आखिरकार

मंदिर अध्यक्ष ने प्रशासक पर अंकुश लगाया...!

आखिरकार

उज्जैन। महाकाल मंदिर से रोज-रोज आने वाली शिकायतों, खासकर सत्कार से जुड़ी व्यवस्था को अब कोठी से ही संचालित किया जायेगा। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष ने पहली दफा कड़ा रूख अपनाया है। नतीजा कोठी से लेकर मंदिर तक चर्चा है कि मंदिर अध्यक्ष ने आखिरकार प्रशासक पर अंकुश लगाया।

मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड की कार्यशैली को लेकर अकसर सवाल खड़े होते रहे है। कोठी तक शिकायते भी पहुंची। मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष एवं कलेक्टर आशीषसिंह ने प्रशासक को पूरा मौका दिया। वह व्यवस्था को सुधारने के लिए हर कदम उठाये। इसके बाद भी वीआईपी व्यवस्था पर सवाल खड़े होते रहे। जिसके चलते आखिरकार कलेक्टर ने सोमवार की शाम को एक आर्डर निकाल दिया। ऐसा हमारे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है। इस आर्डर के बाद मंदिर की वीआईपी दर्शन व्यवस्था अब पूरी तरह से जिला सत्कार के हाथों में रहेंगी।

फरमान ...

विदित रहे कि मंदिर प्रशासक श्री धाकड ने 5 जून को क्रमांक 166/ 2022 में एक आदेश निकाला था। जिसमें नगरीय निकाय चुनाव आचार संहिता का हवाला देकर, भस्मार्ती की व्यवस्था खुद के अधीन कर ली थी। नतीजा इस आर्डर के बाद वह खुद के हस्ताक्षर से अनुमति जारी कर रहे थे। सूत्रों का कहना है कि इस व्यवस्था से जिला प्रोटोकॉल को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। जिसके बाद से ही यह चर्चा सुनाई दे रही थी। अतिशीघ्र भस्मार्ती आदि की व्यवस्था जिला प्रोटोकॉल के हाथों में आ जायेगी।

यह है आदेश ...

कलेक्टर आशीषसिंह का यह निर्णय तारीफ के काबिल है। हालांकि यह कदम बहुत पहले उठा लेना चाहिये था। आखिरकार सोमवार को कलेक्टर ने आदेश कर दिये। जिसमें यह उल्लेखित है कि ... राज्य स्तरीय प्रोटोकॉल का हवाला, पत्र क्रमांक और सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश के अनुसार मंदिर के लिए जिला सत्कार अधिकारी और सहायक सत्कार अधिकारी नियुक्त कर दिये गये है। जिला सत्कार  के रूप में संतोष टैगोर व सहायक सत्कार अधिकारी के रूप में अभिषेक भार्गव को दायित्व दिया गया है।

अपने आदेश में कलेक्टर ने बिलकुल स्पष्ट कर दिया है कि ... प्रोटोकॉल अतिथियों के लिए नंदीहॉल / गर्भगृह/ भस्मार्ती की अनुमति जिला एवं सहायक सत्कार अधिकारी की अनुमति से ही बनेंगी। इसके अलावा अन्य शासकीय विभागों के पाइंट भी जिला सत्कार अधिकारी की अनुमति से ही जारी होंगे।

कलेक्टर ने मंदिर प्रशासक श्री धाकड को दानदाता- पंडे पुजारी- धार्मिक संस्थान- सामाजिक संगठनों- पत्रकारों- सेवा संगठनों के लिए अनुमति देने का काम सौपा है। इसी तरह सामान्य दर्शनार्थी की, पंडे पुजारी और आम जनता की भस्मार्ती का काम भी  मंदिर प्रशासक श्री धाकड को दिया है।

खुद को अलग किया ...

कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के बाद महाकाल मंदिर में तो हड़कंप मचना ही था। हमारे भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि जैसे ही आदेश मंदिर प्रशासक को मिला। उन्होंने तत्काल अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर दी। सूत्रों के अनुसार प्रशासक ने महाकाल मंदिर व्यवस्था से संबंधित ग्रुप से खुद को लेफ्ट कर लिया।