27 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

27 फरवरी 2023 (हम चुप रहेंगे)

S.C.N ...

इस शीर्षक का अर्थ हैकारण बताओं सूचना पत्र। प्रशासन में अकसर यह जारी होता रहता है। मगर पहली दफा सार्वजनिक शोकाज नोटिस जारी होते देखा। जिसका जवाब 2 दिन तक अपने कुमार विश्वास जी देते रहे। अपने-अपने रामकथा में। कारण ... उन्होंने आरएसएस को अनपढ़ की संज्ञा दे डाली थी। इसी के चलते उनको यह सार्वजनिक नोटिस मिला था। नतीजा... अपने किस्सागो कविवर, कभी खुद के बाबूजी को संघ का स्वयं सेवक बताते नजर आये। तो कभी खुद के ताऊजी को विहिप का पदाधिकारी उन पर इस शोकाज नोटिस का खतरनाक प्रभाव था। जिसके चलते ताजमहल- मुमताज वाली कहानी को 2 बार सुना गये। जो उनके मानसिक अवसाद की तरफ इशारा था। वरना उनको याद रहता। पहले दिन भी यही कहानी सुनाई थी। बहरहाल ... कथावीथिका पीठ से उनकी इस बकवास को सुनकर, अपने-अपने राम से भक्तों का विश्वास उठ गया है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस ... विश्वास की मानसिक पीडा को समझकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

हड्डी जुबान में ...

वामपंथी को कुपढ़ और आरएसएस को अनपढ़ बताने वाले कुमार विश्वास  ने ऐसा क्यों बोला ? इसके पीछे आखिर कारण क्या था? पहली बार तो रामकथा कर नहीं रहे थे तो क्या उन्होंने जानबूझकर संघ पर निशाना साधा? यह सवाल हर कमलप्रेमी की जुबान पर है। दबी जुबान में यह बोला जा रहा है। कुपढ़ और अनपढ़ सुनियोजित षड्यंत्र था। इसके पीछे कारण आरएसएस प्रमुख द्वारा दिया गया बयान था। पंडित वाला। तभी तो मंच से उन्होंने यह बोला था। वेद इन्होंने देखे है... पढ़े नहीं है। जो कि पंडित वाले बयान की तरफ इशारा है। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। उनकी बात कितनी सच है... कितनी झूठ.... इसका फैसला हमारे सुधि पाठक खुद कर ले। हम तो बस किसी शायर का यह अशआर, अपने कुमार विश्वास तक पहुंचा रहे है। कुदरत को नापसंद है सख्ती बयान में/ पैदा हुई ना इसलिए हड्डी जुबान में...। बाकी हमें अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

निशाना ...

अपने-अपने रामकथा ने कमलप्रेमियों को मौका दे दिया। निशाना साधने का। अपने विकास पुरूष पर। जिसकी लंबे समय से कमलप्रेमी प्रतीक्षा कर रहे थे। जैसे ही यह सुअवसर मिला। सबसे पहले अपने उदासीन बाबा ने इसे लपका। पोस्ट अपलोड कर दी। रामकथा अंहकार अनर्गल प्रलाप सिद्ध होती है। इसके बाद अपने पिपली राजकुमार खुलकर सामने आ गये। पोस्टर फाडते हुए। धीरे-धीरे कई कमलप्रेमी निशाना साधते नजर आये। सभी खुश थे। इस दफा विकास पुरूष आखिरकार जाल में फस गये। लेकिन अपने विकास पुरूष राजनीतिक समुद्र की शार्क है उनके आगे शहर की इन छोटी-मोटी मछलियों की कोई बिसात नहीं है। तभी तो उन्होंने शाम होते-होते जाल को ऐसे काटा कि ... रामकथा भी संपन्न हुई और कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड सका। नतीजा... कमलप्रेमी अब बोल रहे है। निशाना गलत लग गया। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

इश्क ...

