16 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !

16 अक्टूबर 2023 (हम चुप रहेंगे)

चतुराई ...

मई माह में सैकडों क्विंटल मावा पकड़ा गया था। अपने उत्तम जी के मुखबिर की सूचना पर। श्रीमान कूल जी ने कार्रवाई की थी। तैमूर जी की टीम ने बढिया काम किया था। लेकिन व्यापारी 2 कदम आगे निकला। उसने राजधानी में सेटिंग कर ली। सारे सेम्पल पास करवा लिए थे। किन्तु अपने उत्तम जी, व्यापारी से 4 कदम आगे निकले। उन्होंने वापस सारे सेम्पल भेजे। इस दफा मैसूर प्रयोगशाला में टेस्ट करवाये। सतर्कता भी रखी। नतीजा मावे के सारे सेम्पल फेल हो गये है। अब बेचारा व्यापारी अपने उत्तम जी की चतुराई के आगे नतमस्तक होकर चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

समझौता ...

राजनीति में वक्त की नजाकत देखकर समझौता करना आना चाहिये। जिसमें अपने पंजाप्रेमी बिरयानी नेताजी माहिर है। तभी तो उन्होंने उत्तर में समझौता कर लिया। किन्तु दक्षिण में इस समझौते का फायदा उठा लिया है। ऐसा उनके करीबी पंजाप्रेमी का कहना है। अंदरखाने की खबर है। उत्तर से अपने भतीजे की कुर्बानी देकर, दक्षिण से अपने चेले का टिकिट पक्का करवा लिया है। होटल वाले भैय्या का टिकिट पंजाप्रेमी अब पक्का मानकर चल रहे है। फैसला सूची आने पर होगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

संकट ...

राजनीति के 2 पहलवानों पर संकट आ गया है। एक पंजाप्रेमी तो दूसरे कमलप्रेमी। दोनों ही वर्तमान के जनप्रतिनिधि है। अंदरखाने की खबर है। पंजाप्रेमी पहलवान का टिकिट कट सकता है। दाल-बिस्किट तहसील में यही चर्चा हैपंजाप्रेमी पहलवान की जगह जनपद अध्यक्ष रह चुके दरबार को टिकिट मिलेगा। इधर कमलप्रेमी पहलवान भी सत्ता सुख 30 साल भोग चुके है। इसलिए उनकी जगह किसी और को टिकिट मिल सकता है। तभी तो कमलप्रेमी पहलवान ने एक वीडियों वायरल किया है। जिसमें वह व्यायाम करते नजर आ रहे है। कमलप्रेमी पहलवान ने बयान भी दिया हैमेरा टिकिट कटवाने के लिए मुझे बीमार बताया जा रहा है। अब देखना यह है कि दोनों पहलवान का टिकिट कटता है या बरकरार रहता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

दबाव ...

वैसे तो आचार संहिता लागू है। अफसरों को किसी के भी दबाव में नहीं आना चाहिये। किन्तु संकुल में बैठने वाले एक अधिकारी पर जबरदस्त दबाव है। हर घंटे उनको फोन आता है। इस फाइल की अनुशंसा कर दो। मामला फटाखा संग्रहण लायसेंस से जुड़ा है। फाइल 3 साल पुरानी है। पुराने किसी भी अधिकारी ने इस फाइल में हाथ नहीं डाला। कारण ... जो करेगा- वो फंसेगा। लोकायुक्त में शिकायत जरूर होगी। दबाव बनाने वाले अपने वजनदार जी के करीबी सहित एक महामंत्री है। जो हर रोज फोन लगाकर दबाव बना रहे है। देखना यह है कि श्रीमान कूल जी इस दबाव को कैसे दरकिनार करते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो  जाते है।

सरकारी खर्च ...

आम जनता के टैक्स से अफसर हमेशा मजे करते है। लेकिन उनके पालतू जानवर भी मजे लूटे। ऐसा किस्सा बहुत कम सुनने को मिलता है। इन दिनों दमदमा के पंचायत भवन में ऐसा ही किस्सा सुनने को मिल रहा है। कर्मचारी बोल रहे है। आजीविका मिशन के खर्च पर डॉग पाले जा रहे है। जिसके लिए बकायदा कर्मचारी नियुक्त है। इशारा अपनी घमंडी मैडम की तरफ है। जिनका तबादला हो चुका है। किन्तु बंगले पर अभी भी उनका कब्जा है। जिसमें पालतू जानवर निवास कर रहे है। सुबह-शाम नियुक्त कर्मचारी भोजन बनाकर देता है। इस कर्मचारी को अभी-अभी हटा दिया था। जिसकी सूचना घमंडी मैडम को मिली। बस फिर क्या था। उन्होंने दूरभाष पर हडका दिया। नतीजा कर्मचारी की वापस नियुक्ति हो गई। अब देखना यह है कि सरकारी खर्च पर कब तक कुत्तों की देखभाल होती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

अपेक्षित ...

