27 मई 2024 (हम चुप रहेंगे)

27 मई 2024 (हम चुप रहेंगे)

जादू ...

बचपन में अकसर हमने जादूगर को देखा होगा। जो कोई भी चीज गायब कर देता। फिर उसको किसी की जेब से निकाल देता था। तब बड़ा आश्चर्य होता था। ऐसा भी जादू हो सकता है। मगर अब जादूगरी बातों की होती है। इस फन में माहिर है अपने स्मार्ट पंडित। तभी तो उन्होंने केडीगेट पर जादू दिखाया। हिन्दूवादी नेता आपत्ति लेकर गये थे। एक विशेष धर्मस्थल को हटवाने के लिए। उनको उम्मीद नहीं थी। स्मार्ट पंडित कुछ कर पायेंगे। मगर बातों के जादूगर है। अपने स्मार्ट पंडित। किसी शायर ने खूब कहा है। मैं कैसे गुफ्तगू से गैर को अपना बनाता हूं/ इधर आओं यहां बैठों तुम्हें जादू सिखाता हूं.... ! अपने स्मार्ट पंडित ने ऐसा ही जादू दिखाया और धर्मस्थल गायब हो गया। ताज्जुब की बात यह है कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों खुश है, और हम इस जादूगरी को देखकर खुश है। इसलिए हम खुशी में अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

डिमांड ...

संकुल के गलियारों में चर्चा है। 2 पेटी डिमांड की। डिमांड करने वाले एक अधिकारी है। दूसरे माले पर यह बैठते है। डिमांड एक महिला अधिकारी से की गई है। जिनका कार्यालय उद्यन मार्ग पर स्थापित है। यह कार्यालय प्राकृतिक संपदा की देखरेख करता है। महिला अधिकारी परेशान है। 2 पेटी की डिमांड कैसे पूरी करे। उन्होंने अपना दुखडा भी सुनाया है। अब देखना यह है कि मांगने वाले अधिकारी को 2 पेटी मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

बुआ जी ....

संकुल से लेकर वर्दी के गलियारों तक चर्चा है। 2 अधिकारियों की। 1 संकुल में बैठते है तो दूसरे कंट्रोल रूम में। दोनों को उनके मातहत और सहयोगी बड़ी बुआ-छोटी बुआ के नाम से पुकारते है। क्योंकि दोनों की आदत समान है। बातों को बड़ा-चढाकर पेश करने की। चुगली करने में दोनों पीएचडी है। दोनों बुआ जी अकसर बियर पार्टी में साथ-साथ बैठते है। मगर यह दोनों बुआ जी कौन है? इसका खुलासा जल्दी ही करेंगे। तब तक कोई भी हमें फोन लगाकर बुआ जी के नाम नहीं पूछे, क्योंकि हम फिलहाल बुआ जी के मामले में चुप ही रहेंगे।

मेहरबान ...

पहली दफा इस क्षेत्र में आई एक मैडम को मालवा क्षेत्र पसंद आ गया है। अभी तक मैडम जी ने पूरी नौकरी निमाड क्षेत्र में ही की है। जब आई थी। तो खूब आंसू बहाती थी। मगर अब खुश रहती है। मालवा क्षेत्र से जाना ही नहीं चाहती है। इसकी वजह यहां होने वाली ऊपरी कमाई है। जिसके चलते पिछले दिनों मैडम जी ने एक मंहगा वाहन भी खरीदा है। यह ग्रामीण क्षेत्र में पदस्थ रहने की कमाई से खरीदा है। अब संकुल के गलियारों में पदस्थ है। तो जुगाड में लगी है। एसडीएम बनने की। जिसमें उनकी मदद वही अधिकारी कर रहे है। जो निमाड क्षेत्र में पदस्थ थे। उस समय की जुगलबंदी अब मेहरबानी के रूप में नजर आ रही है। संकुल के सूत्र तो यही कह रहे है। देखना यह है कि दूसरे माले के मुखिया मेहरबान होते है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

शिकायत ...

एक अधिकारी की शिकायत हुई है। नायब तहसीलदार स्तर के। जिसमें उनके 2 दलालों का नाम भी शामिल है। दोनों दलालों के बगैर राजस्व अधिकारी एक भी काम नहीं करते है। जब दलाल सौदा पटा लेते है। उसके बाद अधिकारी काम कर देते है। उनका हिस्सा दलाल पहुंचा देते है। यह सब हो रहा है संकुल के प्रथम माले पर। जबकि दूसरे माले के मुखिया का फरमान है। जनता के काम बगैर हरे रंग के कागज लिए किये जाये। किन्तु नायब तहसीलदार को तो हर रोज जेब गर्म चाहिये। इसलिए वह दूसरे माले का आदेश नहीं मानते है। अब देखना यह है कि  शिकायत पर जांच कर रहे है एसडीएम क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

रैकेट ...

