राज्यपाल ने कहानी सुनाई, अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान आई ...!

राज्यपाल ने कहानी सुनाई, अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान आई ...!

उज्जैन। प्रदेश के प्रथम नागरिक महामहिम राज्यपाल को पद का घमंड बिलकुल नहीं है। सहजता और सरलता के पर्याय है। तभी तो शुक्रवार को उन्होंने सर्किट हाऊस पर एक कहानी सुना दी। जिसे सुनकर सामने बैठे सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

कहानी क्या थी? महामहिम ने क्यों सुनाई? जिसे सुनकर चेहरे पर मुस्कान आई? इसका सच जानने से पहले ऊपर लगी तस्वीर को गौर से देखना होगा। सोफे पर संभागायुक्त संदीप यादव, आईजी संतोष सिंह, डीआईजी अनिल कुशवाह, कलेक्टर आशीषसिंह विराजमान है। उनके बगल में कुर्सी पर पुलिस अधीक्षक सत्येन्द्र शुक्ल बैठे है। अगर फोटो को ज्यादा नजदीक से देखेंगे तो इन सभी अधिकारियों के चेहरे पर मुस्कान नजर आयेंगी।

बैठ जायेंगे ...

दरअसल महामहिम मंगू भाई पटेल से मिलने पांचों अधिकारी पहुंचे थे। सामने केवल एक ही सोफा था। जिस पर पांचों अधिकारी नहीं बैठ सकते थे। इसलिए राज्यपाल ने तत्काल एक कुर्सी मंगवाई। इसके पहले कलेक्टर आशीषसिंह ने बोल दिया सर ... हम सभी इसी पर बैठ जायेंगे। हमारे आईजी साहब फिट है। लेकिन महामहिम ने पहले कुर्सी मंगवाई। फिर उसके बाद इतिहास से जुड़ा एक किस्सा सुनाया।

दूध बनाम शक्कर ...

जब सभी अधिकारीगण ससम्मान बैठ गये। तो एडजस्ट होने का इतिहास से जुड़ा एक किस्सा महामहिम ने सभी को सुनाया। उन्होंने कहा कि ... बहुत पहले जब भारत में पारसी समुदाय का आगमन हुआ था। तब स्थानीय लोगों ने आपत्ति उठाई। इन लोगों के साथ कैसे रहेंगे? तब पारसी समुदाय ने एडजस्ट होने का सटीक उदाहरण सामने रखा था। उन्होंने एक ग्लास दूध मंगवाया। फिर अपनी तरफ से 1 चम्मच शक्कर मिला दी। नतीजा ... दूध भी कम नहीं हुआ और मिठास भी आ गई। महामहिम ने इतिहास से जुड़ा किस्सा सुनाकर जो सकारात्मक संदेश अधिकारियों को दिया। उसके बाद ही अधिकारियों के चेहरे पर यह मुस्कान नजर आई है।

सांसद ने रखा मान ...

महामहिम आज  67 वें कालिदास समारोह का शुभारंभ करने पधारे थे। शाम  7 बजे बाद संकुल हाल में कार्यक्रम शुरू हुआ। मंच पर महामहिम सहित संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, सांसद अनिल फिरोजिया, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, संतश्री रामभद्राचार्य जी, महापौर मुकेश टटवाल आदि मौजूद थे। कालिदास स्तुति गान चल रहा था। कलाकारों ने इसके तुरंत बाद ... मप्र गान... सुख का दाता... शुरू कर दिया। 5 सेकेंड किसी को कुछ समझ नहीं आया। सभी अपनी-अपनी जगह बैठे हुए थे। अचानक सांसद अनिल फिरोजिया को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की घोषणा याद आ गई। जो कि 1 नवम्बर 2022 को की गई थी। मप्र स्थापना दिवस पर। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये थे कि ... आज से मध्यप्रदेश गान के सम्मान में सभी को खड़ा होना पडेगा। इसलिए सांसद अनिल फिरोजिया तत्काल खड़े हो गये। उनको देखकर संस्कृति मंत्री, फिर महामहिम और सभी अतिथि व दर्शकगण भी खड़े हो गये।