कमलप्रेमियों की बैठक हो या संघ की। इन बैठकों में अपेक्षित शब्द का बड़ा महत्व रहता है। अगर अपेक्षित नहीं है तो आप बैठक में शामिल नहीं हो सकते है। फिर भले ही आप कितने भी बड़े तुर्रमखां हो। अभी-अभी एक स्कूल में बैठक हुई थी। जिसमें अपने विकास पुरूष अपेक्षित नहीं थे। फिर भी वह पहुंच गये थे। दूसरी पंक्ति में जाकर बैठ भी गये। मुश्किल से 2 मिनिट के अंदर उनको धीरे से यह बता दिया गया। आप अपेक्षित नहीं है। बस फिर क्या था। अपनी डायरी उठाकर वह चुपचाप निकल गये। ऐसा विकास पुरूष के करीबी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

लालच ...

आचार संहिता जिले में लागू है। इधर मतदाताओं को लालच दिये जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। तभी तो रविवार को आटा-दाल-शक्कर के पैकेट वितरित किये गये। मोतीनगर व मालनवासा क्षेत्र में। इसके एक दिन पहले सेठीनगर क्षेत्र में दीवार घड़ी का वितरण किया गया। क्षेत्रीय नगरसेवक द्वारा। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

स्लोगन ...

कमलप्रेमियों को अगर बुलाना है। तो बरसों पुराने स्लोगन को हमेशा याद रखना होगा। बैठक-भोजन-विश्राम। अगर भोजन हटा दो, तो कमलप्रेमी दूरी बना लेते है। तभी तो अपने विकास पुरूष को इस गलती का अहसास हो गया। नतीजा ... रविवार को दोपहर बाद मैसेज किये गये। उद्घाटन के बाद भोजन भी है। मैसेज मिलते ही कमलप्रेमी खुश हो गये। हाजिर भी हुए... उद्घाटन भी शानदार रहा और भोजन तो पक्का था ही। ऐसा अपने कमलप्रेमी बोल रहे है। मगर हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

प्रार्थना ...

अपने प्रथमसेवक धार्मिक यात्रा पर गये थे। कुछ नगरसेवकों के साथ। लौटने के बाद उन्होंने यात्रा का मकसद बताया। प्रार्थना करने गये थे। शिवाजी भवन के प्रोजेक्ट समय पर पूरे हो? मनी की कमी ना हो? उनकी इस प्रार्थना को लेकर अब मजाक बनाया जा रहा है। शिवाजी भवन के गलियारों में। दबी जुबान से उनके ही करीबी बोल रहे है। प्रार्थना से अगर काम और मनोकामना पूरी होती? तो इस संसार में कोई दु:खी नहीं होता? बगैर कर्म किये कुछ नहीं मिलता है। फिर भी अपने प्रथमसेवक प्रार्थना कर रहे है। तो हम उनकी सोच पर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

कर्म ...

गीता में साफ-साफ लिखा है। प्रार्थना से ज्यादा जरूरी कर्म है। अपने प्रथमसेवक इसके उलट कर रहे है। तभी तो अवैध निर्माण धडल्ले से हो रहे है। जिसकी जानकारी अपने प्रथमसेवक को नहीं होगी? ऐसा संभव नहीं है। वह खुद शहीद पार्क से सेठीनगर जाने वाले मार्ग से कई बार गुजरे होंगे। हरी नेट लगाकर अवैध निर्माण पिछले कई दिनों किया जा रहा है। इस अवैध काम्पलेक्स पर पहले भी बुलडोजर चल चुका है। लेकिन फिर निर्माण हो रहा है। कारण ... सबकी जेब हरी हो चुकी है। अब देखना यह है कि अपने प्रथमसेवक, प्रार्थना के बाद अपने कर्म को कितनी प्राथमिकता देते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

मेरी पसंद ...

ये एक ऐब है कि मैं हाजिर जवाब हूँ / इसके अलावा आदमी मैं लाजवाब हूँ ...