रोटेशन जरूरी: तभी सुधरेगी व्यवस्था ...!
उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर इन दिनों लगातार सुर्खियों में है। कभी नकली भस्मार्ती अनुमति बेचना तो कभी जलाभिषेक रसीद की फोटोकॉपी बेचना। कभी भक्तों के साथ गलत व्यवहार। ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। मंदिर प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है। इन घटनाओं पर रोक लगे। लेकिन धनलोभी कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेते है। इस पर अंकुश के लिए मंदिर में रोटेशन पद्धति को लागू करना ही होगा। क्योंकि बिना मिलीभगत के मंदिर में भ्रष्टाचार पनप नहीं सकता है। अगर रोटेशन लागू किया तो बहुत हद तक अंकुश लग जायेगा।
मंदिर के गलियारों में ऊपर लिखी मांग इन दिनों दबी जुबान से उठ रही है। यह बोला जा रहा है कि अगर मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष व कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम और प्रशासक संदीप सोनी यह चाहते है। मंदिर में इस प्रकार की घटनाएं पूरी तरह से बंद हो जाये। तो उनको सख्त कदम उठाने होंगे। जिसमें सबसे सख्त कदम रोटेशन पद्धति को लागू करना है। मंदिर के भरोसेमंद सूत्र यह दावा कर रहे है कि ... वर्तमान में 24 ऐसे प्रभावशाली कर्मचारी है, जो कि वर्षो से एक ही स्थान पर अपनी-अपनी ड्यूटी कर रहे है। इनको हटाने की हिम्मत आज तक कोई नहीं कर पाया है। अगर किसी ने कोशिश भी की है तो उसको सफलता नहीं मिली है।
वर्षो हो गये एक ही जगह ...
मंदिर के भरोसेमंद सूत्रों ने जो 24 नामों की सूची जारी करी है। उसमें राजकुमारसिंह (2010 आईटी) अनुराग चौबे (2015 निरीक्षक) मनीष पांचाल (2009 से कोठार) राकेश श्रीवास्तव (2010 से गर्भगृह के आसपास) वीरेन्द्र शर्मा (2015 से अकाउंट ) मोहित ठाकुर (2018 से स्थापना) अभिषेक उपाध्याय (2015 से मंदिर की खरीदी-बिक्री) कमलेश सिसौदिया (2014 से लड्डू निर्माण) रवि देवधर (2004 से हरसिद्धि धर्मशाला ) विपिन ऐरन (2012 से अकाउंट ) राजेन्द्र सिसौदिया (2011 से प्रोटोकॉल ) भीमराज खांडेकर (2013 से प्रोटोकॉल) रितेश शर्मा (2011 से गर्भगृह के आसपास) जगदीश गौड़ (2010 से गर्भगृह के पास भस्मार्ती) पूजा तिवारी (2014 से अकाउंट) दीपेश प्रजापति (2015 से अकाउंट) मंगल बिजवा (2014 से स्टोर) महेन्द्र काकड़े (2014 से कोठार) गणपत रेकवार (2013 से आईटी) राजेन्द्र ढानरिया (2013 से अकाउंट) संजीव श्रीवास्तव (2014 से प्रोटोकॉल) राहुल पांचाल (2012 से अकाउंट) योगेश नामदेव (2014 से भस्मार्ती) और राजेन्द्र तिवारी (2013 से इंट्री गेट पर) पदस्थ है। इनको आज तक किसी भी अध्यक्ष व प्रशासक ने इधर से उधर नहीं किया है।
कार्यविभाजन ...
मंदिर में पिछले कई सालों से कार्यविभाजन होता आ रहा है। हर प्रशासक अपने अनुरूप कार्यविभाजन करता है। अभी-अभी 10 मई को प्रशासक संदीप सोनी ने उपप्रशासक कृतिका भीमावत, सहायक प्रशासक रंजना पाटीदार, लोकेश चौहान, प्रतीक दिवेदी आरपी गेहलोत, डॉ. पियूष त्रिपाठी व श्रीमती गौरी जोशी के बीच कार्यविभाजन किया है। तो मंदिर में सवाल उठ रहे है कि ... अगर अधिकारियों के बीच समय-समय पर कार्यविभाजन होता है तो वर्षो से एक ही जगह पदस्थ कर्मचारियों को भी तो दूसरी जगह पदस्थ किया जा सकता है।