20 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

20 नवम्बर 2023 (हम चुप रहेंगे)

शहर में रहना है ...

मतदान दिवस के 3 दिन पहले की घटना है। सभी प्रत्याशियों की तरह अपने विकास पुरूष भी जनसंपर्क कर रहे थे। शहीद पार्क पर दुकान-दुकान जाकर मिल रहे थे। यही पर एक कपड़े की दुकान है। जिसके संचालक एक सरदार जी है। उसी दुकान की घटना है। विकास पुरूष चंद कमलप्रेमियों के साथ पहुंचे थे। उन्होंने अपील की। वोट देने की। जिसे सुनकर सरदार जी ने मजाकिया अंदाज में बोल दियाहमे शहर में रहना है। बस फिर क्या था। दुकानदार की बात सुनकर जोरदार ठहाका लगा। इधर अपने विकास पुरूष, अपनी चिरपरिचित शैली में ... अरे... अरे... अरे... बोलकर आगे निकल गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि यह घटना देखने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

साजिश ...

आचार संहिता लागू होते ही एक साजिश रची गई। मकसद थाअपने उत्तम जी की निगाह में, श्रीमान कूलजी को गिराना। तभी तो 2017 में बने सोशल मीडिया ग्रुप को एक्टिव किया गया। जिसमें 132 अधिकारी जोड़े गये। लेकिन श्रीमान कूलजी को नहीं जोड़ा गया। पूरा चुनाव निकल गया। इस दौरान कई दफा अपने कूलजी को फटकार सहनी पड़ी। अपने उत्तम जी की। बेचारे ... पूरे चुनाव में परेशान रहे। आखिरकार मतदान वाले दिन राज खुला। तब कहीं जाकर कूलजी को इस ग्रुप में जोड़ा गया। अब सवाल यह है। आखिर इस साजिश का सूत्रधार कौन था। तो उंगली एक वरिष्ठ अधिकारी की तरफ उठ रही है। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

धरना ...

शीर्षक पढ़कर यह अंदाजा नहीं लगाये। हम किसी राजनीतिक धरने की बात कर रहे है। हमारा आशय भूख से परेशान धरने की तरफ है। जो कि मतदान वाले दिन हुआ। घटना स्थल अभियांत्रिक कॉलेज है। जहां पर रिजर्व में बस ड्रायवरों को बैठाकर रखा गया था। सभी को निर्देश थे। कोई कही नहीं जायेंगा। बेचारे चालक डर के कारण बैठे रहे। मगर इंतजार के बाद भी जब भोजन नहीं मिला। तो इनका सब्र टूट गया। नतीजा कॉलेज गेट पर आकर धरना दे डाला। यह घटना सीसीटीवी में भी कैद हुई है। ऐसा ड्यूटी पर तैनात सूत्रों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

खुशकिस्मत ...

चुनाव के दौरान प्रदेश भर से प्रेक्षकों का आना-जाना लगा रहा। हर रोज विभिन्न जिलो से प्रेक्षकगण दर्शन करने आये। इनकी जिद होती थी। अंदर गर्भगृह में जाने की। कईयों ने उत्तम जी को फोन भी किये। मगर नियम का हवाला देकर मना कर दिया गया। लेकिन एक प्रेक्षक खुशकिस्मत निकले। इनको बाबा की नगरी में ही भेजा गया था। जिस दिन से आये थे। तभी से हर रोज अंदर जाने की रट लगाये हुए थे। रोज-रोज की जिद के चलते एक बार नियम तोड़ा गया।सके अलावा प्रेक्षक महोदय पीठ दर्द से परेशान थे। इसलिए आयुर्वेद अस्पताल में मालिश की व्यवस्था करवाई गई। नतीजा ... प्रेक्षक महोदय पूरे चुनाव में चुप रहे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कितने से हार रहा ...

मतदान होने के बाद अब कमलप्रेमी मुखर हो गये है। तभी तो उत्तर के कमलप्रेमी यह बोल रहे है। जनसंपर्क के दौरान की एक घटना सुना रहे है। जिसमें इशारा अपने पहलवान की तरफ है। कमलप्रेमियों के अनुसार, अपने पहलवान अकसर यह सवाल नगरसेवकों से करते थे। कितने से हार रहा है। जिसकी भनक प्रत्याशी को लगी। उन्होंने इन सभी नगरसेवकों को बुलाकर बातचीत की। जिसकी जो डिमांड थी। वह पूरी करी। जो मांगा ... उससे ज्यादा दिया। नतीजा अब प्रत्याशी का दावा है। 25 हजार से जीत रहे है। फैसला 3 दिसम्बर को होगा। प्रत्याशी सही है या अपने पहलवान। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रण ...

शिवाजी भवन के गलियारों में इन दिनों रण- रण की गूंज सुनाई दे रही है। इशारा अपने खजांची जी की तरफ है। जिन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट अपलोड की है। याचना नहीं अब रण होगा- संघर्ष बड़ा भीषण होगा... शीर्षक से। जिसके पीछे का कारण चारा घोटाला बताया जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर खजांची जी खुलकर युद्ध के मूड में आ गये है। तभी तो वह बोल रहे है। जाको बैरी सुख से सोए-बाके जीवन को धिक्कार...। देखना यह है कि आगे जाकर यह रण कितना भीषण होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

संकट ...

