बैठने का शौक है, मेरे माथे पर बैठ जाओं...!

भाजपा जिलाध्यक्ष का आक्रोश

बैठने का शौक है, मेरे माथे पर बैठ जाओं...!

परिचर्चा का शुभारंभ करते अतिथिगण

उज्जैन। मंच पर उसको क्यों जगह मिली।  मुझको मंच पर क्यों नहीं बैठाया। क्या तुम्हारे घर की पार्टी है। भाजपा को प्रायवेट लिमिटेड बना दिया है। भेदभाव करते हो। यह ठीक नहीं है ऐसा नहीं चलेगा। यह संवाद 1 हफ्ते पहले पूर्व विधायक और भाजपा जिलाध्यक्ष के बीच हुए थे। जिसके प्रत्यक्षदर्शी करीब 200 भाजपा वरिष्ठजन थे।

परिचर्चा में मौजूद वरिष्ठजन

यह घटना 7 जून की बताई जा रही है। भाजपा द्वारा वरिष्ठ परिजन परिचर्चा सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें 50 साल के ऊपर के वरिष्ठ भाजपा नेताओं को बुलाया गया था। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में डॉ. तेजबहादुरसिंह चौहान थे। जो कि प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के अलावा लोकसभा के प्रभारी भी है। उनके हाथों कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलन करवाया गया था। इस मौके पर सांसद अनिल फिरोजिया भी थे। इसी बात को लेकर पूर्व विधायक सतीश मालवीय ने आपत्ति उठाई थी। उनका कहना था कि ... मैं भी प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हूं। हम दोनों का पद एक समान है। तो मुझे मंच पर क्यों नहीं बुलाया। यह भेदभाव क्यों...! बस यहीं से विवाद शुरू हुआ। जो इतना बढ़ गया कि ... जातिगत भेदभाव का आरोप भी पूर्व विधायक ने लगा दिया। नतीजा मामला तूल पकड गया। ऐसा हमारे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है।

दलित बनाम सामान्य...

बैठक में शामिल भरोसेमंद सूत्र ने बताया। अतिथियों के साथ बैठने को लेकर विवाद इतना गहरा गया। जिसके चलते पूर्व विधायक ने दलित बनाम सामान्य का मुद्दा उठा दिया। उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में बोल दिया था। हम दलितों के साथ भेदभाव की नीति अपनाई जाती है। यह ठीक नहीं कर रहे हो। यह नहीं चलेगा। जिसके बाद जिलाध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला और डॉ. तेजबहादुर ने उनको समझाया। दोनों नेताओं ने कहा कि ... ऐसा कुछ भी नहीं है। जो पार्टी ने नीति निर्धारित की है। उसी के अनुसार मंच पर अतिथि तय किये गये है। क्योंकि इस कार्यक्रम में वरिष्ठजनों के अनुभव ही सुनना थे।

सामने बैठे ...

वरिष्ठ परिजन परिचर्चा सम्मेलन का मकसद, उन नेताओं के अनुभव सुनना था। जिन्होंने पार्टी के लिए उस वक्त काम किया। जब भाजपा का कोई वजूद नहीं था। इसीलिए यह आयोजन किया गया था। लेकिन इसके पहले ही कुर्सी का विवाद शुरू हो गया। पूर्व विधायक और जिलाध्यक्ष के बीच। हालांकि जिलाध्यक्ष ने यह कहकर बात संभालने की कोशिश करी कि ... यहां मौजूद हर भाजपा नेता उनके सिर माथे है। लेकिन प्रत्यक्षदर्शी यह बोल रहे है कि ... जिलाध्यक्ष ने यही बोला था कि... बैठने का शौक है तो मेरे माथे पर बैठ जाओं। इसके बाद खुद जिलाध्यक्ष अपनी कुर्सी उठाकर सामने मौजूद वरिष्ठजनों के पास जाकर बैठ गये थे। फिर थोडी देर बाद संगठन की वीसी के लिए रवाना हो गये थे।