5 दिसम्बर 2022 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
झूठ ...
अपने पंजाप्रेमी हवाई फायर नेताजी झांकी जमाने और झूठ बोलने में पीएचडी है। ऐसा उनके ही करीबी पंजाप्रेमी बोलते है। भारत जोड़ो यात्रा में उनका यह रंग खूब दिखा। 2 घटनाएं पंजाप्रेमी सुना रहे है। पहली उस स्कूल की, जहां भारत जोड़ो यात्रा के युवराज रूके थे। दोपहर 1 बजे का समय था। अपने हवाई फायर नेताजी, आनंद वाले वाहन पर सवार थे। आगे की सीट पर एक नौजवान युवक बैठा था। सफारी पहने और हाथ में वॉकी-टॉकी टाइप कुछ था। वह स्कूल के आगे उतरा और सीआरपीएफ जवान से बोला। बड़े नेताजी है। अंदर जाने दो। मगर सुरक्षाकर्मी चतुर था। उसने रोक दिया। खूब हुज्जत हुई। अपने हवाई फायर नेताजी, गाड़ी से नहीं उतरे। आखिरकार उनको बैरंग लौटना पड़ा। दूसरी घटना भोजन से जुड़ी है। हवाई फायर नेताजी ने प्रचारित करवा दिया। युवराज को भोजन उनके घर से गया। मेन्यू तक लिखवा दिया। अब पंजाप्रेमी दबी जुबान से अपने हवाई फायर नेताजी के झूठ पर बोल रहे है। डॉ. वसीम बरेलवी का यह अशआर। वह झूठ बोल रहा था बड़े सलीके से/ मैं एतबार ना करता तो और क्या करता...। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
खदेड़ा ...
जेब से माल भी खर्च किया और बेइज्जत होकर सीआरपीएफ जवान ने धक्के देकर निकाला। घटना भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ी है। पंजाप्रेमी बोल रहे है। सेठी नगर निवासी 2 नेताओं के साथ यही हुआ। सामाजिक न्याय परिसर में। मंच पर जगह मिलने की उम्मीद लेकर पहुंचे थे। इसके लिए ग्रामीण विकास दमदमा के उपाध्यक्ष रह चुके नेता ने चंदा भी दिया था। करीब 1 पेटी चंदा दिया था। शहर के पंजाप्रेमी मुखियां को। लेकिन जब सभा स्थल पर पहुंचे। तो सुरक्षाकर्मी ने बेइज्जत किया। धक्के देकर बाहर तक खदेड दिया। नतीजा ... चंदा देने वाले नेताजी ने, जमकर शहर के पंजाप्रेमी मुखियां को उन शब्दों से नवाजा, जो हम लिख नहीं सकते है। इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
200-40-100 ...
शीर्षक पढ़कर अंदाजा नहीं लगाये। अंको का मतलब राशि से नहीं है। बल्कि यह संख्या लाइन-अप (कतार में खड़े रहने) की है। जिसको लेकर पंजाप्रेमियों में अंदर ही अंदर खूब झगड़ा हुआ। सभी भारत जोड़ो यात्रा को लेकर निकले युवराज से मिलना चाहते थे। इसके लिए सूची बनी। पहले 200 की सूची बनी। फिर एक होटल में बैठकर इसको 40 अंक पर लाया गया। जिसके बाद हंगामा मचा। ऊपर से प्रेशर आया। तो फिर 100 नाम की सूची बनी। मगर मौका आया। तो सामाजिक न्याय परिसर में यह सूची डस्टबीन में डाल दी गई। अब पंजाप्रेमी अपने-अपने नेताओं के लिए उन शब्दों का प्रयोग कर रहे है। जिन्हें हम लिख नहीं सकते हैं। तो हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
बाहर निकाला ...