एक गजल हमारे पाठकों ने सुनी होगीइश्क नचाये जिसको यार/ वो फिर नाचे बीच-बाजार... ! यह गजल इन दिनों युवा कमलप्रेमी खूब गुनगुना रहे है। इशारा ... एक नवनियुक्त पदाधिकारी की तरफ है। जो कि सराफा मंडल के है। युवा है... इसलिए इश्क होना स्वभाविक है। अभी-अभी युवा कमलप्रेमी टीम में उनको पद मिला था। पद मिलते ही ... इश्क ने जोर मारा। नतीजा ... रातों-रात अपनी प्रेमिका को लेकर लापता हो गये। जिसका खुलासा तब हुआ। जब एक बैठक में उनकी जरूरत पड़ी। फोन लगाया। बंद मिला। फिर खोजबीन हुई। तब पता चला कि मंडल के पदाधिकारी तो इश्क के चलते फरार है। परिजनों ने आवेदन दिया है। प्रेमिका के घरवालो ने। तो वर्दी ने पदाधिकारी के घर पर दस्तक भी दे डाली। मगर अभी तक उनका पता नहीं चला है। अब देखना यह है कि ... मंडल पदाधिकारी आखिर कब प्रकट होते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

जिंदाबाद ...

कल्पना कीजिए। अपने मामाजी का भाषण चल रहा है। पीछे से कोई इशारा करे। नारे लगाने का। जनता, इशारा समझ भी जाये। मगर ... नारे अपने मामाजी के बदले, बड़बोले डरपोक सिंह के नाम के लगा दे? यह देखकर अपने मामाजी को कैसा महसूस होगा। पिछले सप्ताह यही हुआ। मंच से डरपोक सिंह ने इशारा किया। बेचारी जनता उनके नाम के अलावा, उनके ही सामने, किसी दूसरे नाम के नारे कैसे लगा सकती है। इसलिए जनता ने वही किया। जो अभी तक करती आई है। मामाजी के बदले, अपने बड़बोले नेताजी के नारे लगा दिये। बेचारे ... बड़बोले डरपोक सिंह शर्मिदा हो गये। जनता को फिर इशारे से समझाया। मेरे नहीं... मामाजी के नाम के नारे लगाओं। तब जाकर ... मामाजी जिंदाबाद सुनाई दिया। ऐसा हम नहीं, बल्कि डरपोक सिंह के चाहने वाले कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।  

सपना ...

मुंगेरीलाल के हसीन सपने। यह कहानी सभी ने पढ़ी या सुनी होगी। इन दिनों मंदिर के गलियारों में पंडे-पुजारी- कर्मचारी इसकी चर्चा कर रहे है। इस कहानी में मुख्य-पात्र मंदिर के पुराने मुखिया अपने चुगलीराम जी है। जो कि इन दिनों मुंगेरीलाल स्टाइल में सपना देख रहे है। तभी तो यह खबर प्रचारित करवा रहे है जल्दी ही वापस आने वाला हूं। जबकि उनको खुद सच का पता हैएक आडियों के कारण उनकी रवानगी हुई। ऊपर तक अपने मामाजी का नाम बदनाम हुआ। उसके चलते, जब तक अपने मामाजी मुखियां है। तब तक मंदिर में उनकी वापसी असंभव है। फिर भी अपने चुगलीराम जी सपना देख रहे है। तो हम कौन होते है, उनको नींद से उठाने वाले। आराम से सपना देंखे। हमको महाकाल पर भरोसा है और अपनी आदत के अनुसार चुप रहना भी जानते है।

धमकी ...

अपने आराधना प्रेमी  ने सोचा नहीं था। बाजी उलटी पड सकती है। किसी को चमकाना इतना भारी पड सकता है। कि खुद, सामने वाले से हाथ जोडऩे की नौबत आ जाये मामला एक फूलपेंटधारी से जुड़ा है। जो कि आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है। जब पॉवरफूल थे तो एक होटल खोल लिया था। जिसको लेकर किसी ने आरटीआई लगा दी। उविप्रा के अंदर। जिसकी भनक पहले फूलपेंटधारी को लगी। फिर अपने आराधना प्रेमी को। आराधना प्रेमी ने फूलपेंटधारी भाईसाहब को आश्वासन दिया। मैं सब संभाल लूंगा। उसके बाद आवेदनकर्ता को धमकाने गये। लेकिन सामने वाला उनसे ज्यादा बडा वाला निकला। उसने आराधना प्रेमी की लिखित में शिकायत वर्दी को कर दी?  नतीजा ... चौबे जी ... छब्बे जी बनने गये थे... और दूबे जी बनकर ... चुप बैठ गये है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी  आदत के अनुसार चुप रह सकते है।

बगावत ...

