25 अक्टूबर 2022 (हम चुप रहेंगे)
एक हुनर है चुप रहने का, एक ऐब है कह देने का !
बाहर ...
अपने विकास पुरूष बाहर हो गये है। अब सवाल यह है कि कहां से बाहर हुए? तो मामला कालिदास समारोह से जुड़ा है। अभी तक यह होता आया है। समारोह में उनसे जुड़ी संस्थाओं को काम मिलता रहा है। इस बहाने अपनों को उपकृत भी कर देते थे विकास पुरूष। मगर अब उच्च स्तर से आदेश है। उनके मार्गदर्शन में फलीभूत हो रही संस्थाओं को कोई कार्यक्रम नहीं दिया जाये। राजधानी की बैठक से तो यही खबर निकलकर आई है। तभी तो अपने कमलप्रेमी बाहर-बाहर चिल्ला रहे है। अब देखना यह है कि अपने विकास पुरूष क्या कदम उठाते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
मौका ...
एक बार फिर विकास पुरूष का जिक्र कर रहे है। घटना 11 अक्टूबर के शाम की है। आमसभा के बाद का मामला है। मामा जी खुश थे। सबकुछ अच्छा निपट गया। अपने वजनदार जी इस खुशी में मामा जी का सम्मान करना चाहते थे। लेकिन एक गलती कर गये। ऊंची आवाज में बोल गये। रूको... सम्मान करना है। जिसे मामा जी सहित अपने विकास पुरूष ने भी सुन लिया। नतीजा ... जब तक अपने वजनदार जी, केसरिया दुपट्टा निकालकर पहना पाते। उसके पहले ही अपने विकास पुरूष ने मौके का फायदा उठा लिया। उन्होंने पलटकर अपने बगलवाले से नीला दुपट्टा लिया। तत्काल मामा जी को पहना दिया। बेचारे ... वजनदार जी देखते रह गये। अपने मामा जी मुस्कुरा दिये। यह देखकर वजनदार जी चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
हरकत ...
शिक्षक से हर कोई उम्मीद रखता है। वह छात्र -छात्राओं का भविष्य बनाये। मगर दशहरा मैदान की घटना कुछ अलग संकेत दे रही है। एक निशक्त शिक्षक की हरकत सामने आई है। जो कि छात्राओं के साथ हरकत करते थे। इसकी शिकायत भी पहुंची। तब निशक्त शिक्षक के भाई को बुलाया गया। जो कि पहले पंजाप्रेमी थे, मगर अब कमलप्रेमी है। उनको सच से अवगत कराया गया। मामला माफी मांगकर दबा दिया गया। ऐसी चर्चा दशहरा मैदान से जुड़े शिक्षकों के बीच चल रही है। मगर कोई खुलकर नहीं बोल रहा है। सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
कौन है वह ...
शिक्षा जगत से जुड़ा यह एक और मामला है। जिस पर अपने उम्मीद जी की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है। इस मामले को पत्रिका ने उजागर किया है। घटना बेहद संगीन है। लिखित में शिकायत हुई है। जांच समिति भी बनी है। लेकिन जांच नहीं हो रही है। केवल नौटंकी की जा रही है। क्योंकि इस मामले के तार उच्च स्तर तक जाकर जुड़ रहे है। इसलिए दबाव है। मामला खत्म किया जाये। एक शिक्षिका पर भी ऊंगलिया उठी है। अब वह शिक्षिका इसे दबाने के लिए जोर लगा रही है। अब वह शिक्षिका कौन है... और संगीन मामले में अपने उम्मीद जी चुप क्यों है? यह हमको पता नहीं है। तो हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
लुहार की ...
बड़ी अच्छी कहावत है। सौ सुनार की... एक लुहार की। अपने पपेट जी जाते-जाते इस पर अमल कर गये है। ऐसा लुहारी हथौडा ठोका। खुद सहित 14 अन्य को भी लपेटे में ले लिया। शिवाजी भवन वाले तो यही बोल रहे है। यह कहते हुए कि ... हम तो डूबेंगे सनम... तुमको भी ले डूबेंगे। पपेट जी की गलती की सजा अब अपने उम्मीद जी और मंद- मुस्कान जी को भी भुगतना होगी। राजधानी से आदेश निकल चुका है। महीने का अंत होने से पहले पेशी है। अब यह देखना रोचक होगा। इस पेशी पर कौन-कौन जाता है... और कौन-कौन ... क्या-क्या बहाने बनाता है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
दादागिरी ...
एक वीडियों सामने आया है। जो कि अपने दिल्ली वाले नेताजी के कट्टर समर्थक का है। मामला जमीन से जुड़ा है। किसी समझदार ने पट्टे पर मिली जमीन का सौदा कर दिया। ज्यादा फायदा देखकर बगैर जांच पडताल के जमीन खरीद ली गई। रजिस्ट्री भी हो गई। 7 बीघा जमीन का मामला है। मगर जब कब्जा करने पहुंचे। तब यह पोल खुली। जमीन तो मौके पर है ही नहीं। 2 बार सीमांकन हो चुका है। लेकिन जमीन नहीं मिल रही है। नतीजा ... अब हिन्दूवादी नेताजी जाकर धमका रहे है। जिसका वीडियों सामने आया है। खरीदने वाले किसी समय अपने दिल्ली वाले नेताजी के कार्यालय में आरक्षण का काम देखते थे। अब देखना यह है कि ... दादागिरी का आरक्षण उनके कितने काम आता है। जमीन मिलती है या नहीं। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
शून्य ...
नगदी के मामले में शून्य का बड़ा महत्व होता है। लेकिन यही शून्य अगर छात्रो को मिल जाये। तो उनका जीवन शून्य हो जाता है। ऐसे शून्य देने के मामले में अपना चक्रम हमेशा अव्वल रहा है। तभी तो ए से बी श्रेणी में आ गया। जबकि इसके मुखिया अपने विकास पुरूष है। अभी हाल ही में चक्रम ने शून्य देने का कारनामा दिखाया है। वह भी योगा- ध्यान व पर्यावरण विषय में। जबकि शून्य पाने वाले छात्रों को मुख्य विषयों में ए- ग्रेड मिली है। तभी तो छात्रगण परेशान है। अपने विकास पुरूष को घेरने की योजना बना रहे है। देखना यह है कि अब चक्रम के मुखिया अपनी गलती को कैसे सुधारते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
इतने ही ...
अपने मामा जी भी अजीब है। 11 अक्टूबर के पहले उनका ज्यादा आना-जाना था। उडन खटोला उतरने वाली जगह की यह घटना है। उस दिन शायद मामा जी का मूड अपसेट था। इसलिए भीड़ देखकर यह बोल गये थे। इतनी भीड़ अंदर कैसे आ गई। अब कार्यक्रम निपट गया है। उसके बाद अभी-अभी फिर आये थे। इस बार अपने मामा जी के साथ विकास पुरूष भी उडते हुए आये थे। उडन खटोला उतरा। अंदर कमलप्रेमी नेता ज्यादा नहीं थे। स्वागत सत्कार भी हो गया। वाहन भी अंदर लग चुका था। मामा जी बैठने वाले थे। तभी बाहर नजर गई। तो पैदल चलकर बाहर आये। 8-10 कमलप्रेमियों ने स्वागत किया। तो इतने कम कमलप्रेमियों को देखकर वह बोल गये। बस ... इतने ही थे। फिर वाशरूम चले गये। इधर कमलप्रेमी मामाश्री की बात ... बस इतने ही थे... सुनकर चुप हो गये। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।