घटना पंथपिपलई की बताई जा रही है। जहां पर पंजाप्रेमी तीनों जनप्रतिनिधि (मुदिरा) मौजूद थे। सुरक्षा के हिसाब से 3 रस्सा पार्टी थी। तीनों जनप्रतिनिधि पहली सुरक्षा में रस्से के नीचे से घुस गये। मगर असली मकसद, तीसरी सुरक्षा तक पहुंचने का था। दूसरी सुरक्षा तक पहुंचने की कोशिश होती? इसके पहले ही इन तीनों मुदिरा पर सुरक्षाकर्मी की निगाह पड गई। बस... फिर क्या था। तीनों को बाहर निकाल दिया। बेचारे ... गुहार लगाते रह गये। हम चुने हुए प्रतिनिधि है। इस चक्कर में बदबू वाले शहर के नेताजी के पैर में चोट भी लग गई। ऐसा पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
हिसाब-बराबर ...
अपने होटल वाले भिया ने एक फ्लेक्स लगवाया था। सामाजिक न्याय परिसर में। जिससे हड़कंप मच गया। शिकायत हो गई। जिसके बाद फ्लेक्स हटाना पड़ा। फिर अपने बिरयानी नेताजी ने चक्कर चलाया। अपने होटल वाले भिया के लिए। आखिरकार, होटल पर बिरयानी नेताजी की बैठक है। इज्जत दाव पर लग गई थी। नतीजा सुबह फिर फ्लेक्स लग गया। देवास गेट वाले भिया की जय-जयकार हो गई। मगर, जब बिरयानी नेताजी के साथ होटल वाले भिया कॉलेज पहुंचे। जहां पर भारत जोड़ो यात्रा रूकी थी। वहां पर हिसाब बराबर हो गया। अपने बिरयानी नेताजी और होटल वाले भिया को रोक दिया गया। बगैर मुलाकात के बैरंग लौटना पड़ा। खूब कोशिश की, लेकिन दाल नहीं गली। ऐसा पंजाप्रेमी बोल रहे है और हिसाब-बराबर का इशारा कर रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
निराश ...
अपनी पंजाप्रेमी बुआजी के समर्थक निराश है। बहुत ही ज्यादा निराश। समर्थकों को उम्मीद थी। अपनी बुआजी के साथ इंसाफ होगा। आखिरकार, अपनी बुआजी शुरूआत से ही यात्रा में पैदल चल रही थी। समर्थकों को भरोसा था। मंच लगेगा तो कुछ पल के लिए ही सही, मगर तवज्जों मिलेगी। खासकर तब, जब खुद मंच पर अपनी बुआजी मौजूद थी। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। यात्रा के युवराज ने मंच तरफ झांका तक नहीं। अपने ही शहर में अपनी बुआजी को तवज्जों नहीं मिली। समर्थकों को मिलना तो दूर की बात हो गई। ऐसा हम नहीं, बल्कि खुद पंजाप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
21 पेटी ...
क्या वाकई एक पंजाप्रेमी नेताजी ने आमसभा के लिए 21 पेटी का खर्च उठाया है? पंजाप्रेमी नेतागण, इस मुद्दे पर एकमत नहीं है। मगर चर्चा खूब है। इशारा अपने दमदमा की मीठी गोली वाले नेताजी की तरफ है। जिनको 21 पेटी वाले बकरे की संज्ञा देने में पंजाप्रेमी नहीं चूक रहे है। दबी जुबान से बोला जा रहा है। राजा साहब के इशारे पर आमसभा का खर्च उठाया। लेकिन, जो अपने मीठी गोली वाले नेताजी को करीब से जानते है। वह भरोसा करने को तैयार नहीं है। बोल रहे है कि ... 10 पेटी से ज्यादा खर्च मीठी गोली वाले नेताजी नहीं कर सकते है। फिर भले ही उनको राजा साहब बोले या फिर कोई भी? पंजाप्रेमियों की इन बातों पर हम आखिर क्या बोले? इसलिए हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
जलवा ...
