जांच समिति बनाओ:सच का पता लगाओ...!

जांच समिति बनाओ:सच का पता लगाओ...!

उज्जैन।मंदिर प्रशासक कार्यालय में 6 अगस्त को विवाद हुआ था।जिसकी शिकायत मय सबूत के कलेक्टर को हुई थी।उसके बाद 1 महीने तक मामला शांत रहा।अभी पिछले सप्ताह कलेक्टर ने आखिरकार जांच के लिए लिख दिया।जिसके बाद नोटिस जारी किए गए।नोटिस मिलते ही  विवाद शुरू करने वालो ने ,ऐसा जवाब पेश किया।जिसे पढ़कर यही साबित हो रहा हैं कि फरियादी असली आरोपी हैं और जो आरोपी हैं,वह फरियादी है। यही वजह है कि अब इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए समिति बनाना जरूरी है।अगर सच का पता लगाना है तो...?वर्ना..नोटिस के जवाब में फरियादी को ही आरोपी ,बनाने की पूरी तैयारी हो गई है..?

कलेक्टर आशीष सिंह ने जांच के आदेश ,जब तक नही दिए थे।तब तक यह मामला मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ के कार्यालय में धूल खा रहा था।इधर जांच का कलेक्टर ने लिखा,उधर प्रशासक खेमे में हड़कंप मच गया।30 दिन गुजर जाने के बाद सभी को लग रहा था कि..अब रजनी खेर की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने वाली।इसलिए कार्यालय में जाकर विवाद करने वाले पति चंद्रप्रकाश शर्मा और अनीता शर्मा दोनो चुप थे।विदित रहे कि रजनी खेर,प्रोटोकाल के चलते जिला प्रशासन के अधीन है।जबकि अनिता शर्मा मंदिर कर्मचारी है।जबकि चंदप्रकाश शर्मा, चिंतामण मंदिर में पदस्थ हैं।जो घटना के समय मौजूद थे।उन्होंने अपनी पत्नी का साथ देते हुए,फरियादी को धमकाया था।इतने केस चल रहे,1केस और सही।यह वही मामला है।जिसमे अब नोटिस के बाद,जवाब में 10 हजार की डिमांड का आरोप फरियादी रजनी खेर पर लगाया गया है।

समिति जरूरी...
आरोपों की झड़ी के बाद अब यह जरूरी है।इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए कोई एसडीएम या डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किया जाए।मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ और उनका कार्यालय इस मामले की जांच करने में पूरी तरह से अक्षम हैं।मंदिर के गलियारों में ऐसी चर्चा है।प्रशासक का झुकाव पहले से ही विवाद शुरू करने वालो की तरफ है।ऐसे में मंदिर कार्यालय द्वारा निष्पक्ष जांच होगी..?इसकी संभावना शून्य है..!

झुकाव....
विदित रहे कि चुप रहेंगे डॉट कॉम ने गत 16 अगस्त को यह विवाद उजागर किया था।"मेरे कर्मचारी कुछ भी करे...आपको बोलने का अधिकार नही है...शीर्षक से"। फरियादी रजनी खेर ने अपनी शिकायत में साफ साफ यह लिखा था कि..मेरे कर्मचारी वाली बात,उनको मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने तब कही थी।जब वह घटना की शिकायत करने गई थी।जिसके बाद कलेक्टर को लिखित में मंदिर प्रशासक के रुख की जानकारी दी गई थी।उसी वक्त यह साबित हो गया था कि...मंदिर प्रशासक का झुकाव किस तरफ है।अब ऐसे में अगर मंदिर प्रशासक कार्यालय ही जांच करेगा।तो घटना का असली सच कभी सामने नही आने वाला।इसीलिए निष्पक्ष जांच के लिए समिति बनाना जरूरी है और फैसला कलेक्टर को करना है।