संकुल के गलियारों में एक रैकेट पनप गया है। बड़ा खतरनाक रैकेट। जो छोटा-मोटा खेल नहीं करता है। बल्कि खोखो में खेल करता है। शासकीय जमीनों का। अंदरखाने की खबर है। इस रैकेट ने पिछले दिनों एक फाइल आगे बढाई थी। जिसमें शासकीय जमीन को निजी करने का अनुमोदन था। फाइल जैसे ही आगे पहुंची। इस गलती को एक महिला अधिकारी ने पकड लिया। उन्होंने फाइल लेकर आई डिप्टी कलेक्टर को नसीहत दी। समझाया। ऐसे काम नहीं होता है। मगर डिप्टी कलेक्टर ने पलटकर जवाब दिया। कॉलम में नाम चढा देते है। जिसके बाद महिला अधिकारी ने फाइल वापस लौटा दी। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। मगर हमको आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

पकड़ो तो माने  ....

अपनी वर्दी इन दिनों सक्रिय है। बल्कि अतिसक्रिय है। कोई भी अपराध हो। हत्या-चोरी जैसे मामले का खुलासा 24 घंटे में कर देती है। जिसके लिए कप्तान व उनकी पूरी टीम को हमारा सेल्यूट। मगर खुद वर्दी के प्री-पेड बूथ से चोरी हुए पंखे आखिर कब बरामद होंगे? पंखे का चोर आखिर कब पकडायेंगा? यह सवाल खुद वर्दी ही कर रही है। तभी तो वर्दीवाले दबी जुबान से बोल रहे है। पकड़ो तो माने। जानकारी के लिए बता दे। यह वही प्रीपेड बूथ है। जिसमें उद्घाटन की पूर्व रात्रि में चोरी हुई थी। पंखों की। वह भी रेलवे स्टेशन के ठीक सामने। जहां 24 घंटे चहल-पहल रहती है। इसके बाद भी पंखे चोरी हो गये। जबकि अगले दिन इसका शुभारंभ जय-वीरू की जोड़ी ने किया था। अब देखना यह है कि कप्तान और उनकी टीम इस चोर को पकड़ पाती है या नहीं? तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

संतुलन ...

जब मामला बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच का हो। वह भी धर्म से जुड़ा। तब संतुलन बनाकर कार्रवाई करना जरूरी होता है। एक मामूली गलती से विवाद खड़ा हो सकता है। केडी गेट चौडीकरण में यही स्थिति बन गई थी। मगर अपने स्मार्ट पंडित ने गजब का संतुलन बनाया। तभी तो गणेश मंदिर पर हथौड़ा चलाने से पहले केडी गेट पहुंच गये। जहां देखा तो अल्पंसख्यक धरना दे रहे थे। समुदाय के धर्मगुरू तेवर दिखा रहे थे। लेकिन अपने स्मार्ट पंडित ने हर दबाव को दरकिनार कर दिया। साफ लफ्जों में कह दिया। दोनों जगह हथौडा एक साथ चलेगा। इतना कहकर निकल गये। स्मार्ट पंडित का यह जज्बा और हिम्मत काम आई। थोड़ी देर में ही अल्पसंख्यक वर्ग राजी हो गया। बस फिर क्या था। दोनों जगह हथौडे एक साथ ही चले। इसे कहते है संतुलन। जिसके लिए हम अपने स्मार्ट पंडित और उनकी टीम को बधाई देकर, अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

सर्वे ...

केडी गेट चौडीकरण में प्रशासन को सफलता मिल ही गई। जिसके बाद संकुल से लेकर शिवाजी भवन तक खुशी की लहर है। इस खुशी के चलते 2 नये काम और खोलने के लिए सर्वे शुरू हो रहा है। अंदरखाने की खबर है। गाड़ी अड्डा तिराहा के चौडीकरण का काम भी जल्द शुरू होगा। इसीलिए संभवत: आज से इस चौराहे का सर्वे शुरू हो जायेंगा। इसके अगले दिन कोयला फाटक से छत्रीचौक तक सर्वे हो सकता है। इन दोनों मार्गो को चौडीकरण करने के लिए हमारी तरफ से अग्रिम बधाई। बाकी हमको अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।

भय ...

बगैर भय के प्रशासन नही चलता। डर ही मातहतों को काम पर लगाये रखता है। यह बात सच है। मगर बिजली वाले इस डर को भूल गये थे। जिसे अपने दूसरे माले के मुखिया ने याद दिला दिया। बिजली वालो को तलब किया। फिर जमकर फटकार लगाई। जिसका नतीजा सकारात्मक रहा। एक ग्राम में 7 दिन से बिजली नही थी। सभी परेशान थे। दूसरे माले के मुखिया को शिकायत मिली। उन्होंने अपना रौद्र रूप दिखाया। बाबा तुलसी की चौपाई को आधार बनाया। विनय ना मानत जलाधि जड़... वाला। नतीजा 2 घंटे में लाईट चालू हो गई। जो 7 दिन से बंद थी। ऐसी चर्चा संकुल के गलियारों में सुनाई दे रही है। उम्मीद है कि आगे भी यही रौद्र रूप अपने मुखिया बनाकर रखेंगे। इसके लिए अग्रिम शुभकामनाएं देते हुए, हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।

इंतजार ...

प्रशासन और वर्दी के जय-वीरू का इंतजार केडी गेट वाले कर रहे है। इतनी बड़ी कार्रवाई होने के बाद भी यह जोड़ी आज तक निरीक्षण के लिए नहीं पहुंची है। जबकि यहां के निवासी इस जोड़ी का स्वागत करना चाहते है। देखना यह है कि आखिरकार जय-वीरू की जोड़ी कब निरीक्षण करने जाती है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।