22 मई 2023 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

कृपा ...
बाबा महाकाल की कृपा अगर मिल जाये। तो इंसान हर मुसीबत से बच जाता है। जैसे पिछले दिनों अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बच गये। श्रद्धा और समर्पण के साथ आये थे। अपनी एक दोस्त को साथ लेकर। गोपनीय यात्रा थी। तभी अचानक उनके घर तक खबर पहुंच गई। दर्शन करने अकेले नहीं, बल्कि दोस्त भी साथ है। मामला तूल पकडता, उसके पहले ही बाबा ने कृपा कर दी। अपने इस भक्त पर। बेवफाई के दाग से बचा लिया। मामला शांत हो गया। जानकारी के लिए बता दे। अपनी दोस्त के साथ आये इस अधिकारी का अपने मप्र से कोई लेना-देना नहीं है। उनका संबंध बाबा तुलसीदास की चौपाई... तिलक करत रघुवीर... वाले शहर से है। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रही है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
डिमांड ...
दमदमा के गलियारों में इन दिनों डिमांड शब्द खूब सुनाई दे रहा है। जिसमें इशारा ग्रामीण विभाग के ससुर जी की तरफ है। इनकी फोन करके डिमांड करने की आदत से हर कोई परेशान है। पिछले दिनों एक लड़की की मौत हुई थी। होस्टल को लेकर विवाद हुआ... जांच हुई। उस मामले में अपने ससुर जी ने खूब फोन किये। होस्टल की छात्राओं को। वार्डन के खिलाफ भड़काने के लिए। लेकिन सारी मेहनत बेकार गई। जांच में क्लीन चिट मिल गई। अपने ससुर जी की पोल अलग खुल गई। तभी तो शिक्षा जगत के गलियारों में डिमांड की चर्चा खूब सुनाई दे रही है। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
मुफ्त ...
मंदिर के गलियारों में यह बोला जा रहा है। एक अधिकारी अपने परिचितों को दर्शन करवाने लाये थे। अधिकारी से नियमानुसार राशि की मांग की गई। जिसे सुनकर अधिकारी नाराज हो गये। यह तक बोल दिया। तुम्हारा पुराना बॉस हूं। कुछ तो लिहाज करो। किन्तु नियम सबके लिए बराबर। इसलिए जवाब मिला। या तो राशि दो या फिर अपने इंदौरीलाल जी से कहलवा दो। बेचारे अधिकारी ने मन मारकर राशि दी। मुफ्त दर्शन करवाने का मकसद पूरा नहीं हुआ। यह अधिकारी कौन है। तो मंदिर में चर्चा है कि यह अपने चुगलीराम जी थे। जिन्होंने यह दबाव बनाया था। जिसमें हम क्या कर सकते है। बस अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते है।
असर ...
अपने मामाजी ने पिछले सप्ताह वीसी में फटकार लगाई थी। वर्दी बनाम हमदर्दी को। खुलकर कहा था। अधिकारी थाने पर जाकर देखे। क्या-क्या हो रहा है। बर्दाश्त नहीं करूंगा। मुझे सब पता है। मामाश्री की फटकार का असर अगले दिन ही नजर आ गया। जब ढोल-ढमाके और डीजे की धुन पर 6 मकानों पर बुलडोजर चल गया। तो अब हमारे पाठक समझ गये होंगे। आखिर क्यों ढोल-ढमाके और डीजे बजाये गये थे। यह फटकार का असर था। ऐसा खुद वर्दी भी बोल रही है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
आदतन ...
पंजाप्रेमी दिग्गी राजा का आगमन हुआ था। पिछले दिनों। उसके पहले की यह घटना है। जिसके पात्र पूर्व पंजाप्रेमी (वर्तमान कमलप्रेमी) नेता दरबार है। जिनको लेकर पंजाप्रेमी अब यह बोल रहे है। एक घटना की याद दिला रहे है। कमलप्रेमी दरबार की वापसी को लेकर इंदौरी गुड्डू ने प्रयास किये थे। राजधानी में पंजाप्रेमी प्रदेश मुखिया के पास निवेदन लेकर गये। यह पक्ष रखा गया। अब दरबार, दक्षिण से कोई नाता नहीं रखेंगे। मेरे लिए आलोट में काम करेंगे। किन्तु प्रदेश मुखिया ने साफ इंकार कर दिया। उल्टे यह बोल दिया। दरबार आदतन है। इसलिए इनको अब कमलप्रेमी ही रहने दो। यह टका सा जवाब सुनकर इंदौरी गुड्डू जी चुपचाप रह गये। ऐसा हम नहीं, बल्कि पंजाप्रेमी बोल रहे है। सच-झूठ का फैसला खुद पंजाप्रेमी कर ले। क्योंकि हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
बधाई ...
उन सभी को बधाई। जो कि इस कोशिश में थे। किसी भी तरह डीपीसी में लिफाफा बंद हो जाये। ताकि अखिल भारतीय सेवा में पदोन्नत होने का रास्ता रूक जाये। तो कोशिश कामयाब हुई है। अपने लिटिल मास्टर का लिफाफा बंद हो गया है। उनका प्रमोशन रूक गया है। अपने लिटिल मास्टर को हमारे पाठक भूले तो नहीं होंगे। मंदिर से लेकर उविप्रा तक कमान संभाल चुके है। इन दिनों नर्मदा नदी के किनारे वाले शहर में पदस्थ है। लिफाफा बंद करवाने के लिए एक के बाद एक मामले उछाले गये। नतीजा ... आखिरकार विरोधियों को सफलता मिल गई। इसीलिए तो हम विरोधियों को बधाई देकर ... अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
एकजुट ...
