13 मई 2024 (हम चुप रहेंगे)

13 मई 2024 (हम चुप रहेंगे)

टारगेट ...

आज मतदान दिवस है। हमारी अपने सभी पाठकों से हाथ जोडक़र और जो वरिष्ठ है, उनके चरण स्पर्श करके गुहार है। मतदान अवश्य करे। बिलकुल यह नहीं सोचे। मेरे अकेले के नहीं जाने से क्या होगा? आपका 1 वोट देश की किस्मत बदल सकता है। इसलिए घर से बाहर निकले। यह कभी नहीं भूले कि ... आप इस एक दिन के राजा है। वैसे भी अपने दूसरे माले के मुखिया ने लक्ष्य निर्धारित किया है। कम से कम 80 प्रतिशत मतदान होना चाहिए। पिछले चुनाव की तुलना में। पिछली दफा आंकड़ा 75 प्रतिशत पर रूका था। देखना यह है कि दूसरे माले के मुखिया का टारगेट पूरा होता है या नहीं। हम तो बस इन 2 लाईनों के साथ ... यदि नहीं करेंगे हम मतदान/ देश का होगा बड़ा नुकसान... शुभकामनाएं देते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

काफिला ...

हमारा आशय जनता के काफिले से नहीं है। हम तो बात कर रहे है वाहनों के काफिले की। जो कि विकासपुरूष के आगमन पर लगता है। अधिकतर वाहन लक्झरी होते है। इनोवा का ही काफिला रहता है। मगर पिछले दिनों अर्टिका गाडी लगा दी गई। ऐसा पहली बार हुआ। जिसके चलते सुरक्षाकर्मियों ने आपत्ति ली। यह आपत्ति दूसरे माले के मुखिया तक भी पहुंची। छोटी गाडी इसलिए लगाई गई। क्योंकि संचालक का भुगतान बाकी है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। अब देखना है कि आचार संहिता खत्म होने के बाद काफिले में कौन-कौन से वाहन लगते है और संचालक का भुगतान होता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

गिर गए ...

युवा कमलप्रेमियों के राष्ट्रीय मुखिया आएं और कोई घटना ना हो? ऐसा संभव नहीं है। पिछली दफा जब आये थे। तो 2 अध्यक्ष बलि चढ गये थे। नगर व ग्रामीण के। मंदिर कांड में। इस बार आएं। तो बेचारे प्रदेश के मुखिया मंच से गिर गए। कुर्सी से उठे थे। अचानक पैर फिसला और मंच से धडाम नीचे गिर पढे। हडक़ंप मच गया। कार्यक्रम रूक गया। महाकाल की कृपा रही। ज्यादा चोट नहीं आई। नतीजा अब युवा कमलप्रेमी राष्ट्रीय मुखिया के आगमन को लेकर शगुन-अपशगुन की नजरों से देखने लगे है। युवा कमलप्रेमियों की सोच सही है। राष्ट्रीय मुखिया का शहर आगमन हमेशा तकलीफदेय होता है। मगर हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

25 बनाम साढ़े 4 महीने ...

कमलप्रेमी इन दिनों 25 साल बनाम साढ़े 4 महीने का हवाला की बात कर रहे है। इशारा अपने उत्तर के पहलवान और हाईनेस की तरफ है। हाईनेस की कार्यशैली से कमलप्रेमी दु:खी है। इसलिए पहलवान को याद कर रहे है। यहां तक बोल रहे है। पहलवान सम्मान देते थे। हमारी बात को सुनते थे। मगर अपने हाईनेस जी, बात सुनना तो दूर की बात, तवज्जों भी नहीं देते है। कमलप्रेमियों की बात में दम है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

माईक छीना ...

युवा कमलप्रेमियों के राष्ट्रीय मुखिया से कोई ऐसा व्यवहार कैसे कर सकता है। उनके हाथ से माईक कैसे छीन सकता है। बात गले नहीं उतरती है। मगर 100 प्रतिशत सच है। इसकी वजह अपने विकासपुरूष है। जो कि कार्यक्रम में शामिल होने के लिए विशेषतौर पर आये थे। उनका तब आगमन हुआ। उस वक्त राष्ट्रीय मुखिया उद्बोधन दे रहे थे। प्रदेश के युवा मोर्चा मुखिया मंच पर मौजूद थे। विकासपुरूष जैसे ही आए। एक युवा कमलप्रेमी ने माईक छीन लिया और विकासपुरूष का गुणगान करने लगे। यह कार्यक्रम लाईव चल रहा था। घटना देखकर प्रदेश मुखिया भी अचरज में  पड गये। नजारा देखने वाले तो यह भी कह रहे है। प्रदेश मुखिया ने माईक छीनने वाले को फटकार लगाई है। मगर घटना हो चुकी थी। इसलिए अब सब चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नाराजगी ...

