अधिसूचना जारी होना बाकी...
लेकिन महापौर की देखो झांकी...!
उज्जैन।नगर पालिका निगम के चुनाव संपन्न हो चुके है।महापौर पद पर भाजपा प्रत्याशी ने कब्जा कर लिया है।लेकिन उनका अभी नियमानुसार महापौर बनने में थोड़ा वक्त और बाकी है।जब तक शासन से अधिसूचना जारी नही हो जाती है।तब तक उनको महापौर की शक्तियां नही मिल सकती हैं।इसके पहले ही निर्वाचित महापौर ने एक झोन का दौरा कर लिया।जिसके चलते नगर निगम के गलियारों में चर्चा सुनाई दे रही हैं।अधिसूचना जारी होना बाकी,लेकिन महापौर ने दिखा दी झांकी...!
मध्य प्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 22 यह कहती हैं।महापौर और पार्षद का राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा।जिसके बाद ही महापौर और पार्षद विधिवत प्रदत्त शक्तियों के अधिकारी होते है। इसके पहले वह केवल निर्वाचित जनप्रतिनिधि होते है।सीधी साफ भाषा में अगर लिखा जाए तो ..अधिसूचना के पहले महापौर और पार्षद को कोई अधिकार नही रहता है।खासकर वह किसी निगम कार्यालय या झोन केंद्र में जाकर दौरा या निरीक्षण नही कर सकता है।इसके बाद भी ऐसा गुरुवार को हो गया।
गलती किसकी..
सर्वविदित है कि महापौर मुकेश टटवाल ने गुरुवार को दौरा कर लिया था।नगर निगम के उपकेंद्र क्रमांक 2 का।उन्होंने सफाई कर्मियों को रेन कोट वितरण कर दिए।उनके साथ अपर आयुक्त वित्त आदित्य नागर भी थे।नगर निगम के सोशल मीडिया पेज पर तस्वीर भी अपलोड कर दी गई।जिसे महापौर ने भी शेयर कर दिया।
अब सवाल यह है कि आखिर महापौर को अभी शासन की प्रदत्त शक्तियां नही मिली है।तो उन्होंने किस अधिकार से ऐसा किया? क्या उनको निगम द्वारा बुलाया गया था?या फिर वह खुद ही दौरा करने चले गए? इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या निगम अधिकारियों को नियम की जानकारी नही है? महापौर को तो पक्का,नियम नही पता होंगे? बहरहाल,पूरे प्रदेश में किसी भी महापौर ने अभी तक नगर निगम के किसी कार्यक्रम में भाग नही लिया है और न ही निगम के किसी उपकेंद्र का दौरा किया है। लेकिन उज्जैन महापौर ने अधिसूचना के पहले ही अपनी शक्ति दिखा दी।नतीजा शिवाजी भवन में खूब चर्चा है। "अधिसूचना" जारी होना बाकी:लेकिन उज्जैन महापौर की देखो झांकी....!