मुराद होगी पूरी, थोड़ा इंतजार जरूरी ...!

महत्वाकांक्षा के कैलाश पर विजयवर्गीय

मुराद होगी पूरी, थोड़ा इंतजार जरूरी ...!

उज्जैन।राजाधिराज महाकाल की शरण में राजनेताओं का आना कोई नई बात नहीं है। किन्तु, इन दिनों एक राजनेता का महाकाल के दरबार में बार-बार हाजिरी लगाना सिर्फ राजनीतिक गलियारों में नहीं, पंडे-पुजारियों में भी चर्चा का विषय है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय इन दिनों कैलाशवाशी महाकाल की शरण में है। ना जाने कौन सी मन्नत है जिसकी पूर्ति के लिए विजयवर्गीय लगभग हर हफ्ते महाकाल की शरण में हाजिरी लगा रहे हैं। हां, यह बात अलग है कि अकेले नहीं आ रहे है, साथ में किसी संत- कथावाचक को भी ला रहे है। पिछले 1 महीने में पंडित प्रदीप मिश्रा, फिर नर्मदा के दंडी स्वामी और अब महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी।

विजयवर्गीय आते तो संतों के साथ है, लेकिन महाकाल के सेवक नंदी बाबा के कानों में अपनी कुछ मन्नतें फुसफुसा जाते है।(देखे चित्र) राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि विजयवर्गीय हमेशा ही महत्वाकांक्षाओं के कैलाश पर रहे है। इस बार महत्वाकांक्षा है प्रदेश भाजपा की कमान थामने की। राजनीतिक पंडित बताते है कि कैलाश का सीएम फेस बनना अभी मुश्किल है क्योंकि ऐन चुनावी साल में भाजपा चेहरा बदलकर कोई बड़ा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। लेकिन विजयवर्गीय को प्रदेश में धमाकेदार जीत दिलाकर पार्टी को बहुमत में लाने की तगड़ी टास्क सौंप सकती है। संघ के दफ्तरों में हलचल तेज है और एक के बाद एक बड़े संघ पदाधिकारी अलग-अलग जिलों में बैठके भी कर रहे है।

ऐसी चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि जब-जब विजयवर्गीय महाकाल के दरबार में हाजिरी देने आये, आगे-पीछे कुछ ही दिनों बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी मत्था टेकने पहुंच गये। अब ये महज इत्तेफाक है, डर है या प्रतिस्पर्धा। ये तो महाकाल ही जाने। दोनों नेताओं की महाकाल भक्ति और लगातार दरबार में हाजिरी को लेकर लोग कह रहे है कि ... मन्नत पूरी होगी लेकिन इंतजार तो करना पड़ेगा। ऐसे बार-बार अर्जियां लगाने से क्या होगा? अब देखना यह है कि राजाधिराज किसकी झोली में वरदान डालेंगे, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन दोनों नेताओं की महाकाल भक्ति भाजपा और संघ दोनों के दफ्तरों में चर्चा का विषय बनी हुई है।