सिटी बस ऑफिस में.....

तब बियर की बोतले मिली थी....अब ढाई करोड़ का घपला...!

सिटी बस ऑफिस में.....

उज्जैन। मक्सी रोड स्थित सिटी बस कार्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है।कारण ,आयुक्त ने पिछले महीने खोजबीन करी।जिसका नतीजा यह निकला कि ढाई करोड़ का घपला पकड़ में आ गया।वही 4 साल पहले जब सिटी बस कार्यालय में सफाई अभियान शुरू हुआ था।तब सफाई में ढेरो बियर की बोतले मिली थी।

नगर निगम के गलियारों में इन दिनों सिटी बस कार्यालय को लेकर खूब चर्चा है।चर्चा यह है कि इस कार्यालय में जब भी सफाई अभियान शुरू हुआ।कुछ न कुछ ऐसा मिला।जिसके चलते ऑफिस सुर्खियों में रहा।अब यह बात अलग है कि गंदगी साफ करते वक्त बियर की बोतले मिली थी,4साल पहले।अब सफाई फाइलों की हुई तो 2.50 करोड़ का घपला पकड़ में आया।जिसके चलते 3 को नोटिस थमा दिए गए।

हिम्मत...
आम तौर पर बर्रे के छत्ते में हाथ डालने से हर आला अधिकारी बचता है। गढ़े मुर्दे कोई नही खोदता है।लेकिन निगमायुक्त अंशुल गुप्ता अपवाद है।गलत काम की सजा देने में विश्वास रखते है।तभी तो सिटी बस ऑफिस में बैठकर खुद ने फ़ाइलें देखी।उनकी पैनी नज़र से ढाई करोड़ का घोटाला नही छुप सका।सबूत हाथ आते ही पहली गाज नोटिस के रूप में गिरी।आयुक्त ने उपयंत्री विजय गोयल,सुनील जैन और सहायक राजस्व निरीक्षक पवन लोढ़े को नोटिस थमा दिए।23 जून को इन सभी को कारण बताओं सूचना पत्र जारी किए थे।जिसमे स्वयं हाजिर होकर जवाब देने के निर्देश थे।लेकिन कोई समय सीमा निर्धारित नही की गई थी।नोटिस में अर्थ कनेक्ट एजेंसी से अनुबंध राशि जमा नही कराने,विज्ञापन शुल्क नही वसूलने,भारत सरकार के निर्देशों का पालन नही करने,उपनगरीय सेवा चलाने और जीरो बैलेंस पर चालू खाता खोलने के लिए इन तीनो को दोषी माना गया।इसीलिए नोटिस दिए गए।

अब आगे क्या...
निगम के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि तीनो ने एक जैसा जवाब दिया है। जबाब यह है कि...हमारे द्वारा राशि वसूली के हर संभव प्रयास किए गए।इसमें हमारा कोई दोष नही है।समय समय पर एजेंसी को नोटिस भी दिए गए।लेकिन इस जबाव से निगमायुक्त अंशुल गुप्ता संतुष्ट नही है।ऐसी चर्चा निगम के गलियारों में सुनाई दे रही है।सूत्र बताते है कि निगम इस मामले को अदालत में ले जा सकती है?या फिर जिनको नोटिस दिए है।उनसे राशि  वसूल करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है?इसके अलावा तीनो को निलंबित भी किया जा सकता हैं? लेकिन इसका फैसला निगमायुक्त को लेना है।फिलहाल मामला अधर में लटका है।