से देखे। लेकिन वह जब तक रोकते, तब तक कमलप्रेमी नेताजी दाल वापस फेक चुके थे। जिसका बवाल मच गया। सफाई देनी पड़ी। माफी मांगी। मगर जो होना था। वह हो गया। पंजाप्रेमियों को मुद्दा मिल गया। बैठे-बिठाये। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
सेल्यूट ...
अपने वर्दी को सेल्यूट। खासकर कवि दिल अधिकारी को। जिन्होंने बिलकुल फिल्मी स्टाइल में उस आरोपी को पकड़ा। जो कि चक्काजाम के दौरान उपद्रव फैलाने की कोशिश में था। घटना शव को रखकर चक्काजाम की है। उस दौरान कुछ आसामाजिक तत्वों ने अलग मोर्चा खोल दिया। एक व्यक्ति के वाहन को तोड़ दिया। इसकी खबर कवि दिल अधिकारी को लगी। वह तत्काल भागे। पहले उन्होंने 2 को पकड़ा। मगर 1 ने दौड लगा दी। बस फिर क्या था। एडी. एसपी स्तर के अधिकारी ने भी पीछा किया। एक बार पकडा भी, मगर शर्ट की कालर छूट गई। इस दौरान वर्दीधारी अधिकारी को 2 पहियां वाहन से टक्कर लगी। वह गिर गये। मगर उठे और फिर दौड लगाकर तीसरे आरोपी को पकड़ा। जिसके लिए हमारी तरफ से सेल्यूट। किन्तु इस चक्कर में हाथ में चोट आ गई। शाम तक हाथ सूज गया। डॉक्टर को दिखाया। तो हड्डी चोटिल थी। प्लास्टर चढ गया। उनकी इस चोट पर हम दु:खी है। मगर कर्तव्य निभाने के लिए सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
क्यों गिरी दीवार ...
2004 में बनी दीवार क्यों गिरी? कैसे गिरी? क्या कारण था? इसको लेकर पर्यटन को बढावा देने वाले विभाग की तरफ ऊंगलिया उठ रही है। उन्होंने अपनी दीवार बनाई। मगर 3 फीट करीब का खांचा खाली छोड दिया। जिसके चलते पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश का पानी खाली जगह से पुरानी दीवार में भरा गया। नतीजा 20 साल पुरानी दीवार कब तक पानी की मार सहती। वह भरभरा कर गिर गई। 2 की मौत हो गई। अगर 3 फीट का खांचा नहीं होता। दीवार पूरी बनी होती? तो हादसा नहीं होता? ऐसा हम नहीं, बल्कि कई तकनीकी अधिकारियों का कहना है। बात सच है या झूठ? फैसला हमारे पाठक खुद अपने विवेक से कर लें। क्योंकि हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
आपत्ति ...
पिछले सप्ताह हमने गांठ और 3x2 शीर्षक से समन्वय कमी की तरफ इशारा किया था। जिसको लेकर आपत्ति आई है। अपने दूसरे माले के मुखिया की। जिन्होंने साफ-साफ लफ्जों में कहा। ऐसा कुछ नहीं है। तीसरे और दूसरे माले के बीच बेहतर समन्वय है। अपने दूसरे माले के मुखिया अगर ऐसा कह रहे है। तो सही होगा। हालांकि संकुल के गलियारों में समन्वय के अभाव की चर्चा जोरो पर थी। उसी चर्चा के चलते खबर लिखी गई थी। जिसे दूसरे माले के मुखिया ने सिरे से खारिज कर दिया है। तो हम उनकी बात मानकर, सर्वोत्तम समन्वय की शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
गुहार ...
पिछले दिनों हमारे मोबाइल बाबा को अचानक कोई तकलीफ हुई। जिसके चलते कई नंबर गायब हो गये। गूगल-बाबा से गुहार लगाने के बाद भी कई नंबर गायब है। जिसके चलते हमारे कई पाठकों को शायद ... चुप रहेंगे पढऩे को नहीं मिल रहा होगा। हमारी उन सभी से गुहार है कि वह केवल Hii लिखकर मैसेज करे। हम कोशिश करेंगे कि उनको नियमित यह कॉलम मिलता रहे। आपके प्यार और मैसेज का अभिलाषी। चुप रहेंगे डॉटकॉम।
मेरी पसंद ...
वो शख्स काम का है, दो ऐब भी हैं/ एक सर उठाना, दूजा मुंह में जुबान रखना....।