सत्ताधीशों के घर जाते हैं,पद्मश्री को डाक से पहुंचाते हैं..!
उज्जैन।कालिदास संस्कृत समारोह अब पूरी तरह से सत्ताधीशों की कठपुतली बन गया है।कभी इस समारोह में विद्वानों को सम्मान से बुलाने के लिए,उनके घर जाकर निमंत्रण दिया जाता था।लेकिन अब अकादमी के कर्ता धर्ता केवल सत्ताधीशों की चौखट पर जाते है।बाकी निमंत्रण डाक से भेजे जाते है।तभी तो आज अकादमी के गलियारों में चर्चा सुनाई दी।सत्ताधीशों के घर जाते हैं..पद्मश्री से सम्मानित विद्वान को निमंत्रण डाक से पहुंचाते है...!
ऐसा नहीं है कि कालिदास संस्कृत समारोह के नाम पर निमंत्रण पत्र कम संख्या में छपते हैं।अच्छी खासी संख्या में छपते हैं।लेकिन वह किस डाक सेवा से भेजे जाते हैं?यह एक ऐसा सवाल है?जिसका जवाब तो भेजने वालों के भी पास नहीं हैं?तभी तो समारोह शुरू हुए आज दूसरा दिन गुजर गया। किंतु संस्कृत के प्रकांड विद्वान,पद्मश्री डॉक्टर केशवराव सदाशिव शास्त्री मुसलगांवकर को आज तक निमंत्रण कार्ड नही मिला।ताज्जुब की बात यह है कि...पद्मश्री (97वर्षीय)मुसलगांवकर इसी शहर के निवासी हैं।उनकी संस्कृत आराधना के चलते 2018 में उनको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
चपरासी से भिजवा दिया...
कालीदास अकादमी के कर्ताधर्ता घमंड में और ज्यादा मगरुर हो गए हैं।तभी तो जब उनको इस गलती की तरफ ध्यान दिलाया गया।तो पहले तो उनका स्थाई रटा रटाया जवाब दिया।डाक से भिजवा दिया है।इसके बाद एक चपरासी के हाथ कार्ड भेजकर,पद्मश्री का अपमान करने में नही चुके।जबकि यही शिकायत अगर किसी सत्ताधीश की तरफ से आती।तो अकादमी के कर्ता धर्ता खुद कार्ड लेकर घर जाते और सत्ताधीश से पहले हाथ जोड़कर माफी मांगते।कोई बड़ी बात नहीं कि...अगर कोई देखने वाला नही होता तो सत्ताधीश के पैर छूकर भी माफी मांग लेते..!
इस्तीफा देंगे...
विदित रहे कि पद्मश्री मुसलगांवकर के सुपुत्र डॉक्टर राजेश्वर मुसलगांवकर भी संस्कृत के प्रकांड पंडित है।उनकी जिव्हा में सरस्वती विराजमान हैं।वह विक्रम विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के मुखिया है।कालीदास समारोह की स्थानीय समिति के सदस्य हैं।जो इस घटना से क्षुब्ध है।उनका भी यही सवाल है कि..आखिर किस डाक सेवा से निमंत्रण भेजे जाते हैं,जो 3 दिन तक नही पहुंचते है,वह भी शहर के अंदर..? उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि..वह रविवार को समिति से इस्तीफा देंगे और संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर को भेज देंगे..!