भारत जोड़ो यात्रा में भले ही शहर के पंजाप्रेमी मुखियां को इंदौर रोड के ढाबे पर जद्दोजहद करनी पड़ी। इसके बाद भी उनको अंदर नहीं जाने दिया गया। मगर अपने चरणलाल जी के खास सिपहसालार का जलवा रहा। पंजाप्रेमी इनको दलाल के नाम से पुकारते है। दलाल किस धंधे का? तो पंजाप्रेमी अपनी नाक पर ऊंगली रखकर, इशारा करके बताते है। इस धंधे का दलाल है। इस दलाल का जलवा बरकरार रहा। जलवे का अंदाजा इस सच से साबित होता है। इस दलाल की गाड़ी का नम्बर कारकेट में दर्ज था। इस दलाल ने ही विज्ञापन छपवाये। जिसमें अपना फोटो भी लगवा दिया। तभी तो अपने पंजाप्रेमी इस दलाल के जलवे की चर्चा कर रहे है। यह दलाल देवास रोड़ क्षेत्र के निवासी है। अब पंजाप्रेमी भले ही... नाक पर ऊंगली रखकर ... उनके धंधे का इशारा कर रहे है। लेकिन दलाल ने साबित कर दिया। उनका जलवा बरकरार है। तो हम उनके जलवे को सेल्यूट करते हुए, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
सपना ...
भारत जोड़ो यात्रा का महाकाल की नगरी में एक दिन का विश्राम होगा? इसकी भनक एक पंजाप्रेमी नेता को शायद पहले से ही थी। इसलिए उन्होंने किक्रेट प्रतियोगिता करवा दी। जिसके लिए 10 पेटी के करीब खर्च किया गया। मकसद केवल यही था। किसी भी तरीके से यात्रा के युवराज आ जाये। खूब कोशिश करी। लेकिन सफलता नहीं मिली। जिसके बाद दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को लाने की जुगाड लगाई। यहां भी असफलता हाथ लगी। थक-हार कर भारत जोड़ो यात्रा की 2 नेत्रियों को लाकर अपनी इज्जत बचाई। अब पंजाप्रेमी उनको देखकर... मुंगेरीलाल का हसीन सपना ... दबी जुबान से बोल रहे है। पंजाप्रेमियों की बात एक हद तक सही भी है। मगर हम पंजाप्रेमियों का मुंह तो पकड नहीं सकते है? इसलिए अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
वीडियों ...
भारत जोड़ो यात्रा में कई पंजाप्रेमी नेता, फोटो खिचवाने के चक्कर में बेइज्जत हुए। तमाम जुगाड नाकाम रही। मगर किसी का भी वीडियों सामने नहीं आया। लेकिन अपने बिरयानी नेताजी के रिश्तेदार का वीडियों सामने आया है। आगर रोड का मामला है। रिश्तेदार, युवा पंजाप्रेमी संस्था के मुखियां है। जो किसी तरह जुगाड लगाकर यात्रा के युवराज तक पहुंच गये। अपने हाथों में पंजा छपा दुपट्टा लिये थे। मकसद था कि ... युवराज के गले में पहना दे। लेकिन उनके साथ चोट हो गई। जैसे ही उन्होंने दुपट्टा डालने का प्रयास किया। यात्रा के युवराज ने रोक दिया। 2 से 3 सेकेंड का यह घटनाक्रम है। जिसके बाद बिरयानी नेताजी के रिश्तेदार को पीछे धकेल दिया गया। अब यह वीडियों दिखाकर, पंजाप्रेमी मजे ले रहे है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
माफी ...
हमारे पाठक हमसे ज्यादा समझदार है। वह समझ जायेंगे कि ... हम क्यों माफी मांग रहे है? क्योंकि हमने आज तक कभी भी, किसी एक ही विषय को लेकर, इतना नहीं लिखा, जितना आज लिखा है। हमारे पाठक वाकई हमसे निराश और खफा भी होंगे। खासकर ... हमारे अपने कमलप्रेमी और शिवाजी भवन से लेकर संकुल के गलियारों में बैठकर हमें पढऩे वाले। इन सभी पाठकों से हम हाथ जोड़कर माफी मांगते है। अगले अंक में इस कमी को पूरा करेंगे... तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।