सिटी बस और सिहंस्थ जमीन का ध्यान रखना ...!

किसी को भी यह भरोसा नहीं था। पूर्व सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय इतनी बेबाकी से नये महापौर को नसीहत देंगे।

सिटी बस और सिहंस्थ जमीन का ध्यान रखना ...!

उज्जैन। नये-नवेले महापौर और पार्षद शपथ लेकर ही हटे थे। कलेक्टर शपथ दिलाकर जा चुके थे। मंच से भाषणबाजी शुरू हुई। पहला मौका पूर्व सांसद को मिला। जिन्होंने नये महापौर को नसीहत दे डाली। सिटी बस संचालन और सिहंस्थ की जमीन कालोनाइजरों को ना मिल जाये। बस का संचालन सही तरीके से हो। इसका विशेष ध्यान रखना। उनकी इस नसीहत को महापौर ने गौर से सुना। लेकिन भाजपा में तत्काल सुगबुगाहट शुरू हो गई। इस दौरान मंच पर उच्च शिक्षा मंत्री भी मौजूद थे।

किसी को भी यह भरोसा नहीं था। पूर्व सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय इतनी बेबाकी से नये महापौर को नसीहत देंगे। जबकि मंच पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव, विधायक उत्तर  पारस जैन, नगर अध्यक्ष विवेक जोशी, अनिल जैन कालूहेडा सहित सभी वरिष्ठ नेतागण और पार्षद मौजूद थे। पूर्व सांसद ने जिस अप्रत्याशित तरीके से अपनी बात नसीहत की आड में रखी। उसको सुनकर वहां मौजूद हर भाजपाई हतप्रभ था। तभी तो दबी जुबान में भाजपाई यह बोलते नजर आये। यह तो सीधे-सीधे उच्च शिक्षा मंत्री पर प्रहार है। क्योंकि दोनों ही मामले (सिटी बस व सिहंस्थ) में अपरोक्ष रूप से उच्च शिक्षा मंत्री के हस्तक्षेप की चर्चा सुनाई देती रहती है। पूर्व सांसद यह कहने में भी नहीं चूके कि ... सिटी बस नगरीय सेवा है, लेकिन सिटी के बदले इंदौर-देवास आदि उपनगरीय जगह जाती है। इन दोनों पर अगर महापौर जी काबू पा लिया। तो शहर की जनता हमेशा आपको याद रखेंगी।

सब अपना नाम लेंगे ...

पूर्व सांसद के तल्खी भरे बयान से पहले, कलेक्टर आशीषसिंह ने नवनिर्वाचित महापौर सहित सभी भाजपा पार्षदों को शपथ दिलवाई। कालिदास संकुल खचाखच भरा हुआ था। पहले महापौर मुकेश टटवाल को शपथ दिलाई गई। उसके बाद बाकी सभी भाजपा पार्षदों को। पार्षदों के शपथ लेते वक्त अनोखा नजारा देखने को मिला। सभी पार्षदों को शपथ लेते वक्त अपना-अपना नाम बोलना था। जो कि बकायदा शपथ पत्र में टाइप करके भी दिया गया था। लेकिन कलेक्टर ने बोलना शुरू किया कि ... मैं निर्वाचित पार्षद शपथ लेता हूं। वैसा ही शपथ लेने वाले पार्षद बोलने लगे। वह अपना खुद का नाम लेना भूल गये। बस ... जैसा कलेक्टर उच्चारण करते गये... वैसा ही पार्षद बोलते गये। नतीजा ... कलेक्टर को मंच से ही बोलना पडा कि ... सब अपना-अपना नाम लेंगे। लेकिन पार्षदों के पल्ले कुछ नहीं पड़ा। उन्होंने कलेक्टर के शब्दों का ही अनुशरण किया।

प्रक्रिया रोकी ...

इधर जनपद में उज्जैन में काबिज होने के लिए कांग्रेस और भाजपा में छिडी जंग अब नाजुक मोड पर पहुंच गई है। इस मामले में माननीय उच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है। जिस पर आज बहस होनी थी। लेकिन अब इस मामले में संभवत: 10 अगस्त को सुनवाई होगी। विदित रहे कि जनपद उज्जैन पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। प्रमाण-पत्र भी मिल चुका है। जिसके चलते भाजपा सदस्यों ने उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। 4 और 5 अगस्त को इस पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने फिलहाल प्रथम सम्मेलन की प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। अब 10 अगस्त को इस पर सुनवाई होगी।