10 फ़रवरी 2025 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का |

व्यंग्य ...
सिंहस्थ 2028 को लेकर बैठक हुई थी। पिछले सप्ताह। राजधानी से बड़े साहब आये थे। 2 दिन तक उन्होंने बैठक और भ्रमण किया। बैठक में तीसरे माले के मुखिया भी मौजूद थे। जिन्होंने सिंहस्थ में कहां-कहां नये ब्रिज बनेंगे? इसको लेकर जानकारी दी। किन्तु होमवर्क शायद अधूरा था। राजधानी से बैठक लेने आये बड़े साहब 2004 में पदस्थ थे। शहर के चप्पे-चप्पे से वाकिफ है। तभी तो वह यह कहने पर मजबूर हो गये। एक ब्रिज आपके नाम का भी बनवा देते है। यह सुनते ही तीसरे माले के मुखिया बड़े साहब का व्यंग्य समझ गये। नतीजा चुप हो गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि बैठक में मौजूद अधिकारियों का कहना है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डर ...
क्या कभी ऐसा सुना है। हमारे माननीय जनप्रतिनिधि किसी से डरते हो। हमने तो नहीं सुना। खासकर अपने हाइनेस तो किसी से नहीं डरते है। किन्तु सिंहस्थ बैठक में उन्होंने खुद बोला। उनको पुलिस से ज्यादा ऊर्जा वालो से डर लगता है। ऊर्जा वालो को अगर किसी काम के लिए फोन करो। तो वह काम पक्का नहीं होगा। उल्टे कार्यकर्ता आकर हमको खरी-खोटी सुना जाता है। आपके फोन पर भी काम नहीं हुआ। इज्जत खराब हो जाती है। इसलिए उर्जा वालो से डर लगता है। अपने हाइनेस की बात में दम है। बात सच भी है। ऊर्जा वालो से पंगा लेना मतलब, अपनी कब्र खुद खोदना। ऐसा कमलप्रेमी माननीय से लेकर कार्यकर्ता सोचते है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
वापस बुलाया ....
हमारे माननीयगण जब जिद पर आ जाये। तो वह किसी की बात नहीं सुनते है। खासकर तब, जब संभाग के सभी कमलप्रेमी माननीय एक छत के नीचे मौजूद हो। पिछले सप्ताह यही हुआ। राजधानी से आये साहब ने सभी को बुलाया था। संभाग के 7 जिलों के मुखिया भी मौजूद थे। जिस वक्त सभी माननीय बैठक में पहुंचे। उसी वक्त राजधानी के बड़े साहब की वीसी भी थी। इसलिए 7 जिलों के मुखिया वीसी में चले गये। उनको इजाजत दी गई थी। राजधानी से आये साहब ने। बस इस बात पर माननीयगण भडक गये। खूब विरोध हुआ। कुछ ने खरी-खोटी भी सुना दी। आखिरकार सभी को तत्काल वापस बुलाया गया। वीसी छोडकर सब आये। तब जाकर जनप्रतिनिधिगण शांत हुए और बैठक शुरू हुई। ऐसा बैठक में शामिल अधिकारियों का कहना है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
चिंता ...
राजधानी से आये साहब, वापस जाते-जाते चिंता के साथ गये है। 2 दिन की बैठकों के बाद उनके उदगार थे। इतने सारे प्लान बना लिए? यह समय पर पूरे हो पायेंगे? क्या इतना सबकुछ समेट पायेंगे? साहब की चिंता जायज है। क्योंकि वह खुद 2004 के भुक्तभोगी है। देखना यह है कि वह अपनी चिंता राजधानी में किसको बताकर मुक्त होते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते हैं।
चर्चा ...
पंजाप्रेमियों में चर्चा है। एक निकाह की। मगर किसने किया? क्यों किया? कब किया? इसका किसी को कुछ पता नहीं है। बस पंजाप्रेमी निकाह की जिक्र आपसी चर्चा में दबी जुबान से कर रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
गुटबाजी ...
दिल्ली फतह का जश्न कमलप्रेमी मुख्यालय पर मनाया गया। सभी कमलप्रेमियों को आमंत्रण था। इस जश्न में उम्मीद थी कि सभी एकसाथ नजर आयेंगे। मगर ऐसा हुआ नहीं। अलग-अलग गुट बनाकर अपने-अपने छर्रो के साथ कमलप्रेमी नेता नजर आये। ऐसा हम नहीं, खुद अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
ईगो ...
राजनीति में ईगो दिखाने से काम नहीं चलता है। हमेशा झुककर चलने वाला ही सफलता के सिहासन पर विराजमान होता है। मगर इतनी सी बात अपने प्रथमसेवक को समझ नहीं आ रही है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कुंभ स्नान के लिए गये नगरसेवकगण बोल रहे है। कारण ... प्रथमसेवक और उनके पंच रत्नों ने इस यात्रा से दूरी बना ली है। जबकि इन सभी को जाना था। किन्तु ईगो के चलते प्रथमसेवक और उनके पंच रत्न नहीं गये। जिसकी चर्चा नगरसेवकों और शिवाजी भवन के गलियारों में सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
कौन हो तुम ...
अपने दूसरे माले के मुखिया बैठक ले रहे थे। सिंहस्थ चौडीकरण को लेकर। गाडी अड्डा से बड़े पुल तक का विषय था। शिवाजी भवन से जिनको इसका प्रभार है। वह लापरवाही दिखा रहे है। नतीजा फटकार लगा दी। दूसरे माले के मुखिया ने यह भी पूछ लिया। कौन हो तुम। जवाब मिला उपयंत्री हूं। जबकि इनके पास झोनल व भवन अधिकारी का चार्ज है। किन्तु बचने के लिए झूठ बोल दिया। इस नाराजगी के बाद अपनी जिज्जी ने नोटिस देने की तैयारी कर ली है। 1-2 दिन में नोटिस मिल जायेगा। ऐसा शिवाजी भवन वाले बोल रहे है। किन्तु हमको चुप ही रहना है।
100 फीट ...
सिंहस्थ 2028 का मुख्य स्नान रामघाट व दत्त अखाडे पर होगा। इस जगह पर छोटी रपट है। जो कि 30 फीट चौडी है। अब इसमें फेरबदल होगा। इसको 7 फीट ऊंचा उठाया जायेगा और चौडाई 70 फीट और बढाई जायेगी। कुल 100 फीट की रपट बनाने का प्लान है। प्लान अपने तीसरे माले के मुखिया ने बनाया है। अब यह प्लान लागू होगा या नही ? फैसला वक्त करेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
युद्ध नहीं जिनके जीवन में/ वो भी बड़े अभागे होंगे/ या तो प्रण को तोड़ा होगा/ या फिर रण से भागे होंगे...। कवि अर्जुन सिसौदिया |