युवा कमलप्रेमी नाराज है। थोड़े-बहुत नाराज नहीं। भयंकर वाली नाराजगी है। होनी भी चाहिए। अपने स्वागतप्रेमी जी ने उनके साथ गलत किया। अपनी टीम के साथ कोई ऐसा नहीं करता है। जो उन्होंने किया। सभी पदाधिकारियों को मंच से उतरवा दिया। वह भी राष्ट्रीय मुखिया के सामने। नतीजा सभी पदाधिकारी नाराज होकर एक तरफ खड़े हो गये। फिर स्वागत अभिनंदन का क्रम शुरू हुआ। सभी नाराज पदाधिकारियों को मंच पर बुलाने का उद्बोधन हुआ। मगर सभी ने एकता दिखाई। कोई भी मंच पर नहीं गया। ऐसा वहां मौजूद युवा कमलप्रेमियों का कहना है। अब देखना यह है कि अपने स्वागतप्रेमी इस नाराजगी को कैसे दूर करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अटके ...

आसमान से गिरे खजूर में अटके या फिर ना घर के रहे ना घाट के। यह दो कहावते कमलप्रेमी इन दिनों सुना रहे है। इशारा नवागत कमप्रेमी उधारीलाल जी की तरफ है। जिनके साथ पिस्तौलकांड नायक ऐसा व्यवहार कर रहे है। जिसके चलते दोनों कहावत कमलप्रेमी बोलने के लिए मजबूर है। पिछले सप्ताह की 2 घटनाएं है। घट्टिया और तराना की। तराना में विकासपुरूष की सभा थी। वहां पर भी उधारीलाल जी को बेईज्जत होना पड़ा। उनके नामों की सूची को अटका दिया गया। दूसरा मामला शुक्रवार का है। कमलप्रेमियों के प्रदेश मुखिया आये थे। यहां पर उधारीलाल जी को मंच पर आमंत्रित कर लिया गया। बस पिस्तौल कांड नायक को बुरा लग गया। उन्होंने कड़ी आपत्ति ली। यह तक पूछा। किसने इनको यहां बुलाया है। बात बिगडती देख अपने उधारीलाल जी मंच और कार्यक्रम छोडक़र चले गये। तभी तो कमलप्रेमी दोनों कहावते बोल रहे है। जिसमें गलत क्या है। देखना यह है कि अब आगे क्या-क्या होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कक्ष क्रं. 110 ...

संकुल के गलियारों में कक्ष क्रं. 110 में 10 तारीख की रात साढ़े 10 बजे बाद आखिर क्या हुआ? यह सवाल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला मिशन-2024 से जुड़ा हुआ है। उस पर दक्षिण क्षेत्र से इसका गहरा नाता है। जैसे ही गलती पकडाई। हंगामा मच गया। अगर गलती नहीं पकडाती, तो सबकुछ उल्टा-पुल्टा हो जाता। बाबा महाकाल की कृपा रही। सूची की गलती पकड में आ गई। फिर तो 3 दर्जन शासकीय सेवकों को भिडा दिया गया। पूरी रात काम चला। यहां पर युवा आईएएस के धैर्य की तारीफ करनी होगी। जिसने अर्थ का अनर्थ होने से बचा लिया। उन्होंने पूरा सहयोग किया। आखिरकार 11 व 12 की आधी रात को काम पूरा हुआ। तब कहीं जाकर दूसरे माले के मुखिया और युवा आईएएस ने चैन की सांस ली। इसलिए हम भी इस गलती को सही समय पर पकडकर सुधारने और मेहनत के लिए बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

ऐसा भी होता है...

क्या कभी ऐसा पढ़ा या सुना है। किसी भी सरकारी बैठक का प्रेसनोट जारी हो। सरकारी भोपू द्वारा। मगर किसी विशेष अधिकारी का नाम उसमें से गायब हो। वह भी 1-2-3-4-5 बार नहीं, बल्कि कई दफा। मगर ऐसा हो रहा है। अपने स्मार्ट पंडित जी बैठक की फोटो में तो नजर आते है। लेकिन उनका नाम गायब होता है। इसके पीछे क्या कारण है। यह किसी को समझ नहीं आ रहा है। किन्तु ऐसा हो रहा है। अब देखना यह है कि सरकारी भोपू आगे ऐसी गलती करता है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

नवाचार...

गर्मी भयंकर है। ऐसे में मतदान करने के लिए जनता बाहर नहीं आ रही है। इसलिए शहरी क्षेत्र में नवाचार किया गया है। जिसके लिए हींग लगे ना फिटकरी... रंग चोखा आए... की तर्ज पर। अपने स्मार्ट पंडित ने केवल बैठक में इतना बोला। यह सोचकर कूलर की व्यवस्था करो। आपके घर अतिथि आ रहे है। बस फिर क्या था। अपनी जिज्जी के नेतृत्व में टीम लग गई। फिर जिधर से कूलर मिला, उधर से उठाया। सभी केन्द्रों पर कूलर पहुंचाए गए है। अब देखना यह है कि ... स्मार्ट पंडित का यह नवाचार वोटिंग प्रतिशत कितना बढाता है। इसका खुलासा आज शाम तक होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

झूट भी सच की तरह बोलना आता है उसे/ कोई लुक्नत भी कहीं पर नहीं आने देता... जफर सहबाई.... लुक्नत ... रूकावट /हकलाहट