युवा कमलप्रेमियों की नई टीम में बगावत कभी भी हो सकती है आसार तो ऐसे ही नजर आ रहे है। युवा कमलप्रेमी मुखिया अपने स्वागत-प्रेमी को लेकर जमकर असंतोष पनप रहा है। उनकी नई  टीम में एक से बढकर एक नगीने है। एक नगीना ... प्रेमिका के साथ गायब है। दूसरा नगीना ... टॉवरचौक वाला सुराप्रेमी है। तो तीसरा नगीना ... पूर्व पंजाप्रेमी है। इन सभी को नई टीम में अपने स्वागत-प्रेमी जी ने स्थान दिया है। जिसके चलते  एक युवा पदाधिकारी ने इस्तीफा सौंप दिया है। अपने ढीला-मानुष को जाकर। इतने सारे विवादों के चलते ... युवा स्वागत-प्रेमी जी संकट में है। उनके खिलाफ बगावत का बिगुल कभी भी ... किसी भी मंडल से बज सकता है। ऐसा युवा कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर, हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है। 

तैयारी ...

वार्ड क्र. 5 की घटना बताई जा रही है। विकास यात्रा का समापन होना था। अपने पहलवान, वजनदार जी, बहन जी, ढीला-मानुष आदि सभी थे। युवा कमलप्रेमी इकाई के मुखिया अपने स्वागत-प्रेमी जी भी मौजूद थे। उनको देखकर, युवा कमलप्रेमियों को गुस्सा आ गया। जिसकी वजह यह थी कि ... नई टीम में चापलूसों को जगह दी गई। निष्ठावान कार्यकर्ताओं को बाहर कर दिया। यह गुस्सा इतना बढ गया कि ... हाथों-हाथ पुतला दहन की तैयारी हो गई। घास-फूस भी एकत्रित कर लिया। एक बोरे के अंदर। बस... माचिस की तीली जलाने की देर थी तभी वरिष्ठ कमलप्रेमियों को इसकी भनक लग गई। उन्होंने जाकर आक्रोशित युवाओं को समझाया। ऐसा करना गलत होगा। इधर अपने स्वागत-प्रेमी जी माहौल देखकर चुपचाप निकल गये। तो हम भी उनकी तरह, आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कमाई ...

मंदिर के गलियारों में यह चर्चा आम है। इन दिनों दर्शन करवाने के नाम पर निजी सुरक्षाकर्मी मजे लूट रहे है। वह कम कीमत पर, भक्तों को गेट नं. 4 से इंट्री दे देते है। कालागेट पर सूचना भी पहुंचा दी जाती है। इतने लोगों को छोडा है। संभाल लेना चर्चा पर अगर यकीन करे तो सीसीटीवी फूटेज को गौर से देखने पर सच सामने आ जायेगा। निजी सुरक्षाकर्मियों का यह खेल आसानी से पकड़ा जा सकता है। मगर सवाल यह है कि ... इतनी मेहनत कौन करे। जिसका फायदा सुरक्षाकर्मी उठा रहे है। मंदिर के गलियारों में तो यही चर्चा है। मगर, हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

मेला बनाम चुप ....

अपने 1 महीने पुराने मुखियां सीधी-सपाट भाषा बोलते है। बगैर लाग-लपेट के। कोई मुरव्वत नहीं पालते है। 2 घटनाएं संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। पहली... कमलप्रेमी पहलवान की है। जो कि शहर के प्रथम नागरिक रह चुके है। मिलने गये थे। इंतजार करना पड़ा। फिर मौका देखकर अंदर घुस गये। 4-5 लोगों के साथ। नये मुखियां की नजर पड़ी। तो सीधे बोल दिया। यहां मेला लगाओंगे क्या दूसरी घटना एक बैठक की है। जिसमें अपनी जलवे वाली मैडम निशाने पर आ गई मांग और वसूली का मामला था। जलवे वाली मैडम, अपने जवाब में इधर-उधर की बाते करने लगी। नतीजा ... नये मुखियां ने सीधे कह दिया। आप चुप रहिये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...     

समंदर तो यहां पहले नहीं था, यहां आंसू गिराया है किसी ने... !