कमलप्रेमियों में चर्चा है। मतदान के बाद। उनके पिस्तौल कांड नायक संकट में है। कमलप्रेमी यह मान रहे है। पिस्तौल कांड नायक के खिलाफ एक समाज ने खुलकर मतदान किया है। यह वही समाज है। जिसका मतदान के चंद दिनों पहले आडियों वायरल हुआ था। जिसके चलते समाज ने अपनी नाराजगी दिखाई। नतीजा ... उन्हेल व पानबिहार सहित जहां-जहां यह समाज है। वहां कमल के खिलाफ वोटिंग हुई है। अब देखना यह है कि अपने कमलप्रेमियों का अनुमान कितना सटीक निकलता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

वायरल ...

कमलप्रेमी पूर्व विधायक का एक आडियों रविवार को वायरल हुआ है। यह आडियों मतदान दिवस के पहले का है। जिसमें अपने बाऊजी खुलकर बोल रहे है। कमलप्रेमी प्रत्याशी के खिलाफ। मामला दाल-बिस्किट वाली तहसील का है। जिसमें वह बामन को लेकर आक्रोश उबल रहे है कितने घर है... कितने वोट है। सवाल पूछ रहे है। अंत में अपनी कसम दे रहे है। राजपूत का समर्थन करने के लिए। बाऊजी ... सीधे-सीधे बागी पंजाप्रेमी प्रत्याशी को समर्थन (वोट )देने की बात कर रहे। लेकिन सवाल यह है। क्या अपने बाऊजी की बात पर, कट्टर कमलप्रेमी पार्टी के साथ गद्दारी करेंगे? फैसला ईवीएम खुलने के बाद होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

विद्रोह ...

दाल-बिस्किट वाली तहसील के बाद, कमलप्रेमियों में बदबू वाले शहर की चर्चा है। जहां पर नाराज कमलप्रेमी दरबार ने खुलकर विद्रोह कर दिया। वह भी मतदान वाले दिन। उन्होंने व परिजनों ने पंजे में वोट डालने का आग्रह किया। जिसकी चर्चा बदबू वाले शहर के कमलप्रेमी कर रहे है। कमलप्रेमी दबी जुबान से कह रहे है। इतने दिनों तक चुपचाप बैठे दरबार का अंतिम दिन सब्र टूट गया। तभी तो पंजे के समर्थन में बाहर आ गये। लेकिन कमलप्रेमी यह भी दावा कर रहे है। दरबार के इस पंजाप्रेम से कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। उल्टे उन्होंने खुद अपने पैर पर कुल्हाडी मार ली है। अब नुकसान हुआ या कुल्हाडी मारी। इसका फैसला अगले महीने होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

समझौता ...

अपने दुश्मन को निपटाने का एक तरीका यह भी होता है। अपने दुश्मन के दुश्मन से समझौता कर लो। ताकि ताकत  दुगनी हो जाये। अपने बडबोले नेताजी के कट्टर दुश्मन ने यही किया। पहले निर्दलीय चुनाव में खड़े हो गये। गन्ने वाले किसान के साथ। फिर देखा, इससे तो बडबोले नेताजी को फायदा हो रहा है। तो पंजाप्रेमी प्रत्याशी से हाथ मिला लिया। वह भी मतदान के 2-3 दिन पहले। अपने समर्थकों को संदेश भिजवा दिया। गन्ने के बदले पंजे पर मोहर लगाओं। मेरे और तुम्हारे दुश्मन ... बडबोले नेताजी को हराओं। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। तभी तो बडबोले नेताजी की हार पर अभी से कमलप्रेमियों ने मोहर लगा दी है। जबकि रिजल्ट आना बाकी है। देखना यह है कि यह समझौता कितना सफल होता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मुसीबत में ...

अपने पंजाप्रेमी चरणलाल जी मुसीबत में है। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद पंजाप्रेमी बोल रहे है। अगर पंजाप्रेमियों की बात मानी जाये। तो खुद अपने चरणलाल जी यह बोल रहे है। फंस गया हूं। जबकि कमलप्रेमी यह दावा कर रहे है। 2018 की तुलना में 2023 में कमलप्रेमियों ने जमकर मेहनत की है। जिसके चलते अपने चरणलाल जी खुद को फंसा हुआ महसूस कर रहे है। देखना यह है कि कमलप्रेमियों की मेहनत कितना रंग लाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दावा ...

अपने विकास पुरूष के खेमे से दावा किया जा रहा है। जीत का। वह भी अपने पुराने रिकार्ड को तोड़कर 25 हजारी से जीतने का। यह दावा जोड-घटाओं-गुणा-भाग के बाद हासिल वाला है। जिसके लिए बकायदा हर मंडल- बूथ से आंकड़े लिए गए। फिर कार्यकर्ता से प्यार-दुलार-पुचकार करके सही आंकड़ा नोट किया गया। जो कि कुल जमा हासिल 25 हजारी निकला है। जबकि अपने पंजाप्रेमी होटल वाले भय्या की तरफ से कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है। अब देखना यह है कि अपने विकास पुरूष का यह दावा कितना सटीक बैठता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।