पंजाप्रेमी सपना देख रहे है। मिशन-2023 फतह करने का। सत्ता में वापस आने का। लेकिन मौका मिलते ही एक-दूसरे को आज भी निपटा रहे है। ऐसा पंजाप्रेमी खुद बोल रहे है। इशारा अपने पंजाप्रेमी पहलवान की तरफ है। जो कि दाल-बिस्किट वाली तहसील में कार्यक्रम करवा रहे है। किसान सम्मेलन। जिसमें पंजाप्रेमी बाबा मुख्य अतिथि है। इसी दिन पहलवान के विरोधी ने अपने वेयरहाऊस का श्रीगणेश रखा है। पंजाप्रेमी बाबा के हाथों से। इसकी भनक अपने पहलवान को लग गई। तो उन्होंने ऐडी- चोटी का जोर लगा दिया। विरोधी का कार्यक्रम रद्द करवाने के लिए। किन्तु सफलता नहीं मिली। ऐसे में पंजाप्रेमी सवाल उठा रहे है। जब एकजुट नहीं हो सकते तो सत्ता का सपना कैसे देख सकते हो? पंजाप्रेमियों की बात में दम है। लेकिन हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कानून ...
अकसर यह बोला जाता है। कानून सबके लिए बराबर होता है। लेकिन मक्सी रोड पर आतंक मचाने वालो पर मेहरबानी की वजह क्या है। जबकि वर्दी की गाड़ी पर हमला भी किया था। इसके बाद भी इनके घरों पर ढोल नहीं बजा और ना बुलडोजर चला। यह सवाल खुद वर्दीवाले उठा रहे है। कार्रवाई नहीं होने के पीछे दबी जुबान से इशारा कर रहे है। आखिर प्रभावशाली कमलप्रेमी नेताजी का वरदहस्त है। इन आरोपियों पर। जिन्होंने सोमरस दुकान विवाद के चलते यह हंगामा किया था। अभी आगे नानाखेड़ा और जीरो पाइंट पर भी ऐसा विवाद हो सकता है। यह कयास भी वर्दीवाले लगा रहे है। वर्दीवालो की बात में दम है। लेकिन कानून सबके लिए बराबर है, इसको ध्यान में रखकर हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
अलर्ट ...
अपने उत्तम जी रविवार को मंदिर में अलर्ट नजर आये। आखिर केन्द्रीय मंत्री का आगमन हुआ था। अपने इंदौरीलाल जी भी मौजूद थे। किन्तु व्यवस्था की सारी कमान अपने उत्तम जी के हाथों में थी। ऐसा नजारा पहली बार देखने को मिला। तो जिज्ञासा हुई। आखिर अपने उत्तम जी को मोर्चा क्यों संभालना पड़ा। तो एक घटना सुनने को मिली। 16 मई की घटना है। एक केन्द्रीय मंत्री सपरिवार आये थे। दर्शन करने के लिए। उनको रोक लिया गया। परिवार से टिकिट की राशि मांगी गई। बेचारे सीधे-सहज मंत्री ने फोन किया। तब जाकर दर्शन हुए। संभवत: इसीलिए आज अपने उत्तम जी ने मोर्चा संभाला था। इसीलिए आज इंदौरीलाल जी टीम पीछे थी। ऐसी चर्चा मंदिर के गलियारों में सुनाई दी। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
गुणगान बनाम टक्कर ...
दाल-बिस्किट वाली तहसील में आज जमावड़ा था। कमलप्रेमी नेताओं का। अपने दादा भी थे। जो कि केन्द्रीय चुनाव समिति के सदस्य है। उनकी मौजूदगी में अपने वजनदार जी ने खुलकर दादा का गुणगान किया। दादा ने लट्ठ खाये- जेल गये- आंदोलन किया... और भी ना जाने क्या-क्या बोला। जिसे सुनकर वहां मौजूद कमलप्रेमी आश्चर्य में थे। इधर अपने बडबोले नेताजी ने अलग ही राग अलापा। उन्होंने सीधे-सीधे कहा। मत पडो चक्कर में- कोई नहीं है टक्कर में। उन्होंने महिदपुर सहित आलोट-आगर- तराना व घट्टिया का खुद को एकमात्र नेता साबित कर दिया। अपने बडबोले नेताजी की बात सुनकर सभी हंसते रहे, लेकिन चुप थे। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
नसीहत ...
कार्यसमिति की बैठक में सबसे शानदार नसीहत दी गई। नसीहत देने वाले जिले के प्रभारी थे। जिन्होंने साफ-साफ लफ्जों में बोला। आदमी बनो अपनी पत्नी के... किसी नेता के आदमी मत बनो। वरना किसी दिन आपका नेता दक्षिण में नजर आयेगा। फिर किसके आदमी रहोंगे। इसलिए ... अपनी पत्नी के ही आदमी बनो। जिला प्रभारी यह भी कहने से नहीं चुके। आजकल कोई भी नगर भोज- भजन संध्या ... करवाकर दावेदार बन रहा है। मिशन-2023 के लिए। जिला प्रभारी की नसीहत सुनकर कमलप्रेमी खुश नजर आये। लेकिन इस पर अमल कितना होगा। फैसला वक्त करेगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मेरी पसंद ...
उसे किसी से मोहब्बत न थी मगर उसने/ गुलाब तोड़ के दुनिया को शक में डाल दिया... !
चलते-चलते ...
कमलप्रेमी प्रदेश स्तर पर बदलाव की चर्चा कर रहे है। सत्ता और संगठन में। 30 जून तक का इंतजार है। देखना यह है कि कमलप्रेमियों की बात सच निकलती है या झूठ। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।